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गर्मी में कैसा हो आपका खान-पान

गर्मी में कैसा हो आपका खान-पान

गर्मी में क्या खाना चाहिए और किस-किस से करें परहेज़
गर्मी के मौसम की दिनचर्या
Summer Routine : Food, water and shelter

गर्मी अनेक समस्याओं के साथ दस्तक दे चुकी है। सावधानी न बरती जाए तो इस मौसम में बीमार पड़ना तय-सा हो जाता है। राजेश मिश्रा बता रहे हैं इस मौसम में अपनी और परिवार की देखभाल करने के उपाय।
गर्मियां हमारे शरीर को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। इस मौसम में बाहरी तापमान बढ़ने से हमारे शरीर का ताप भी बढ़ जाता है, इसलिए हमें ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए, जो शरीर को ठंडा रखे। गर्मियों में हमारा पाचन-तंत्र भी कमजोर पड़ जाता है, इसलिए जरूरी है कि ताजा और हल्का भोजन किया जाए। बढ़ता तापमान संक्रमण का खतरा भी बढ़ा देता है, इसलिए इस मौसम में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। गर्मियों में अधिक समय घर से बाहर न बिताएं।
बदलती ऋतुओं के अनुसार शरीर में स्वाभाविक रासायनिक परिवर्तन होते हैं और इस परिवर्तन में ऋतूचर्यानुसार खाध्य पदार्थों का सेवन किया जाए तो वात-पित्त-कफ के उभार से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है| यहाँ राजेश मिश्रा करेंगे  गर्मी की ऋतू में अच्छी सेहत के लिए सेहतमंद दिन चर्या की बात -
अल सुबह उठते ही 2-3 गिलास पानी पीना चाहिए| इसके बाद शौच,दन्त सफाई,आसान और प्राणायाम नियमित रूप से करें| अब रात को पानी भिगोये हुए 11  बादाम को छिलके उतारकर पीसकर एक गिलास दूध के साथ पीएं| इसके नियमित प्रयोग से शारीरिक तंदुरुस्ती मिलती है और आंतरिक उष्मा शांत होती है| गर्मी के मौसम में तले भुने,गरिष्ठ और ज्यादा मसालेदार पदार्थों की बजाय फल फ्रूट ,हरी सब्जियों के सलाद और जूस का ज्यादा इस्तेमाल करना बेहद फायदेमंद रहता है| इससे गर्मी की वजह से पसीना होने से होने वाली पानी कमी का पुनर्भरण भी होता रहता है|
ग्रीष्म ऋतू में बाजारू चीजें खाने से बचने की सलाह दी जाती है| इस मौसम में शारीरिक कमजोरी, अपच,  दाद, पेचिश, सीने में जलन, खूनी बवासीर, मुहं की बदबू आदि रोगों से बचने का सरल उपचार भी लिख देता हूँ| खाली पेट,नींबू का रस आंवले का रस और हरे धनिये का रस मिश्री मिलाकर पीने से कई रोगों से बचाव हो सकता है| दोपहर और सांयकालीन भोजन में चावल के साथ अरहर,मूंग,उडद की दाल और हरी पत्तीदार सब्जियों का समावेश करें| छाछ व् दही का सेवन करना हितकारी है| रात का भोजन ना करें तो ज्यादा अच्छा|
गर्मी में घर से बाहर निकलने के पहले 2 गिलास पानी जरूर पी लेना चाहिए| टमाटर, तरबूज, खरबूज, खीरा ककड़ी, गन्ने का रस और प्याज का उपयोग करते रहना चाहिए| इन चीजों से पेट की सफाई होती है और अंदरूनी गर्मी शांत होती है|

गर्मी दूर भगाने के कारगर तरीके-

नींबू पानी- यह गर्मी के मौसन का देसी टानिक है| शरीर में विटामिन सी की मात्रा कम हो जाने पर एनीमिया, जोड़ों का दर्द, दांतों के रोग, पायरिया, खांसी और  दमा जैसी दिक्कते हो सकती हैं| नींबू में भरपूर विटामिन सी होता है| अत: इन बीमारियों से दूरी बनाए रखने में यह उपाय सफल रहता है| पेट में खराबी होना, कब्ज, दस्त होना में नींबू के रस में थौड़ी सी हींग, काली मिर्च, अजवाइन, नमक , जीरा मिलाकर पीने से काफी राहत मिलती है|

तरबूज का रस- 

तरबूज के रस से एसीडीटी का निवारण होता है| यह दिल के रोगों डायबीटीज व् केंसर रोग से शरीर की रक्षा करता है|

पुदीने का शरबत- 

गर्मी में पुदीना बेहद फायदेमंद रहता है| पुदीने को पीसकर स्वाद अनुसार नमक,चीनी जीरा मिलाएं| इस तरह पुदीने का शरबत बनाकर पीने से लू.जलन, बुखार, उल्टी व गैस जैसी समस्याओं में काफी लाभ होता है|

ठंडाई- 

गर्मी में ठंडाई काफी लाभ दायक होती है| इसे बनाने के लिये खस खस और बादाम रात को भिगो दें|सुबह इन्हें मिक्सर में पीसकर ठन्डे दूध में मिलाएं| स्वाद अनुसार शकर मिलाकर पीएं| गर्मी से मुक्ति मिलेगी|

गन्ने का रस- 

गर्मी में गन्ने का रस सेहत के लिये बहुत अच्छा होता है| इसमें विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं| इसे पीने से ताजगी बनी रहती है| लू नहीं लगती है| बुखार होने पर गन्ने का रस पीने से बुखार जल्दी उतर जाता है| एसीडीटी की वजह से होने वाली जलन में गन्ने का रस राहत पहुंचाता है| गन्ने के रस में नीम्बू मिलाकर पीने से पीलिया जल्दी ठीक होता है| गन्ने के रस में बर्फ मिलाना ठीक नहीं है|

छाछ - 
गर्मी के दिनों में छाछ का प्रयोग हितकारी है| आयुर्वेद शास्त्र में छाछ के लाभ बताए गए हैं| भोजन के बाद आधा गिलास छाछ पीने से फायदा होता है| छाछ में पुदीना ,काला नमक,जीरा मिलाकर पीने से एसीडीटी की समस्या से निजात मिलती है|

खस का शरबत - 

गर्मी में खस का शरबत बहुत ठंडक देने वाला होता है| इसके शरबत से दिमाग को ठंडक मिलती है| इसका शरबत बनाने के लिये खस को धोकर सुखालें| इसके बाद इसे पानी में उबालें| और स्वाद अनुसार शकर मिलाएं| ठंडा होने पर छानकर बोतल में भर लें|

सत्तू - 

यह एक प्रकार का व्यंजन है| इसे भुने हुए चने , जोऊं और गेहूं पीसकर बनाया जाता है| बिहार में यह काफी लोकप्रिय है| सत्तू पेट की गर्मी शांत करता है| कुछ लोग इसमें शकर मिलाकर तो कुछ लोग नमक और मसाले मिलाकर खाते हैं|

आम पन्ना - 

कच्चे आम को पानी में उबालकर उसका गूदा निकाल लें| इसमें शकर, भुना जीरा, धनिया, पुदीना, नमक मिलाकर पीयें| गर्मी की बीमारियाँ दूर होंगी|

