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Indian Ayurved:-डायरिया रोग का कारण, लक्षण और उपचार(treatment of Diarrhea)

डायरिया (Diarrhea)

परिचय:-

डायरिया रोग बच्चों में बहुत ज्यादा फैलने वाला रोग है। लेकिन कुछ स्थितियों में यह रोग बड़े व्यक्तियों को भी हो सकता है। जब कोई व्यक्ति मौसम के अनुसार भोजन सम्बंधी नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके पाचनअंगों की कार्यशैली प्रभावित हो जाती है उस व्यक्ति को डायरिया रोग हो जाता है।

          सर्दी के मौसम में शरीर के सभी अंगों की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं जिसके कारण व्यक्ति को कब्ज रोग हो सकता है। इसी प्रकार बरसात के मौसम में तथा गर्मी के मौसम में भी स्वस्थ व्यक्ति को डायरिया रोग हो जाता है।

डायरिया रोग होने के लक्षण:-

          इस रोग से पीड़ित रोगी को दस्त होने लगते हैं तथा उसके शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इस कारण से व्यक्ति को अपने शरीर में अधिक कमजोरी और थकावट महसूस होने लगती है। डायरिया रोग के रोगी को उल्टियां और शरीर में बेचैनी भी होने लगती है।

डायरिया रोग होने के कारण:-  

जीवाणुओं या कीटाणुओं द्वारा संक्रमित होने पर या बड़ी आंतों में सूजन तथा घाव होने पर या फिर अन्य किसी बीमारी का उपचार कराने के लिए शक्तिशाली एंटीबायोटिक्स दवाइयां लेने के कारण व्यक्ति को डायरिया रोग हो जाता है।
 भोजन के प्रति उदासीन रुख अपनाने के कारण भी डायरिया रोग हो सकता है।हमारी आंतों में पानी को रोकने की क्षमता एक सीमा तक रहती है।
जब इस क्षमता से अधिक पानी आंतों में पहुंचता है तो आंते पानी को रोक नहीं पाती है जिसके कारण व्यक्ति को डायरिया रोग हो जाता है।किसी भोजन को करने से एलर्जी होने की वजह से भी डायरिया रोग हो जाता है।आंतों में कार्बोहाइड्रेट्स के ठीक तरह से न पचने तथा इसके पेट में पड़े-पड़े सड़ने के कारण भी डायरिया रोग की उत्पत्ति हो जाती है।
अधिक समय तक उत्तेजक दवाइयों का सेवन करने के कारण भी व्यक्ति को डायरिया रोग हो जाता है।

कारण

जरूरत से ज्यादा भोजन करने,
ठीक समय पर भोजन न करने,
मानसिक परेशानियों,
डर तथा चिंता के कारण भी डायरिया रोग हो सकता है

बरसात के दिनों में अधिक रस युक्त फलों तथा सब्जियों का सेवन करने के कारण भी डायरिया रोग हो सकता है।
अधिक वसायुक्त भोजन, मसालेदार भोजन, डिब्बाबंद बनावटी भोजन तथा आंतों में जलन पैदा करने वाला भोजन करना भी डायरिया रोग होने का कारण होता है।

किसी रोग के कारण आंतों के ठीक प्रकार से काम न करने के कारण भी डायरिया रोग हो जाता है।गर्मियों के दिनों में शरीर से पसीना न निकलने के कारण भी डायरिया रोग हो सकता है, क्योंकि पसीना आने से शरीर की गंदगी बाहर निकलती है और जब यह शरीर से बाहर नहीं निकलती है तो इसके शरीर में जमा होने के कारण व्यक्ति को डायरिया रोग हो जाता है।

