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भगन्दर क्या होता है (Fissure)

भगन्दर (Fissure)

परिचय

भगन्दर रोग से पीड़ित रोगी के मलद्वार की त्वचा में दरार पड़ जाती है और यह दरार वहां की मांसपेशियों की गहराई तक पहुंच जाती है। जिसके कारण से रोगी को मल त्याग करते समय बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रोगी जब मल त्याग करता है तो उसे दर्द तथा जलन महसूस होती है।

भगन्दर रोग के लक्षण

इस रोग से पीड़ित रोगी को गुदा के आसपास दर्द होता है तथा शौच करते समय उसे बहुत तेज दर्द होता है।
भगन्दर रोग से पीड़ित रोगी को गुदा में से कभी-कभी खून भी आ जाता है तथा उसके गुदा के चारों तरफ खुजली भी होने लगती है।

भगन्दर रोग होने का कारण

भगन्दर रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण गलत तरीके का भोजन करना है जिसके कारण से रोगी को कब्ज की शिकायत हो जाती है और कब्ज के कारण रोगी को सख्त मल आता है जो गुदा के मुंह की रचना एवं झिल्ली को तोड़ देता है जिसके कारण से मलद्वार के आस-पास दरारे पड़ जाती हैं।

भगन्दर रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार
भगन्दर रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को अपने कब्ज के रोग को दूर करना चाहिए ताकि उसका मल नियमित रूप से और नर्म आए।भगन्दर रोग से पीड़ित रोगी को 4-5 दिनों तक फलों तथा फलों के रस का सेवन करना चाहिए। फलों में मौसमी, संतरा, अनन्नास, गाजर, लौकी, सफेद पेठा, पपीता, सेब, अमरूद तथा अंगूर आदि का सेवन करना चाहिए। फिर इसके बाद रोगी को सामान्य तथा संतुलित भोजन करना चाहिए जिसमें चोकर समेत आटे की रोटी, छिलके समेत दालें, अंजीर, खजूर तथा हरी पत्तेदार सब्जियां आदि शामिल होनी चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।भगन्दर रोग से पीड़ित रोगी को कभी भी चीनी तथा चीनी निर्मित (बनाई गई) खाद्य पदार्थ और तली-भुनी चीजें बिलकुल भी नहीं खानी चाहिए।भगन्दर रोग से पीड़ित रोग को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए तथा प्राकृतिक चिकित्सा से अपना उपचार कराना चाहिए।भगन्दर रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को नीम के पानी से अपने गुदा द्वार को धोना चाहिए तथा प्रतिदिन गरम पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए। इसके साथ-साथ रोगी को अपने पेट तथा गुदा पर मिट्टी की पट्टी तथा सूखा घर्षण करना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।भगन्दर रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त हरी बोतल का जल दवाई की मात्रा के अनुसार दिन में 6 बार पीना चाहिए।भगन्दर रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन तथा योग क्रियाएं हैं जिनको करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है, ये आसन तथा योग क्रियाएं इस प्रकार हैं- योगमुद्रासन, उत्तानपादासन, सुप्त पवनमुक्तासन, वज्रासन, भुजंगासन, शलभासन, शवासन, योगमुद्रा तथा नियमित रूप से व्यायाम।

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