हर दो घण्टे में 24 आउंस पानी पिएं

लोग अमूमन प्यास लगने पर पानी पीते हैं, जबकि डिहाइड्रेशन से बचने का तरीका यह है कि हर 10 मिनट पर पानी पीते रहें और प्यास लगने की नौबत ही न आए। डायटीशियन नीतू चांदना कहती हैं, ‘एक वयस्क व्यक्ति को गर्मी के मौसम में घर से निकलते वक्त 17 से 20 आउंस पानी पीना चाहिए। अगर खाली पानी न पिया जाए तो जूस या सूप के रूप में लिक्विड ले लें।’
जितनी देर बाहर रहें, हर 10 मिनट पर 7 से 10 आउंस पानी लेते रहें। ध्यान रहे कि हर दो घण्टे में शरीर को 24 आउंस पानी की जरूरत होती है। इसके अलावा अगर सिर दर्द या शरीर में खिंचाव महसूस हो तो भी तुरंत पानी पिएं। पानी के अलावा सोडियम, पोटेशियम और नमक की कमी से भी डिहाइड्रेशन होता है, इसीलिए नमक खूब खाएं। फलों या स्नैक्स पर नमक ऊपर से डाल कर खाएं। सोडियम और पोटैशियम के लिए तरबूज, लीची, दही खाएं।

अदरक, काली मिर्च, तुलसी खाएं

नीतू सलाह देती हैं कि खाने में तुलसी की पत्ती और तुलसी के बीज का इस्तेमाल करें। तुलसी शरीर के लिए एक तरह से एंटीसेप्टिक का काम करती है। इसके अलावा सब्जी की ग्रेवी में भुना बेसन डालें, ये दोनों ही चीजें शरीर को ठंडा रखती हैं। खाने में प्याज, अदरक, काली मिर्च और लहसुन की मात्र बढ़ा दें। ये मसाले खून को साफ रखते हैं और इन्हें खाने से चूंकि पसीना निकलता है, इसलिए शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है। एलर्जी और फूड प्वाइजनिंग जैसी बीमारियां अपनी गिरफ्त में नहीं लेतीं।

चीनी कम, शहद ज्यादा

खान-पान में मिठास जितनी ज्यादा होगी, शरीर को ऊर्जा उतनी ही मिलेग, इसलिए ऐसी चीजें खाएं, जो अच्छा कार्बोहाइड्रेट दे सकें। लेकिन चीनी से परहेज करें, क्योंकि चीनी शरीर को खराब कार्बोहाइड्रेट देती है, जिससे ऊर्जा तो मिलती है, मगर पाचन संबंधी शिकायत भी हो जाती है। चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल करें। इससे आपके शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत बनेगा। आप ग्रीन टी या दूध में शहद मिला कर पी सकते हैं। ऐसे फल खाएं, जिनमें ग्लूकोस का अंश हो। संतरा, मौसमी, लीची ऐसे ही फल हैं।

गर्मियों में क्या खाएं

मौसमी फल और सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करें। गर्मियों में मिलने वाली सब्जियां मुलायम, गूदेदार और नमी से भरपूर होती हैं, जो इस मौसम के लिहाज से बिल्कुल उपयुक्त होती हैं। ये सभी सब्जियां ठंडी तासीर वाली, पचने में आसान और उन सभी पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जो इस गर्म और आर्द्र मौसम से शरीर का तालमेल बैठाने के लिए जरूरी हैं। लौकी, करेला, तोरी, कद्दू, खीरा, टिंडा, परमल, भिंडी, चौलाई जैसी गर्मियों की सब्जियों का सेवन करें। खीरा, पुदीना, तरबूज, मौसमी का सेवन भी करें। ये प्यास बुझाने वाले होते हैं, क्योंकि इनमें सोडियम और कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है और एंटी ऑक्सीडेंट्स, कैल्शियम और विटामिन ए काफी मात्रा में होते हैं। आम और दही भी कूलिंग वाले भोजन हैं। इनमें पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है।
प्याज में क्वेरिस्टिंग होता है, जो गर्मी से त्वचा पर पड़ने वाले रैशेज में आराम पहुंचाता है। तरबूज और खरबूजे में करीब 90 प्रतिशत पानी होता है और ये पचने में भी आसान होते हैं। गर्मियों में आने वाले इन फलों का सेवन जरूर करें। इस मौसम में अंगूर भी खूब आते हैं, जिनका सेवन काफी फायदेमंद होता है। इनमें लायकोपीन होता है, जो त्वचा को अल्ट्रावॉयलेट किरणों के हानिकारक प्रभाव से बचाता है।
खाने के साथ सलाद जरूर खाएं। कच्ची सब्जियों से जरूरी एंजाइम मिलते हैं, जो शरीर को भोजन से पोषक तत्वों का अवशोषण करने में मदद करते हैं। शरीर जितने पोषक तत्वों का अवशोषण करेगा, उतना ही स्वस्थ रहेगा। सलाद फाइबर से भरपूर होने के कारण पाचन-तंत्र को भी दुरुस्त रखता है।

क्या न खाएं

  1. कैफीन से दूर रहें। इससे डीहाइड्रेशन बढ़ता है। 
  2. अधिक वसायुक्त और भारी भोजन न खाएं।
  3. तले हुए और मसालेदार भोजन से दूर रहें।
  4. बासी और गंदे माहौल में बना खाना न खाएं।
  5. प्रोसेस्ड और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से बचें।
  6. मिठाइयां कम से कम खाएं।

बढ़ा दें तरल पदार्थों का सेवन

गर्मी में हमारे शरीर को काम करने के लिए बहुत कम मात्रा में ऊष्मा की आवश्यकता होती है, इसलिए इस मौसम में हमें खाना कम खाना चाहिए और तरल पदार्थ ज्यादा लेने चाहिएं। डॉंक्टरों का कहना है कि गर्मियों में हमें अपने भोजन को खाना नहीं, पीना चाहिए। रोजाना तीन से चार लीटर पानी पिएं। इसके अलावा जूस, छाछ, लस्सी, नींबू पानी, नारियल पानी और आम पना का सेवन भी करें। डिब्बाबंद जूस का सेवन करने से बचें।

फलों, सब्जियों, दूध, ग्रीन टी और जूस में भी काफी मात्रा में पानी होता है। जो लोग इन चीजों का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं, उन्हें ज्यादा मात्रा में पानी की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए अगर आपको बार-बार पानी पीना पसंद नहीं है तो अपने डाइट चार्ट में उन चीजों की मात्रा बढ़ा दें।

गर्मियों में जल्दी खराब हो जाता है खाना

इस मौसम में बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं, इसलिए फूड पॉयजनिंग, डायरिया और उल्टी-दस्त के मामले अत्यधिक बढ़ जाते हैं। अधिकतर लोग सोचते हैं कि फ्रिज में रखी सब्जियां, फल और खाना लंबे समय तक खराब नहीं होता, जो गलत है। कच्ची सब्जियों और फलों को 2 से 4 दिन से अधिक समय तक न रखें।

