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पीलिया और पथरी में रामबाण दवा है नींबू, कुछ काम के पारंपरिक नुस्खे(Jaundice is a panacea in and lime stones, some traditional recipes

कोई भी मौसम हो, नींबू एक ऐसा फल है जो हर मौसम में मिलता है। यह केवल खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता, बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी मौजूद हैं। नींबू में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी होता है। सिर्फ नींबू ही नहीं इसकी परिवार के अन्य सदस्य भी जबरदस्त गुणों से भरपूर है। आदिवासी इनका उपयोग सदियों से कई रोगों के उपचार में करते आ रहे हैं।
आदिवासी हर्बल जानकार जिन्हें भगत और भुमका कहा जाता है, वे इस ज्ञान के पारंगत है और सारा समुदाय इन्हें देवतुल्य मानता है। इस लेख के जरिए हम जिक्र करेंगे तीन अलग-अलग प्रकार के नींबू परिवार के फलों और उनकी उपयोगिता के बारे में ......
1. लेंडी पीपर 5 नग, जिसे पिप्पली भी कहा जाता है। काली मिर्च (5), अदरक 2 ग्राम, नींबू रस (2 मिली) और चुटकी भर काला नमक लेकर मिलाया जाए। पीलिया के रोगी को दिन में कम से कम 2 बार दिया जाए तो पीलिया जल्दी ठीक हो जाता है।
2. कागजी नींबू का रस और करीब एक कप नींबू के रस में 1 ग्राम काला नमक मिलाकर पीने से किडनी में फंसी पथरी बाहर निकल जाती है।
3. छांव में सुखाए गए संतरे के छिलकों को बारीक पीस लें और घी के साथ बराबर मात्रा में मिलाएं। इसे 1-1चम्मच दिन में 3 बार लेने से बवासीर में आराम मिलता है।

4. पके हुए कागजी नींबू में 2 से 3 लौंग, एक कालीमिर्च, 5 ग्राम अजवाइन , अदरक 3 ग्राम और चुटकी भर नमक भर दे। इस फल को छांव में 2 दिनों के लिए रख दें और जब यह सूख जाए तो इसका चूर्ण बना लें। चूर्ण की 1 ग्राम मात्रा दिन में तीन से 4 बार लेने से दस्त या पेट दर्द में आराम मिलता है।
5. एक चुटकी हल्दी, एक चम्मच दूध की मलाई को आधा चम्मच नींबू रस के साथ अच्छी तरह मिलाकर फोड़े फुंसियों पर लगा लेने से जल्द आराम मिलता है।

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