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प्रसव के बाद माँ का स्वास्थ्य बच्चे के प्रसव के बाद माँ का शरीर थोड़ा गरम हो जाता है| लेकी न दूसरे दिन इसे पहले की हालत में आ जाना चाहिए उसे अब अधिक पौष्टिक भोजन चाहिए, अब उसे अपने बच्चे को भोजन भी अपने शरीर में ही पैदा करना है| इसके लिए अब फल,सब्जी, फलियों वाली सब्जियां पीले फल और सब्जियां मूगफली, दूध, अंडा, मुर्गी चाहिए| ऐसे ही भोजन खा कर वह अपने बच्चे का सही ढंग से दूध पिला पाएगी दूध और पानी दूध और पनीर के सेवन ससे उसके स्तनों में अधिक दूध बन जाता है प्रसव के कुछ दिनों के बाद उसे नहाना शुरू कर देना चाहिए वह साफ कपड़ा पहने, नहीं तो उसका बच्चा बीमार पड़ सकता है कभी-कभी प्रसव के बाद बुखार ठहर जाता है| ऐसा दाई या की सी अन्य व्यक्ति से छूत का लगना हो सकता है| योनि से खून या बदबूदार बहाव हो सकता है ऐसी हालत में योनि और जनन अंगों को गुनगुने पानी में थोड़ा सिरका या पोटाशियम परमेगनेट मिलाकर धोना चाहिए| अगर बुखार बना रहे तो डाक्टर की देख-रेख में इलाज कराएं कुछ स्त्रियाँ मानसिक रूप से निराश हो जाती हैं, उनमे डर समा जाता है| स्तनों की देखभाल ऐसी हालत में परिवार के लोगों का स्नेह उसे चाहिए| यह माँ और बच्चा दोनों के हित में है की स्तनों की देख भाल ठीक ढंग से हो बच्चा के पैदा होते ही उसे स्तनपान कराना शुरू कर दें शुरू में बच्चा शायद स्तनों को ठीक दंग से न चूस सके लेकी न जल्दी ही वह सीख लेगा पहले दो दिन स्तनों से दूध निकलता है, उसे खीस कहते है खीस पानी की तरह पतला होता है माताएं समझती हा की खीस बच्चे को नुकसान पहुंचाता है, और खीस नहीं पिलाना चाहती हैं| सच तो यह है की खीस अमृत समान है खीस में सेहत ठीक करने वाली चीजें होती हैं पहले दिन दूध पिलाने से यह फायदा है की स्तनों से ज्यादा दूध मिलेगा आमतौर से स्तनों में इतना दूध बनता है जितना की बच्चे को जरूरत है बच्चा जितना ज्यादा दूध पिएगा, उतना ज्यादा दूध स्तनों में बनेगा अगर बच्चा बीमार पड़ता है और दूध नहीं पीता है तो स्तनों में दूध बनना बन्द हो जाता है| ऐसी हालत में माँ को चाहिए की वह बच्चे को दूध पिलाती रहें| अगर फिर बच्चा दूध न पीए तो माँ को चाहिए की एक-एक स्तन को बारी-बारी जड़ के पास दोनों हाथों से निचोड़ती रहे और दूध बाहर निकाल दें| इस क्रिया से स्तनों में दूध बनना बन्द नहीं होगा बीमार बच्चे को निचोड़ने से निकले दूध को चम्मच से पिलाएं अपने स्तनों को हमेशा साफ रखें, बच्चे को दूध पिलाने के पहले धो लें| इससे बच्चा छूत से बचेगा धोते समय ध्यान रखें की चूची पर पानी न लगे, चूची से कुछ ऐसी चीजें निकलती है, जो बच्चे को रोगों से सुरक्षा दिलाता है| अगर चूची में सूजन आ जाए या दरद हो तो दूध पिलाना बंद कर दें| एक दो दिन ऊपरी उबला दूध पिलाएं|
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