डीहाइड्रेशन और संक्रमण से बचाव

गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी (डीहाइड्रेशन) हो जाती है, इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। शरीर में पानी की कमी होने से लू लगने की आशंका बढ़ जाती है। गर्मियों में घर से बाहर धूप में अधिक समय न बिताएं। इससे शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है, जिससे थकान, रक्तचाप कम होना, कमजोरी महसूस होना आदि समस्याएं हो सकती हैं। पानी के अलावा आप नारियल पानी, नींबू पानी, बेल के शरबत आदि से भी अपने शरीर में शीतलता बनाये रख सकते हैं। अपने युरिन के रंग पर नजर रखें। गहरे रंग का युरिन डीहाइड्रेशन की निशानी है। उसका रंग हल्का रखने के लिए अधिक मात्रा में पानी पिएं।
गर्मी के मौसम में दूषित जल पीने व बाहर के कटे-खुले खाद्य पदार्थ खाने के कारण हैजा, टाइफाइड, पीलिया, आंतों में सूजन व अनेक प्रकार के संक्रमणों के मामले बढ़ जाते हैं। कई बार अधिक खाना भी फूड पॉयजनिंग का कारण बन जाता है। घर पर बना सादा और सुपाच्य भोजन ही करें। बाहर खाने से बचें। कभी मजबूरी में बाहर खाना भी पड़े तो ऐसे रेस्तरां से खाएं, जहां ताजा और हाइजनिक खाना मिले।

रहें ऊर्जा से भरपूर

अपने दिन की शुरुआत एक गिलास पानी से करें। कम वसा वाला भोजन खाएं और ताजे फलों का रस पिएं। तले हुए और मसालेदार भोजन से बचें। अल्कोहल व कैफीन का सेवन कम करें, क्योंकि इनसे शरीर में पानी की कमी हो जाती है और आप सुस्ती अनुभव करते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

  • सब्जियों, फलों और बचे हुए खाने को तुरंत फ्रिज में रख दें।
  • फ्रिज का तापमान बहुत महत्वपूर्ण है। यह पांच डिग्री सेल्सियस से कम और फ्रीजर का तापमान -15 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
  • कच्चे और पके हुए मांस तथा सी फूड को ज्यादा समय तक स्टोर न करें, क्योंकि इनमें बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं।
  • यह जांचने के लिए कि भोजन सही है या नहीं, उसे चखना नहीं चाहिए, क्योंकि कई बार यह बेहद नुकसानदेह साबित होता है।
  • दूध और दुग्ध उत्पादों को लंबे समय तक सामान्य तापमान पर न रखें।
  • बचे हुए खाने को ज्यादा समय तक रेफ्रिजरेटर के बाहर न रखें। दोबारा सेवन करने से पहले उसे ठीक से गर्म कर लें।
  • एक्सपाइरी डेट के खाद्य पदार्थों का सेवन कतई न करें।
  • उबला या फिल्टर किया हुआ पानी ही पिएं।


स्वस्थ रहने के सूत्र

एक स्वस्थ जीवन शैली का चयन करना एक लंबी, अधिक पूरा जीवन हो सकता है। आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार से आप के आसपास हर किसी पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आप उदाहरण के माध्यम से अपने परिवार और दोस्तों के बेहतर आदतों को सिखा सकते हैं स्वस्थ रहने के विचार से भयभीत होने की जरूरत नहीं है. कुछ छोटे परिवर्तन करने से आपको बड़े परिणाम देखने को मिल सकते है।

मनुष्य के जीवन में स्वास्थ्य का सर्वाधिक महत्व है। स्वास्थ्य के बिना धन ,संपत्ति, मनोरंजन और अन्य सुविधाएं महत्व हीन हैं। कहते हैं जो व्यक्ति तन और मन से स्वस्थ् होता है, वह संसार का सबसे सुखी प्राणी है, क्योंकि स्वस्थ् तन में ही स्वस्थ् मन रहता है। हमारे ऋषि मुनियों ने शुरू से ही स्वास्थ्य के महत्व को स्वीकार किया है और स्वस्थ बने रहने के लिए प्रकृति के नियमों का पालन करने की सलाह दी है। जो मनुष्य सूर्योदय से पूर्व उठते हैं और अपनी दिनचर्या पूर्ण करके निर्धारित समय के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करते हैं, निष्काम भाव से कर्म करते हैं तथा रात्रि में समय पर शयन करते हैं वे हमेशा स्वस्थ् बने रहते हैं। स्वस्थ रहने का सबसे आसान मंत्र है- प्रकृति के नियमों का पालन, कठोर शारीरिक परिश्रम और पौष्टिक, सादा व गर्म भोजन। आपके बेहतर स्वास्थ्य के लिए हम यहाँ दे रहे कुछ टिप्स जिन पर अमल करके आप अपने आपको चुस्त-दुरुस्त रख सकते हैं।

ताजा हवा और धूप

सूरज की रोशनी के कई फ़ायदे है इस से आपकी त्वचा सूर्य के प्रकाश के संपर्क मे रहती है. इस से आपको विटामिन डी मिलता है जिससे आपके शरीर के निर्माण और मजबूत, स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है जो कैल्शियम को अवशोषित में मदद करता है।
1. दूध और कटहल का कभी भी एक साथ सेवन नहीं करना चाहिये ।
2. दूध और कुलत्थी भी कभी एक साथ नहीं लेना चाहिए।
3. नमक और दूध (सेंधा नमक छोड़कर) दूध और सभी प्रकार की खटाइयां, दूध और मूँगफली, दूध और मछली, एक साथ प्रयोग ना करें।
4. दही गर्म करके नहीं खाना चाहिये हानि पहुँचती है, कढ़ी बनाकर खा सकते हैं।
5. शहद और घी समान परिणाम में मिलाकर लेना विष के समान है।
6. जौ का आटा कोर्इ अन्न मिलाये बिना नहीं लेना चाहिए।
7. रात्रि के समय सत्तू का प्रयोग वर्जित है, बिना जल मिलाये सत्तू ना खायें।
8. तेज धूप में चलकर आने के बाद थोड़ा आराम करके ही पानी पियें, व्यायाम या शारीरिक परिश्रम के तुरन्त बाद पानी ना पियें या थोड़ी देर बाद पानी पियें।
9. प्रात:काल भोजन के पश्चात तेज गति से चलना हानिकारक है।
10. शाम को खाने के बाद थोड़ी देर चलना आवश्यक है, खाना खाकर तुरन्त सो जाना हानिकारक है।
11. रात्रि में दही का सेवन निषेध है, भोजन के तुरन्त बाद जल का सेवन निषेध है। दिन में भोजन के बाद मठ्ठा और रात्रि में भोजन के बाद दूध लेना लाभदायक होता है। वात के रोगों में ब्लड एसिडिटी, कफ वृद्धि या संधिवात में दही ना खायें।
12. शौच क्रिया के बाद, भोजन से पहले, सर्दी-जुकाम होने पर, दांतों में पीव आने पर और पसीना आने की दशा में पान का सेवन नहीं करना चाहिए।
13. सिर पर अधिक गर्म पानी डालकर स्नान करने से नेत्रों की ज्योति कम होती है जरूरत पड़ने पर गुनगुने पानी से स्नान कर सकते हैं।
14. सोते समय सिर पर कपड़ा बांधकर सोना, पैरों में मोजे पहनकर सोना, अधिक चुस्त कपड़े पहनकर सोना हानिकारक है।
15. शहद कभी भी गर्म करके ना खायें, छोटी मधुमक्खी का शहद सर्वोत्तम होता है।
16. तेज ज्वर आने पर तेज हवा, दिन में अधिक देर तक सोना, अधिक परिश्रम, स्नान, क्रोध आदि से बचना चाहिये।
17. नींद लेने से पित्त घटता है, मालिश से वात कम होता है और उल्टी करने से कफ कम होता है एवं उपवास करने से ज्वर शांत होता है ।

