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पालक खाने से खत्म होती है पथरी



पालक विश्व में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली हरी सब्जी है। यह मूल रूप से ईरान की उपज थी। चीन में यह सातवीं शताब्दी में लाया गया। यूरोप के लोगों ने इसे बारहवी शती में जाना और अमेरीका मे यह 18 वी शताब्दी में पहुंचा, मगर प्राचीन भारत के आयुर्वेद ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। पालक को गुणकारी सब्जी माना जाता है, लेकिन केवल हिमोग्लोबिन बढ़ाने की दृष्टि से। बहुत कम लोग जानते हैं कि पालक में इसके अलावा और कई गुण भी है। जिनसे सामान्य लोग अनजान है तो आइए आज हम आपको पालक के कुछ ऐसे ही अद्भुत गुणों से अवगत करवाते हैं। इसका वानस्पतिक नाम स्पीनेसिया ओलेरेसिया है।
100 ग्राम पालक में 26 किलो कैलोरी उर्जा ,प्रोटीन 2.0 %,कार्बोहाइड्रेट 2.9% ,नमी 92%, वसा 0.7%, रेशा 0.6% ,खनिज लवन 0.7% होता है। पालक में खनिज लवण जैसे कैल्सियम ,लौह, व विटामिन ए ,बी ,सी आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इसी गुण के कारण इसे लाइफ प्रोटेक्टिव फ़ूड कहा जाता हैं। पालक में विटामिन ए,बी,सी,लोहा और कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। कच्चा पालक गुणकारी होता है। पूरे डायजेस्टिव सिस्टम को ठीक करता है। खांसी या फेफड़ों में सूजन हो तो पालक के रस के कुल्ले करने से लाभ होता है। पालक का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। ताजे पालक का रस रोज पीने से आपकी मैमोरी भी बढ़ सकती है। इसमें आयोडीन होने की वजह से यह दिमागी थकान से भी छुटकारा दिलाता है।
1. पालक के पत्तों का रस और नारियल पानी की समान मात्रा मिलाकर सुबह-शाम ली जाए तो पथरी घुलकर बाहर निकल जाती है।
2. डांग ( गुजरात ) के आदिवासियों के अनुसार ककड़ी, पालक और गाजर की समान मात्रा का जूस तैयार कर पीने से बाल घने और लंबे होते हैं।
3. पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और सांस के रोगों में खूब लाभ मिलता है।
4. पीलिया के दौरान रोगी को पालक का रस कच्चे पपीते में मिलाकर दिया जाए तो अच्छा होता है, डांग - गुजरात के आदिवासी पीलिया होने पर रोगी को छिलके वाली मूंग की दाल में पालक डालकर तैयार की गई सब्जी खिलाते है
5. लो ब्लडप्रेशर के रोगियों को रोजाना पालक की सब्जी का सेवन करना चाहिए। माना जाता है कि यह ब्लड सर्कुलेशन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
6. थायरॉइड में एक प्याला पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
7. पातालकोट के आदिवासी पालक के जूस से कुल्ला करने की सलाह देते है, इनके अनुसार ऐसा करने से दांतों की समस्याओं, मुंह की बदबू जैसे विकार दूर हो जाते है।

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