loading...
loading...

ये चीज खाने से चमकने लगता है चेहरा

वर्तमान समय में बाल हो या चेहरा दोनों को ही स्वस्थ और चमकदार बनाने के लिए लोग तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स का यूज करते हैं, जो कि वास्तव में किसी को खूबसूरत नहीं बना सकते। दरअसल, कुछ समय के लिए ये प्रॉडक्ट्स भले ही आपको ग्लोइंग दिखने में मदद कर दें, लेकिन हमारे बड़े-बुजूर्गों का ये मानना है कि खूबसूरती हमेशा खानपान से होती है। कुछ साधारण चीजें ऐसी है जिन्हें यदि आप अपने खानपान में शामिल कर लें तो अापका चेहरा व बाल हमेशा स्वस्थ और चमकदार बने रहेंंगे। आइए जानते हैं खाने पीने की कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में...
1. चेहरा चमकाए ककड़ी
सलाद के तौर पर उपयोग में लाई जाने वाली ककडी, भारतीय व्यंजन का एक प्रमुख हिस्सा है। ककडी आमतौर पर भारत के अधिकांश राज्यों में उगाई जाती है। ककडी का वानस्पतिक नाम कुकुमिस सटाईवस है। माना जाता है कि ककड़ी असानी से पच जाती है और डाइजेशन को ठीक करती है। ककडी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, केल्शियम, लौह तत्व, फाॅस्फोरस, विटामिन के अलावा अन्य खनिज प्रचुरता से पाए जाते है।चेहरे की सफ़ाई और चमक बढ़ाने के लिए ककड़ी का रस (2 चम्मच) तैयार कर इसमें कुछ बूंदें नींबू का रस व चुटकी भर पिसी हुई हल्दी को मिला लें और लेप बना लें। इसे चेहरे और गर्दन पर अच्छी तरह फ़ैलाते हुए लगा लें। करीब 20 मिनट बाद इसे रगडते हुए धो लें, चेहरा खिल उठता है।
ककडी का जूस रोजाना पीने से चेहरे से मुहांसे, कील, दाग और धब्बे धीरे-धीरे मिट जाते है। वैसे आदिवासी मानते है कि ककड़ी का रस लगातार सेवन करते रहने से बालों का असमय पकना और झड़ना बिल्कुल बंद हो जाता है।ककडी के रस से बालों को मालिश देने से और धोने से रूसी खत्म हो जाती है। साथ ही, बालों के झडने का सिलसिला खत्म हो जाता है। डांग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार ककडी, पालक और गाजर की समान मात्रा का जूस तैयार कर पीने से बालों का बढ़ना शुरू हो जाता है। एक कप ककडी के रस का सेवन रोजाना हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए बेहतर होता है।
2. बालों के लिए तिल
तिल अपने बीजों की वजह से प्रचलित पौधा है, इसके बीजों से खाद्य तेल मिलता है। वैसे बीजों के रंगो के आधार पर देखा जाए तो तिल तीन प्रकार का होता है, लाल, काला और सफेद। काले तिल का उपयोग औषधि के रूप में गुणकारी माना गया है। तिल का वानस्पतिक नाम सेसमम इंडिकम है। इसके तेल में प्रोटीन, सिसेमोलिन, लाइपेज, पामिटिक, लिनोलीक एसिड तथा कई प्रकार के ग्लिसराइडस पाए जाते हैं। देसी मोम 5 ग्राम तिल का तेल 20 ग्राम मिलाकर गर्म किया जाए और पेस्ट बन जाने पर फ़टे हुए पैरो या बिवाई पर लगाया जाए तो आराम मिल जाता है। आदिवासियों के अनुसार तिल की जड़ और पत्तों का काढा बना लिया जाए व इससे बालों को धोया जाए तो बालों का रंग काला हो जाता है।
डांगी आदिवासियों की मानी जाए तो तिल के तेल को रोजाना बालों में लगाने से बाल काले हो जाते है और इनका झड़ने का क्रम रुक जाता है।साथ ही, रूसी से भी छुटकारा मिल जाता है। काले तिल के बीजों का सेवन और तिल के बीजों को दूध में पीसकर प्रसूता महिलाओं की छाती पर लेप किया जाए तो स्तनों से दूध आना शुरू हो जाता है।एक कप तिल के तेल में 8 लहसून की कलियां डालकर गर्म किया जाए और ठंडा होने पर कमर से लेकर जांघों तक इससे मालिश कि जाए तो सायटिका में काफ़ी फ़ायदा होता है। माना जाता है कि तिल के तेल की मालिश करने से शरीर की चर्बी कम हो जाती है।

No comments

Thanks

Theme images by konradlew. Powered by Blogger.