राज के इन आसान हेल्थ टिप्स को भी अपनाएं 

इन दिनों लोगों ने अपनी लाइफस्टाइल ऐसी बना ली है कि दिनों दिन वे नई-नई परेशानियों और बीमारियों से घिरते जा रहे हैं। चाहे खान-पान हो या आरामदायक जीवनशैली। और तो और शहरी वातावरण भी उन्हें इस तरह की दिनचर्या बनाने में काफी मदद की है। सभी ऐशोआराम की चीजें उन्हें घर बैठे हासिल हो जाती है। उन्हें उठकर कहीं जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती।
  • प्रतिदिन वॉक करें। अगर हो सके तो फुटबॉल खेलें यह एक प्रकार का एक्सरसाइज ही है।
  • ऑफिस में या कहीं भी जाएं तो लिफ्ट के बदले सीढिय़ों का इस्तेमाल करें।
  • अपने कुत्ते को वॉक पर खुद लेकर जाएं। बच्चों के साथ खेलें, लॉन में नंगे पांव चलें, घर के आसपास पेड़ पौधे लगाऐं, यानि कि वो सब करें जिनसे आप खुद को एक्टिव रख सकें। 
  • ऐसी जगह एक्सरसाइज न करें जहां भीड़भाड़ ज्यादा हो।
  • तले-भुने भोजन, और अन्य फैटी चीजों से परहेज करें यह बहुत से बीमारियों की जड़ होती है। 
  • डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करें। जैसे कि चीज, कॉटेज चीज, दूध और क्रीम का लो फैट प्रोडक्ट आदि। 
  • यदि खाना ही है तो, मक्खन ,फैट फ्री चीज और मोयोनीज का लो फैट उत्पाद प्रयोग में लाऐं।
  • तनाव हमारी जिंदगी में काफी निगेटिव असर डालता है। विशेषज्ञों के अनुसार तनाव कम करने के लिए सकारात्मक विचार बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। 
  • तनाव कम करने के लिए रोज कम से कम आधा घंटा ऐसे काम करें, जिसे करने में आपको मन लगता हो। 
  • तनाव कम करने के लिए आप योग का भी सहारा ले सकते हैं।
  • गुस्सा तनाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है इसलिए गुस्सा आने पर स्वंय को शांत करने के लिए एक से दस तक गिनती गिनें। 
  • उन लोगों से दूर रहने की कोशिश करें जो आपके तनाव को बढ़ाते हों।
  • धूम्रपान से परहेज करें। धूम्रपान से शरीर और उम्र पर असर तो पड़ता ही है, साथ ही फेफड़ों का कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है।
  • धूम्रपान में कमी लाने के लिए उसकी तलब लगने पर सौंफ आदि का सेवन करें।
  • मार्केट में भी आजकल बहुत से प्रोडक्ट मिलने लगे हैं जो धूम्रपान की तलब को कम करते हैं।
  • सुबह-शाम ताजा भोजन करें।
  • निश्चित समय पर भोजन करें।
  • अनियमित भोजन से दूर रहें।
  • पानी ज्यादा से ज्यादा पिएँ।
  • रात का भोजन सोने से तीन घंटे पहले अवश्य कर लें।
  • खाना खाने के बाद 10 मिनट वज्रासन में अवश्य बैठें।
  • भोजन से पहले व तुरंत बाद पानी पीना हानिकारक है।
  • गरिष्ठ, तले, मसालेदार, खटाईयुक्त भोजन से परहेज करें।
  • अंकुरित अन्न, सलाद, सूप का समावेश भोजन व नाश्ते में अवश्य करें।
  • केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम, डिब्बाबंद भोज्य पदार्थों का सेवन कम से कम करें।

राज कि छोटी-छोटी मगर मोटी-मोटी बातें

Get compliments of the house as a Doctor

घर का डॉक्टर बनें तारीफ पाएं



छोटी-छोटी हेल्थ प्रॉब्लम्स सभी को कभी न कभी होती है। यदि आप घर पर ही ऐसी प्रॉब्लम्स का उपाय करना चाहते हैं तो आज राजेश मिश्रा आपको बता रहे हैं ऐसे महत्वपूर्ण घरेलू नुस्खे, जिनका पता होने पर आप कुछ साधारण रोगों का इलाज खुद कर सकते हैं और घर का डॉक्टर कहलाने के साथ-साथ तारीफ भी पाएंगे.. 
पेट दर्द - अाधा चम्मच हल्दी और आधे चम्मच नमक को मिलाकर ठंडे पानी से फांकी मार लें। पेट दर्द में तुरंत आराम मिलेगा।
बालों का गिरना - यदि आपके बालों में रूसी है या फिर आपके बाल झड़ रहे हैं तो आप कच्चे पपीते का पेस्ट बनाकर बालों की जड़ों पर 10 मिनट तक लगाएं। उसके बाद बाल धो लें। ऐसा करने से आपके बाल नहीं झड़ेंगे।

खून की खराबी - खून साफ नहीं हैं तो 1 चम्मच शहद को आधे गिलास पालक के रस में मिलाकर 1 महीने तक सेवन करें। यह आपके रक्त विकार को दूर करेगा और खून को साफ रखेगा।
स्किन प्रॉब्लम - नारियल पानी में कच्चा दूध, नींबू का रस, बेसन और चंदन पाउडर मिलाकर लेप तैयार करें। नहाने से 15 मिनट पहले ये लेप चेहरे पर लगाएं। उसके बाद चेहरा धो लें। यह नुस्खा स्किन प्रॉब्लम दूर कर चेहरे को चमकदार बनाता है।
एसिडिटी - भोजन करने के बाद आप थोड़े से गुड़ का सेवन करें। ऐसा करने से एसिडिटी की समस्या खत्म हो जाएगी।
सिरदर्द - एक गिलास गर्म पानी में आधे नींबू का रस डालकर पिएं। सिर दर्द दूर हो जाएगा। साथ ही युकेलिप्टस के तेल से सिर की मसाज करें। इससे सिर दर्द में आराम मिलता है।
गैस्ट्रिक ट्रबल - अजवायन और काला नमक पीस कर समान मात्रा में मिला लें। इस चूर्ण को एक चम्मच मात्रा में गर्म पानी से लें। गैस की समस्या में तुरंत आराम मिलेगा।
गैस्ट्रिक ट्रबल - एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नीबू, थोड़ा सा काला नमक, सिका हुआ जीरा और थोडी सी हींग मिलाकर लेने से गैस की तकलीफ में तत्काल राहत मिलती है।
जुकाम - यदि जुकाम या सर्दी हो तो रात को सोने से पहले गर्म पानी पीकर सोएं। जुकाम में बहुत राहत मिलेगी।

घरेलू उपचार

1. अपनी दवा ठंडे पानी से मत लें।

2. पांच बजे शाम के बाद भारी खाना न खाएं।

3. सुबह में रात की अपेक्षा ज्यादा पानी पियें.

4. सोने का सबसे बेहतर समय 10 बजे रात से 4 बजे सुबह होता है।

5. खाना खाने के तुरंत बाद न ही सोयें या न ही लेटे.

