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बेटे की चाहतः 18 साल में 15 बच्चे, अब 16वें का इंतजार



बेटे की चाहतः 18 साल में 15 बच्चे, अब 16वें का इंतजार



दाहोद। गुजरात के दाहोद जिले में झारीबुझी गांव में रहने वाले आदिवासी रामसिन्ह और कानू की शादी करीब 18 साल पहले हुई थी। उन्हें उम्मीद है कि उनका 16वां बच्चा लड़का होगा।
पुत्र मोह में इस सीमांत किसान के 12 जीवित लड़कियां हो गई हैं, जबकि दो की मौत हो चुकी है। एक लड़के का जन्म वर्ष 2013 में हुआ था। मगर, रामसिन्ह एक और पुत्र की लालसा की अपनी जिद छोड़ने को तैयार नहीं है। उसकी पत्नी कानू चाहती हैं कि वह अपना गर्भाशय निकलवा दे।
कानू के मुताबिक, उन्होंने अपने पति से कहा कि उन्हें भगवान की इच्छा का सम्मान करना चाहिए, जिन्होंने एक पुत्र दिया है। हमें दूसरे पुत्र की प्राप्ति की जिद छोड़ देनी चाहिए। अब वह गर्भाश्य निकलवा देना चाहती हैं, क्योंकि उनका शरीर कमजोर हो गया है और वह अब एक और गर्भावस्था के लिए तैयार नहीं हैं।
मगर, रामसिन्ह का कहना है कि एक और बेटी के जन्म के बाद पुत्र प्राप्ति के लिए एक आखिरी कोशिश करना अहम है। इस दंपति की सबसे बड़ी बेटी सेवांता 17 वर्ष की और नीरू 15 वर्ष की है। दोनों की शादी इस वर्ष मार्च में हो चुकी है। इसके बाद इस दंपति के सारंगा (14), हंसा (13), जोशना (12), रंजन (10), मीना (9), पायल (8), मोनी (7), हसीना (5), किंजल (4), बैगन (3) और विजय (18 महीने का) बच्चे हैं।
इनमें से पायल, मोनी, हसीना व किंजल सरकारी प्राथमिक स्कूल में पढ़ती हैं। उनकी दो बेटियां काली व ओवंती की करीब सात साल पहले अज्ञात बीमारी से मौत हो गई थी। कानू इस डर से अपनी पति की इच्छा का विरोध नहीं कर पा रही है कि कहीं रामसिन्ह उसे छोड़ न दे।
कानू ने बताया कि पहली सात गर्भावस्था के बाद जब वह लड़के को पैदा नहीं कर पाईं तो उसके पति ने कहा था कि वह एक दूसरी औरत ले आएगा और लड़के का पिता बनने के लिए उससे शादी कर लेगा। कानू कहती है कि वह अनाथ है और पति से अलग नहीं होना चाहती थी। इसलिए वह पति के दबाव में उसका कहा मानने को मजबूर हो गई।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, दाहोद में लिंगानुपात 1000 बच्चों पर 948 लड़कियों का है, जो कि वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार लड़कों पर 967 लड़कियों का था। कानू के गांव में करीब 100 घर हैं और कई घरों में नौ बच्चे तक हैं।

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