डायरिया रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

इस रोग से पीड़ित रोगी को सबसे पहले डायरिया रोग होने के कारणों को दूर करना चाहिए। फिर इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा से इस रोग का उपचार करना चाहिए।यदि रोगी व्यक्ति को बार-बार दस्त हो रहे हों तो उसे दस्त रोकने वाली दवाइयां नहीं खानी चाहिए नहीं तो रोग की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।इस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में बिस्तर से उठने के बाद कटिस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद पेट पर ठंडी सिंकाई करनी चाहिए।रोगी व्यक्ति को दिन में कई बार बारी-बारी से ठंडा तथा गर्म स्नान करना चाहिए।रोगी व्यक्ति को अपने पेट की सफाई करने के लिए एनिमा क्रिया करनी चाहिए तथा दिन में नींबू का रस पानी में मिलाकर पीते रहना चाहिए। डायरिया रोग से पीड़ित रोगी को भोजन करने के बाद सबसे पहले सीधी करवट लेकर लेटना चाहिए तथा इसके बाद कम से कम 8 बार गहरी सांस लेनी चाहिए। फिर इसके बाद सीधा लेटना चाहिए तथा कम से कम 15 बार गहरी-गहरी सांस लेनी चाहिए और फिर बाईं करवट लेटकर 30 बार गहरी-गहरी सांस लेनी चाहिए। इस प्रकार से दिन में कई बार व्यायाम के साथ-साथ सांस लेने की क्रिया करने से डायरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।डायरिया रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन तथा यौगिक क्रियाएं भी हैं जिनको कुछ दिनों तक लगातार करने से डायरिया रोग ठीक हो जाता है। ये आसन तथा यौगिक क्रियाएं इस प्रकार हैं- पद्मासन, पर्वतासन, पवन मुक्तासन, वज्रासन, भुंजगासन, धनुरासन, मत्स्यासन तथा योग मुद्रा आदि।कुछ दिनों तक लगातार सुबह के समय में सांस लेने वाले प्राणायाम करने से डायरिया रोग ठीक हो जाता है।डायरिया रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में एक गिलास सन्तरे का रस पीना चाहिए।डायरिया रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में एक गिलास सेब का रस पीना चाहिए तथा इसके बाद एक गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए। इससे डायरिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।डायरिया रोग से पीड़ित रोगी को अपनी नाभि के ऊपर तथा चारों तरफ सरसों का तेल लगाना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत लाभ मिलता है।नींबू के रस के साथ सौंफ का सेवन करने तथा इसके बाद भोजन करने से डायरिया रोग से पीड़ित रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। जब यह रोग एक दिन में ठीक न हो तो तथा दस्तों में मल का निकलना बंद हो जाए या सिर्फ पानी ही निकलता रहे तो रोगी व्यक्ति को फलों का रस जैसे-अनार का रस अधिक मात्रा में पीना चाहिए या फिर मट्ठे में थोड़ा सा नमक डालकर सेवन करना चाहिए।इस रोग से पीड़ित रोगी को दिन में कम से कम 3-4 बार केले का सेवन करना चाहिए क्योंकि केला शरीर से निकले हुए द्रव्यों की पूर्ति करता है। केले के सेवन से डायरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।यदि डायरिया रोग से पीड़ित रोगी को उल्टियां होने लगे उसे गाजर का रस थोड़ा सा गर्म करके एक-एक घण्टे के बाद पीते रहना चाहिए। इससे आंतों में बैक्टीरिया की उत्पत्ति रुक जाती है तथा उल्टियां भी बंद हो जाती है।डायरिया रोग से पीड़ित रोगी को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह जो भी चीजों का सेवन करे वह न तो ज्यादा गर्म हो और न ही ज्यादा ठंडी।डायरिया रोग से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक 2 केलों को कुचलकर एक कप दही में मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।अमरूद की कुछ कोमल पत्तियों को पानी में कम से कम 5 मिनट तक उबालकर उसका काढ़ा बनाकर दिन में 3-4 बार पीने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।एक गिलास मट्ठे में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार सेवन करने से डायरिया रोग ठीक हो जाता है।तुलसी के पत्तों को दिन में कम से कम 4 बार चबाने से डायरिया रोग ठीक हो जाता है।1 लीटर पानी को उबालकर ठंडा कर लें तथा उसमें 8 चम्मच चीनी तथा 1 चम्मच नमक मिलकर घोल बना लें। इस घोल को रोगी व्यक्ति को थोड़े-थोड़े समय बाद पिलाते रहने से डायरिया रोग ठीक हो जाता है।




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