6. फ़ोन कॉल बाएं कान से सुनें।

7. जब मोबाइल फ़ोन बिलकुल डिस्चार्ज हो रहा हो तो उस समय फ़ोन न सुने क्योंकि उस समय रेडिएशन

1000 गुना ज्यादा होता है।

8. चार्ज में लगे फ़ोन से फ़ोन न ही करें, न ही रिसीव करें. उस समय रेडिएशन ज्यादा निकलता है।

दांत दर्द-

  • दांत का दर्द अगर परेशान कर रहा हो तो पांच लौंग पीस कर उसमे निम्बू का रस निचोड़कर दांतो पर मलने से दर्द दूर होता है। 
  • दांत में कीड़ा लगने पर दांतो के नीचे लौंग को रखना या लौंग का तेल लगाना चाहिए। 
  • पांच लौंग एक ग्लास पानी में उबालकर इसमें कुल्ले करने से दर्द ठीक हो जाता है। 
  • नीम की कोंपलों को उबाल कर कुल्ले करने से दांतो का दर्द जाता रहता है। 
  • दर्द वाले दांत पर कपूर लगाएं। दांत में छेद हो तो उसमे कपूर भर दें। दर्द दूर होगा, कीड़े भी मर जाएंगे।
  • गर्म पानी में मिलकर कुल्ले करने से दांत दर्द में लाभ होता है। नित्य रात को सोने से पहले गर्म पानी में 
  • नमक डाल कर गरारे करके सोने से दांतों में कोई रोग नहीं होता। 
  • अदरक के टुकड़े पर नमक डालकर दर्द वाले दांतो में दबाएं, आराम मिलेगा। 

खजूर-

  • खजूर को शीतकालीन का फल माना गया है। इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए यह पित्त के अनेक रोगों में लाभदायक हता है। शरीर के विकास के लिए यह श्रेष्ठ फल है। आइये जानें इसके फ़ायदे। 
  • सुखी खांसी होने पर दिन में दो बार सुबह और शाम खजूर खाने से लाभ होता है। 
  • खजूर का सेवन करने से पाचन-क्रिया ठीक होती है। पेट के दर्द और कब्ज़ के लिए लाभकारी है। 
  • दूध के साथ खजूर खाने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है। 
  • खजूर और दही खाने से पेचिश में लाभ होता है। 
  • गुठली निकाले हुए दो खजूरों में थोड़ा सा शुद्ध घी, दो दाने काली मिर्च मिलकर एक महीना खाएं और ऊपर से दूध पिएं। इस तरह आपको अद्भुत शक्ति मिलेगी।

मेथी -

हम बात कर रहे है मेथी की । आइए जाने इसके फ़ायदे । 
  • इसे खाने से भूख बढ़ती है और कमर व पीठ दर्द में लाभ होता हैं । 
  • भले ही इसे कफ और ज्वर का कारक माना जाता रहा हो लेकिन यह शरीर की कई कृमियों का विनाश करती है । 
  • आग से जलने पर दानेदार मेथी को पानी में पीसकर लेप लगाने से जलन दूर हो जाती हैं । 
  • दानेदार मेथी की फंकी गर्म पानी के साथ लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता हैं। 
  • अगर भूख ना लगती हो तो 7 ग्राम मेथी दाने में थोड़ा सा घी डालकर सके जब यह लाल होने लगे तो उतार कर ठंढा करें फिर पीस लें । इसके बाद इसमें शहद मिलाकर डेढ़ महीने तक चाटे ,भूख बढऩे लगेगी। 
  • डायबिटीज के रोगियों के लिए भी यह काफ़ी लाभदायक हैं । इसके सेवन से शरीर में शुगर लेवल कम होने के साथ कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होने लगता हैं 

घर और बागान में मौजूद सब्जी और फ़लों से करें गंभीर से गंभीर रोगों का निवारण


मैं आप सभी के लिए यहाँ केला, चुकंदर, सेब, करैला, जामुन, पपीता, कटहल , आम, संतरा, लौकी, टमाटर, कद्दू, प्याज, अनानास और गाजर में छुपे औषधीय गुणों को लेकर हाजिर हुआ हूँ.. जिसे जानकर आप लाभान्वित होंगे और आस-पडोसी इसके गुण जानकर खुश होंगे. लीजिये यहाँ मौजूद हैराजेश मिश्रा के अथक परिश्रम से जुगाड़ किया गया कारगर नुस्खे... 

सेवफ़ल के गुण:


सेवफ़ल में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते हैं।
इसमें खनिज तत्व और विटामिन अधिक मात्रा में मौजूद रहते है।
सेवफ़ल में उपस्थित लोह तत्व से शरीर में नया खून बनने में मदद मिलती है।
गुर्दे की पथरी वाले रोगियों को नियमित रूप से सेवफ़ल इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
सेवफ़ल में कब्ज तोडने की अद्भुत शक्ति है। कच्चे सेवफ़ल के नियमित उपयोग से कब्ज का स्थाई ईलाज हो जाता है।
उबले सेवफ़ल खाने से बच्चों के अतिसार (दस्त लगने) में लाभ होता है।
हृदय-रोगों में सेवफ़ल अति गुणकारी सिद्ध हुआ है। उच्च रक्तचाप में इसका उपयोग लाभदायक है। इसमें अच्छी मात्रा में पोटेशियम और फ़ास्फ़ोरस पाया जाता और सोडियम नही के बराबर होता है। यही कारण है कि सेवफ़ल हृदय रोगों में इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। इसमे पेक्टीन होता है जो कोलेस्टरोल(एल्डीएल) को घटाता है। दो सेवफ़ल नित्य खाने से कोलेस्टरोल 16% तक कम हो जाता है।सेवफ़ल में उपस्थित पेक्टीन शरीर मे गेलेक्टेरुनिक एसीड उत्पन्न करता है जिससे इन्सुलिन की जरूरत कम हो जाती है। इस प्रकार सेवफ़ल डायबीटीज में हितकारी है। इसीलिये तो कहते हैं"an apple a day keeps doctor away."

केला के गुण:

केला दुनिया भर में सबसे विस्तृत क्षेत्र में उपयोग होने वाला फ़ल है। इसे छिलका उतारकर या छिलका सहित खाया जा सकता है।
 इसमें सोडियम की मात्रा कम और पोटेशियम ज्यादा होने से उच्च रक्तचाप में लाभप्रद फ़ल है। हाई ब्लड प्रेशर की जटिलताओं को भी नियंत्रित करता है। केले में पाया जाने वाला रेशा भी इसमें सहायता करता है। केले में उपस्थित पोटेशियम के प्रभाव से गुर्दों के जरिये केल्शियम की कम हानि होती है और इस प्रकार केला अस्थिक्षरण रोग में लाभ देता है। अतिसार रोग मे केला अत्यंत हितकारी है। इससे ईलेक्ट्रोलाईट्स की पूर्ति होती है और पौषक तत्वों का शरीर में संचय होता है। केले में अम्लता विरोधी तत्वों की मौजूदगी से पेप्टिक अल्सर के रोगियों को केला खाने की सलाह दी जा सकती है।केले में उपस्थित पेक्टीन से आंतों की कार्यकुशलता बढती है और कब्ज रोग में फ़ायदा होता है। कच्चा केला शूगर रोगियों के लिये बेहद लाभ प्रद है। केले के अंदर केरोटोनाईड होता है,इससे विटामिन ए की पूर्ति होती है और रात्री अंधत्व रोग में इस्तेमाल करना प्रयोजनीय है। पर्यात मात्रा में केले का सेवन करते रहने से किडनी के केंसर से बचाव हो सकता है लेकिन प्रोसेस्ड जूस ज्यादा उपयोग करने से किडनी के केंसर की संभावना बढ जाती है।

