loading...
loading...

चीते को हरा सकता है सबसे तेज़ कीड़ा?

Image copyrightALAMY
आख़िर वो कौन सा कीड़ा है जो दुनिया में सबसे तेज़ दौड़ता है?
अगर अमरीकी कॉकरोच और ऑस्ट्रेलियाई टाइगर बीटल के बीच रेस हो तो कौन जीतेगा?
चीते के बारे में मशहूर है कि वह धरती पर मौजूद सभी जीवों में सबसे तेज़ दौड़ता है, लगभग 120 किलोमीटर (75 मील) प्रति घंटा की रफ़्तार से.
इसका मतलब यह है कि चीता जब शिकार के पीछे भागता है तो कम से कम आधे समय वह शिकार करने में सफल रहता है.
यह बेजोड़ प्रदर्शन है पर इसके बारे में तो हम पहले से ही जानते, देखते और सुनते रहे हैं.
ब्रितानी हास्य कलाकार नोएल फील्डिंग ने एक गाने में शिकायत की थी कि “दिखावे वाले जानवर” अमूमन सारा ध्यान अपनी ओर खींच ले जाते हैं और चीते की दौड़ ऐसा ही मामला है.
इसलिए फ़्लोरिडा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक थॉमस मेरिट ने 1999 में शुरू किए प्रयासों के तहत सबसे तेज़ दौड़ने वाले कीड़े की पहचान का बीड़ा उठाया.

ख़ास रिपोर्ट पढ़ें

फ़ाइल फोटो
मेरिट ने आंकड़ों को खंगालना शुरू कर दिया और अपने साथी कीट विज्ञानियों से संपर्क किया ताकि प्रतिद्वंद्वियों की सूची तैयार की जा सके.
उन्होंने तय किया कि इस सूची में वही शामिल होगा जिसकी टाइमिंग कम से कम पांच बार ली गई हो और यह शोध किसी वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित हुआ हो.
कॉकरोचImage copyrightAFP
इसके बाद यह पाया गया कि “टाइगर मौथ” कीड़ा जिसके छोटे-छोटे पंखों पर स्ट्राइप बने होते हैं, 5 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से टॉप पर था.
लेकिन यह केवल दो मौकों पर ही हुआ और इस तरह वह सूची में शामिल नहीं किया गया.
बेहतर दावेदारी वाले तीन अन्य उम्मीदवारों की रिकॉर्डिड रफ़्तार इससे तेज़ थी.
1991 में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कली के दो वैज्ञानिकों ने अमरीका में पाए जाने वाले आठ कॉकरोच (पेरिप्लानेटा अमेरिकाना जिनको ‘वाटरबग’ भी कहते हैं) को हाई-स्पीड कैमरे से ट्रैक किया.
वे उड़ सकते हैं पर ऐसा वे अक्सर नहीं करते. ये कॉकरोच उस समय सबसे तेज़ होते हैं, जब ये अपनी पिछली टांगों पर दौड़ते हैं.
परीक्षण के दौरान इन्होंने डेढ़ मीटर (5 फीट) की दूरी एक सेकेंड में तय की और इस तरह से 5.5 किलोमीटर प्रति घंटा (3.4 मील प्रति घंटा) की गति प्राप्त की.

टाइगर बीटल

1996 में नीदरलैंड्स में वैज्ञानिकों ने ऑस्ट्रेलियाई टाइगर बीटल सिसिंडेला एब्युर्निओला और सिसिंडेला हड्सोनी का परीक्षण किया.
फ़ाइल फोटोImage copyrightThinkstock
इन दोनों प्रजातियों में पंख अवशेष के रूप में बचे हैं जिनका अब वे प्रयोग नहीं करते और इसलिए अब ये उड़ नहीं सकते हैं.
लेकिन तेज़ दौड़ लगाने की कुशलता प्राप्त कर ये इसकी भरपाई कर लेते हैं. शोधकर्ताओं ने एब्युर्निओला की गति 6.8 किलोमीटर प्रति घंटा और हडसोनी की रफ़्तार 9 किलोमीटर प्रति घंटा रिकॉर्ड की.
इस पैमाने पर सिसिंडेला हड्सोनी ने एक सेकंड में 2.5 मीटर (8 फीट) की दौड़ लगाकर सबसे तेज़ दौड़ने वाले कीड़े का दर्जा पाया.

आकार देखें तो उसैन बोल्ट भी पीछे

हालाँकि जब स्पीड को आकार से जोड़कर देखते हैं, तो एक अन्य प्रजाति का कीट बाजी मार ले जाता है.
फ़ाइल फोटोImage copyrightJavier Alba Tercedor
छोटे आकार का सिसिंडेला एब्युर्निओला अपने शरीर के 171 गुनी लंबाई (बॉडी लेंग्थ या बीएल) को एक सेकंड में तय करता है.
इस तरह वह सिसिंडेला हड्सोनी (120बीएल/एस) और पी अमेरिकाना (50बीएल प्रति सेकंड) से कहीं तेज़ है.
इंसान और अन्य पशु इस दौड़ में काफी पीछे हैं.
सौ मीटर की दौड़ में विश्व रिकॉर्डधारी उसैन बोल्ट की रफ़्तार 44.2 किलोमीटर प्रति घंटा है, पर उनकी लंबाई 1.96 मीटर (छह फ़ीट पाँच इंच) है और इसे देखते हुए यह मात्र 6 बीएल प्रति सेकंड ही होता है.
यहां तक कि चीता भी लगभग 16 बीएल प्रति सेकंड तक ही पहुंच पाता है.

तो असली चैंपियन कौन?

पर अगर आप वास्तविक चैंपियन की तलाश कर रहे हैं तो आपको कीटों की दुनिया के बाहर झांकना होगा.
थिंकस्टॉक इमेजImage copyrightthinkstock
साल 2014 के शुरू में दक्षिण कैलिफोर्निया में घुन की एक प्रजाति पाराटर्सोटोमस मैक्रोपालपिस की गति 0.225 मीटर प्रति सेकंड रिकॉर्ड की गई.
वैसे ऐसा लग सकता है कि यह गति काफी धीमी है पर अगर इसकी शरीर की लंबाई (0.7 मिलीमीटर) को देखें तो यह 322 बीएल प्रति सेकंड होता है.
मेरिट ने उन जीवों पर भी ग़ौर किया जो इस तरह की तेज़ गति से दौड़ते हैं.
थिंकस्टॉक इमेजImage copyrightthinkstock
मेरिट ने इस आधार पर उनको नज़रअंदाज़ किया कि शरीर के आकार को सामान्य तौर पर अन्य तरह की प्रतियोगिताओं में ध्यान में नहीं रखा जाता है.
यही प्रक्रिया ज़मीन पर चलने वाले सबसे तेज़ वाहन के मामले में अपनाई जाती है.
छोटे पशुओं या कीड़ों को उनके आकार का अनुचित लाभ मिलता है. पाराटर्सोटोमस मैक्रोपालपिस रुक सकता है, अपनी दिशा बदल सकता है और अपनी गति बहुत फुर्ती में बढ़ा सकता है, क्योंकि साइज़ छोटा होने के कारण उसको हवा का ज्यादा प्रतिरोध नहीं झेलना पड़ता.
तो ये आप पर निर्भर है कि आप किस आधार पर चैंपियन तय करना चाहते हैं, क्योंकि अलग-अलग मापदंड अपनाते हुए आप अलग-अलग निशकर्ष पर पहुँच सकते हैं.

No comments

Thanks

Theme images by konradlew. Powered by Blogger.