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अण्डकोष की जलन और जलन (Inflammation of the testicles)

अण्डकोष की जलन (Inflammation of the testicles)

परिचय :

इस रोग में अण्डग्रंथि या इनकी आवरण झिल्ली में प्रदाह या जलन उत्पन्न होने से जो सूजन होती है। उससे अण्डकोष के आकार में काफी वृद्धि हो जाती है। इसी को अण्डकोष की जलन कहते है। इसमें पानी जमने की शिकायत नहीं होती है। केवल जलन उत्पन्न सूजन होती है।

भोजन तथा परहेज :  

इस रोग में चावल, कच्चा दूध, दही, पके केले से परहेज करना चाहियें।

चिकित्सा:

शराब

शराब के साथ खुरासानी अजवायन को पीसकर अण्डकोष की जलन वाली जगह लेप करने से अण्डकोष के सूजन और दर्द कम हो जाते है।

नागदन्ती

3-6 ग्राम नागदन्ती की जड़ की छाल सुबह-शाम दालचीनी या लौंग के साथ सेवन करने से अण्डकोष की जलन कम हो जाती है।

पान

पान के पत्ते पर चूना, कत्था, तंबाकू डालकर बने बीड़े को पीसकर उसमें थोड़ा-सा घी मिलाकर एरण्ड के पत्ते पर फैलाकर कसकर बांधने से अण्डकोष की जलन, दर्द, कम हो जाता है।

पलास

पलास के फूल की पोटली बनाकर नाभि के नीचे बांधने से मूत्राशय के रोग समाप्त हो जाते है और अण्डकोष की सूजन भी नष्ट हो जाती है।
पलास की छाल को पीसकर लगभग चार ग्राम की मात्रा में पानी के साथ दिन में 2 बार देने से अण्डवृद्धि या अण्डकोष का बढ़ना समाप्त हो जाता है।

सौंफ

6 ग्राम सौंफ के चूर्ण को सुबह-शाम सेवन करने से अण्डकोष की जलन मिट जाती है।

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