कटहल के गुण:
राजेश मिश्रा कटहल के साथ 

कटहल के फ़ल में कई प्रकार के महत्वपूर्ण प्रोटीन्स, कार्बोहाईड्रेट्स और विटामिन्स पाये जाते हैं।
सब्जी के तौर पर इस्तेमाल किये जाने वाले कटहल से अचार और पापड भी बनाये जाते हैं। कटहल की पत्तियों की राख में अल्सर को ठीक करने के गुण होते हैं। पके हुए कटहल का गूदा निकालकर भली प्रकार मेश करें,फ़िर उबालकर ठंडा करें,यह मिश्रण पीना जबर्दस्त स्फ़ूर्तिदायक होता है। यह मिश्रण शरीर में टानिक का काम करता है। कटहल के छिलकों से निकलने वाले दूध को गांठनुमा सूजन अथवा कटे-फ़टे चमडे ,घाव पर लगावें तो लाभ होता है।
कटहल की कोंपलों को कूटकर गोली बनालें। इनको चूसने से स्वर भंग और गले के रोगों में फ़ायदा होता है।
इसकी पत्तियों का रस शूगर रोगियों और उच्च रक्तचाप में लाभ पहुंचाता है। 
कटहल की जड का काढा बनाकर दमा रोगी को पिलाना लाभप्रद होता है।
इसमें केंसर से लडने के गुण भी हैं।
कटहल से मानव शरीर में प्रोटीन,कर्बोहायड्रेट और विटामिन्स की यथोचित आपूर्ति होती है।
इसमें अति न्यून मात्रा में केलोरी और फ़ेट होते है अत: वजन कम करने वालों के लिये भी उपयोगी है।
कब्ज रोग से परेशान व्यक्ति इसका नियमित इस्तेमाल करके कब्ज से छुटकारा पा सकते हैं।
कटहल की जड का उपयोग कई प्रकार के चर्म रोगों में सफ़लता से किया जा सकता है।

चुकंदर के गुण:


पारंपरिक रूप से चुकंदर शरीर में नया खून बनाने वाले फ़ल के रूप में जाना जाता है।
चुकंदर लिवर, पित्ताषय, तिल्ली, और गुर्दे के विकारों को लाभप्रद पाया गया है। इन अंगों के दूषित तत्वों को बाहर निकालने की शक्ति चुकंदर में पाई गई है।
चुकंदर में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।केल्शियम,फ़ास्फ़ोरस और लोह तत्व भी खूब होता है।इसमें पाये जाने वाले आयरन से कब्ज नहीं होती है।
चुकंदर अपने क्षारीय तत्वों की वजह से अम्लपित्त(एसीडीटी) में उपयोगी रहता है।
चुकंदर धमनियों में केल्शियम जमने के रोग में अति उपयोगी है। 
चुकंदर ब्लड प्रेशर को सामान्य और नियमित करता है।
चुकंदर के जूस में शहद मिलाकर पीने से आमाषय के अल्सर में लाभ मिलता है।
चुकंदर का जूस और गाजर का जूस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से पित्ताषय(गाल ब्लाडर) और किडनी के रोग नष्ट होते हैं।
चुकंदर में पाया जाने वाला क्लोरिन लिवर के विजातिय पदार्थों को निष्कासित करने(डिटाक्सीफ़ाई) में मददगार होता है।
चुकंदर में सोडियम, पोटेशियम, फ़ासफ़ोरस, केल्यशियम, आयोडीन, आयरन, ताम्र, विटामिन-बी1, बी2, बी3, बी6 और विटामिन "सी" पाया जाता है।
इसमें एक शक्तिशाली एन्टिआक्सीडेंट पाया जाता है जिसका नाम है- बीटासायनिन. इसमें केंसर से लडने और प्रतिकार की शक्ति है। चुकंदर के गहरे लाल रंग के लिये बीटासायनिन उत्तरदायी है।

गाजर के गुण:
गाजर मे प्रचुर मात्रा में विटामिन ए होता है। यह विटामिन बीटा केरोटीन के रूप में मौजूद रहता है।लिवर में बीटा केरोटीन विटामिन ए में बदल जाता है।गाजर के रस में केंसर विरोधी तत्व पाये जाते हैं। अनुसंधान में पाया गया है कि गाजर में केंसर को ठीक करने के गुण विद्ध्यमान हैं। यह फ़ेफ़डे, स्तन और बडी आंत के केंसर से बचाव करता है। चर्म विकृतियों में भी गाजर का उपयोग लाभप्रद रहता है। चेहरे पर कांति के लिये गाजर का उपयोग किया जाना चाहिये।गाजर हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। इसे टोनिक के रूप में व्यवहार करना चाहिये। यह नेत्रों के लिये बेहद फ़ायदेमंद है। बुढापे में आने वाले मोतियाबिंद की रोकथाम करता है। गाजर हमारे शरीर के सेल्स को तंदुरस्त रखते हुए बुढापा आने की गति को धीमा करता है। शरीर की खरोंच,घाव ठीक करने के लिये गाजर को कूटकर लगाना चाहिये। गाजर को मेश करके उसमे थोडा सा शहद मिलाकर फ़ेस पेक की तरह इस्तेमाल करने से चेहरे की खूबसूरती में इजाफ़ा होता है। इसमें संक्रमण (इन्फ़ेक्शन) विरोधी तत्व होते हैं। गाजर में अल्फा केरोटीन और ल्युटीन तत्व होने की वजह से हृदय रोगों से भी बचाव करता है। शरीर को स्वच्छ और विजातीय पदार्थों से मुक्त रखने में गाजर की महती भूमिका हो सकती है। यह लिवर की सहायता करके पित्त दोष का निवारण करता है और चर्बी घटाता है।

पाईनेपल (अनानास) के गुण:

वैसे तो सभी ताजा फ़लों में प्रचुर मात्रा में एन्जाईम्स होते हैं लेकिन पाईनेपल में एक अद्भुत एन्जाईम होता है जिसे ब्रोमेलैन कहा जाता है।ब्रोमेलैन की उपस्थिति से यह फ़ल शरीर के किसी भाग में आई सूजन में लाभकारी है और पीडानाशक भी है। इसमें विटामिन सी का भंडार है। पाईनेपल चोंट,खरोंच,मोच,मांसपेशी खिंचने,शौथ में हितकारी फ़ल माना गया है।इसके सूजन विरोधी गुण से संधिवात और गठिया रोगी लाभान्वित हो सकते हैं। शल्य क्रिया के बाद की सूजन ठीक करने में भी इसका व्यवहार होना उचित है। ब्रोमैलेन प्रोटीन पचाने में भी सहयोगी रहता है।यहां यह भी बताना उचित होगा कि एन्जाईम्स ताप से नष्ट हो जाते हैं , इसलिये पाईनेपल या जूस को ऊबालना हानिकारक है|

जामुन के गुण:

1) जामुन की गुठली चिकित्सा की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी मानी गई है। इसकी गुठली के अंदर की गिरी में 'जंबोलीन' नामक ग्लूकोसाइट पाया जाता है। यह स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित होने से रोकता है। इसी से मधुमेह के नियंत्रण में सहायता मिलती है। 
जामुन के कच्चे फलों का सिरका बनाकर पीने से पेट के रोग ठीक होते हैं। अगर भूख कम लगती हो और कब्ज की शिकायत रहती हो तो इस सिरके को ताजे पानी के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह और रात्रि, सोते वक्त एक हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करने से कब्ज दूर होती है और भूख बढ़ती है।
इन दिनों कुछ देशों में जामुन के रस से विशेष औषधियों का निर्माण किया जा रहा है, जिनके माध्यम से सिर के सफेद बाल आना बंद हो जाएँगे। 
गले के रोगों में जामुन की छाल को बारीक पीसकर सत बना लें। इस सत को पानी में घोलकर 'माउथ वॉश' की तरह गरारा करना चाहिए। इससे गला तो साफ होगा ही, साँस की दुर्गंध भी बंद हो जाएगी और मसूढ़ों की बीमारी भी दूर हो जाएगी। 
विषैले जंतुओं के काटने पर जामुन की पत्तियों का रस पिलाना चाहिए। काटे गए स्थान पर इसकी ताजी पत्तियों का पुल्टिस बाँधने से घाव स्वच्छ होकर ठीक होने लगता है क्योंकि, जामुन के चिकने पत्तों में नमी सोखने की अद्भुत क्षमता होती है। 
जामुन यकृत को शक्ति प्रदान करता है और मूत्राशय में आई असामान्यता को सामान्य बनाने में सहायक होता है। 
जामुन का रस, शहद, आँवले या गुलाब के फूल का रस बराबर मात्रा में मिलाकर एक-दो माह तक प्रतिदिन सुबह के वक्त सेवन करने से रक्त की कमी एवं शारीरिक दुर्बलता दूर होती है। यौन तथा स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है। 
जामुन के एक किलोग्राम ताजे फलों का रस निकालकर ढाई किलोग्राम चीनी मिलाकर शरबत जैसी चाशनी बना लें। इसे एक ढक्कनदार साफ बोतल में भरकर रख लें। जब कभी उल्टी-दस्त या हैजा जैसी बीमारी की शिकायत हो, तब दो चम्मच शरबत और एक चम्मच अमृतधारा मिलाकर पिलाने से तुरंत राहत मिल जाती है। 
जामुन और आम का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है। 
गठिया के उपचार में भी जामुन बहुत उपयोगी है। इसकी छाल को खूब उबालकर बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से गठिया में आराम मिलता है।
जामुन स्वाद में खट्टा-मीठा होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। इसमें उत्तम किस्म का शीघ्र अवशोषित होकर रक्त निर्माण में भाग लेने वाला तांबा पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह त्वचा का रंग बनाने वाली रंजक द्रव्य मेलानिन कोशिका को सक्रिय करता है, अतः यह रक्तहीनता तथा ल्यूकोडर्मा की उत्तम औषधि है। इतना ध्यान रहे कि अधिक मात्रा में जामुन खाने से शरीर में जकड़न एवं बुखार होने की सम्भावना भी रहती है। इसे कभी खाली पेट नहीं खाना चाहिए और न ही इसके खाने के बाद दूध पीना चाहिए। 

संतरा (नारंगी) के गुण:

नारंगी रंग का दिखने वाला संतरा ठंडा, तन और मन को प्रसन्नता देने वाला फल है। यह जितना खाने में स्‍वादिष्‍ट होता है उतना ही स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी फायदेमंद होता है। एक व्यक्ति को जितनी विटामिन ‘सी’ की आवश्यकता होती है, वह एक संतरें को प्रतिदिन खाते रहने से पूरी हो जाती है। संतरे के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है, चुस्ती-फुर्ती बढ़ती है, त्वचा में निखार आता है तथा सौंदर्य में वृद्धि होती है। प्रस्तुत है इसके कुछ प्रयोग- 
1. संतरे का सेवन जहाँ जुकाम में राहत पहुँचाता है, वहीं सूखी खाँसी में भी फायदा करता है। यह कफ को पतला करके बाहर निकालता है।
2. संतरे में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी, लोहा और पोटेशियम काफी होता है। संतरे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें विद्यमान फ्रुक्टोज, डेक्स्ट्रोज, खनिज एवं विटामिन, शरीर में पहुंचते ही ऊर्जा देना प्रारंभ कर देते हैं।
3. संतरे का एक गिलास रस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान एवं तनाव दूर करता है, हृदय तथा मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से भर देता है।
4. पेचिश की शिकायत होने पर संतरे के रस में बकरी का दूध मिलाकर लेने से काफी फायदा मिलता है।
5. संतरे का नियमित सेवन करने से बवासीर की बीमारी में लाभ मिलता है। रक्तस्राव को रोकने की इसमें अद्भुत क्षमता है।
6. तेज बुखार में संतरे के रस का सेवन करने से तापमान कम हो जाता है। इसमें उपस्थित साइट्रिक अम्ल मूत्र रोगों और गुर्दा रोगों को दूर करता है।
7. दिल के मरीज को संतरे का रस शहद मिलाकर देने से आश्चर्यजनक लाभ मिलता है।
8. संतरे के सेवन से दाँतों और मसूड़ों के रोग भी दूर होते हैं।
9. छोटे बच्चों के लिए तो संतरे का रस अमृततुल्य है। उन्हें स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ट बनाने के लिए दूध में चौथाई भाग मीठे संतरे का रस मिलाकर पिलाने से यह एक आदर्श टॉनिक का काम करता है।
10. जब बच्चों के दाँत निकलते हैं, तब उन्हें उल्टी होती है और हरे-पीले दस्त लगते हैं। उस समय संतरे का रस देने से उनकी बेचैनी दूर होती है तथा पाचन शक्ति भी बढ़ जाती है।
11. पेट में गैस, अपच, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप, गठिया, बेरी-बेरी रोग में भी संतरे का सेवन बहुत कुछ लाभकारी होता है।
12. गर्भवती महिलाओं तथा यकृत रोग से ग्रसित महिलाओं के लिए संतरे का रस बहुत लाभकारी होता है। इसके सेवन से जहाँ प्रसव के समय होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है, वहीं प्रसव पीड़ा भी कम होती है। बच्चा स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ट पैदा होता है|
13. संतरे के सूखे छिलकों का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर पीसकर आधे घंटे तक लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ, सुंदर और कांतिमान हो जाता है। कील मुँहासे-झाइयों व साँवलापन दूर होता है।
14. संतरे के ताजे फूल को पीसकर उसका रस सिर में लगाने से बालों की चमक बढ़ती है। बाल जल्दी बढ़ते हैं और उसका कालापन बढ़ता है।

आम के गुण:

आम सिर्फ स्वाद में ही नम्बर वन नहीं है, यह अनेक गुणों का भी खजाना है। आइये जानते हैं कि आम किन-किन घातक बीमारियों में मिटाने में हमारी मदद कर सकता है|
1. शहद के साथ पके आम के सेवन से क्षयरोग एवं प्लीहा के रोगों में लाभ होता है तथा वायु और कफ दोष दूर होते हैं।
2. यूनानी चिकित्सकों के अनुसार, पका आम आलस्य को दूर करता है तथा मूत्र संबंधी रोगों का सफाया करता है।
3. प्राकृतिक रूप से पका हुआ आम क्षयरोग यानी टीबी को मिटाता है, गुर्दे एवं बस्ति (मूत्राशय) खोई हुई शक्तियों को लौटाता है। 
4. जिन लोगों को शुक्रप्रमेह शारीरिक विकारों और वातादि यानी वायु संबंधी दोषों के कारण संतानोत्पत्ति न होती हो उनके लिए पका आम किसी वरदान से कम नहीं है। मतलब कि संतान सुख से वंचित दंपत्ती के लिये आम बेहद लाभदायक होता है। 
5. प्राकृतिक रूप से पके हुए ताजे आम के सेवन से पुरूषों में शुक्राणुओं की कमी, नपुंसकता, दिमागी कमजोरी आदि रोग दूर होते हैं।
6. कच्चे और पके दोनों तरह के आम कई तरह की किस्मों में मिलते हैं । कच्चे आम में गैलिक एसिड के कारण खटास होती है। आम के पकने के साथ उसका रंग भी सफेद से पीला हो जाता है। यही पीले रंग का कैरोटीन हमारे शरीर में जाकर विटामिन 'ए' में परिवर्तित हो जाता है। इसमें विटामिन 'सी' भी काफी होता है। 
कच्चा आम-
कच्चे आम में बहुत से गुण पाए जाते हैं। कच्चे आम को आग में भूनकर पानी में मसलकर आम का पन्ना बनाते हैं। फिर इसमे भुना हुआ जीरा, सेंधानमक और कालीमिर्च डालते हैं। इस पन्ना को पीने से लू लगने के रोग में आराम आता है। आम के पन्ना को शरीर पर मलने से ठण्डक मिलती है।

पका आम

मीठे और पके आम शरीर में वीर्य को बढ़ाने वाले, ताकत पैदा करने वाले, त्वचा को निखारने वाले, ठंडे और पित्त को सन्तुलित रखने वाले होते हैं।

आमरस-

आम का रस भारी- ताकत बढ़ाने वाला, वात को हरने वाला, दस्त लाने वाला, प्यास को कम करने वाला और शरीर में कफ की मात्रा को बढ़ाने वाला होता है। अगर आम के रस को निकालकर उसमे बराबर मात्रा में दूध और सफेद बूरा या इच्छानुसार मिश्री मिलाकर कपड़े में छानकर इस्तेमाल किया जाए तो ये बहुत ही स्वादिष्ट आम का रस बन जाता है।

लाभकारी-

दूध और मिश्री मिला हुआ आम का रस शरीर के अन्दर से पित्त को समाप्त करता है। ये पुष्टिदायक, रुचिकारक और वीर्य तथा बल को बढ़ाने वाला होता है। ये आम का रस स्वाद में मीठा और तासीर में ठंडा होता है। आम का रस यक्ष्मा (टी.बी) के रोगियों के लिए बहुत ही लाभकारी है। इसको पीने से बुखार तथा खांसी जैसे रोग दूर हो जाते हैं। यक्ष्मा (टी.बी ) के रोगी की सांस जब चढ़ने लगती है, बलगम में खून आता हो तो ऐसे समय में रोगी को आम का रस देने से बहुत लाभ होता है।

कब न खाएँ : 

भूखे पेट आम न खाएँ। इसके अधिक सेवन से रक्त विकार, कब्ज और पेट में गैस बनती है। कच्चा आम अधिक खाने से गला दर्द, अपच, पेट दर्द हो सकता है। कच्चा आम खाने के तुरंत बाद पानी न पिएँ। मधुमेह के रोगी आम से परहेज करें। खाने से पहले आम को ठंडे पानी या फ्रिज में रखें, इससे इसकी गर्मी निकल जाएगी।

करेला के गुण:

एक असाध्य बीमारी है मधुमेह ‘डायबिटीज’ । करेला मधुमेह के रोगियों के लिए ‘अमृत’ तुल्य है। 100 मिली. के रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है और प्रात: चार किलोमीटर टहलना चाहिए तथा मिठाई खाने से परहेज रखना चाहिए। करेला मधुमेह के अलावा अन्य शारीरिक तकलीफों में भी लाभदायक है। जैसे-
कब्ज : नित्य करेला सेवन करने से कब्ज दूर होता है। यह एक अनुपम सब्जी है और इसमें ज्यादा तेल-मसाले नहीं डालने चाहिए।
पीलिया : ताजा करेले का रस सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
दमा : दमा के मरीज भी करेले का रस सुबह खाली पेट लेकर राहत पा सकते हैं। सब्जी भी ज्यादा खानी चाहिए।
पथरी : पथरी गुर्दे की हो या मूत्राशय की, इसे तोड़कर बाहर निकालने की क्षमता करेला रखता है। करेले का रस दिन में दो बार और दोनों समय भोजन में करेले की सब्जी खानी चाहिए।
खूनी बवासीर : मस्से फटने से रक्तस्राव होता है जिसे खूनी बवासीर कहा जाता है। रोगी नित्य दिन में दो समय करेले के रस में दो चम्मच शक्कर मिलाकर पिये तो लाभ होगा।
पाचन शक्ति : यदि पाचन शक्ति कमजोर हो तो किसी भी प्रकार करेले का नित्य सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। करेला स्वयं भी शीघ्र पचता है।
खून की शुध्दि : करेला खून की शुध्दि करने में पूरी तरह सक्षम है। यदि त्वचा-रोग हो तो भी रक्त-शुध्दि हेतु करेले का रस कुछ दिनों तक आधा-आधा कप पीना लाभदायक है। इस प्रकार कड़ुवा करेला अनेकों रोगों में औषधि रूप में काम आ सकता है बशर्ते उसे उसी रूप में लिया जाये- रस या सब्जी बनाकर।

लौकी के गुण:

सब्जी के रुप में खाए जाने वाली लौकी हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक होती है। यह बेल पर पैदा होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है। वास्तव में यह एक औषधि है और इसका उपयोग हजारों रोगियों पर सलाद के रूप में अथवा रस निकालकर या सब्‍जी के रुप में एक लंबे समय से किया जाता रहा है। 
लौकी को कच्‍चा भी खाया जाता है, यह पेट साफ करने में भी बड़ा लाभदायक साबित होती है और शरीर को स्‍वस्‍य और शुद्ध भी बनाती है। लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्य वर्धक , पित्‍त तथा कफनाशक और धातु को पुष्ट करने वाली होती है। आइए इसके औषधीय गुणों पर एक नज़र डालते हैं- 
1. हैजा होने पर 25 एम.एल. लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है। 
2.खांसी, टीबी, सीने में जलन आदि में भी लौकी बहुत उपयोगी होती है। 
3.हृदय रोग में, विशेषकर भोजन के पश्चात एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। 
4.लौकी में श्रेष्‍ठ किस्म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है। 
5.लौकी श्‍लेषमा रहित आहार है। इसमें खनिज लवण अच्‍छी मात्रा में मिलते है। 
6.लौकी के बीज का तेल कोलेस्‍ट्रॉल को कम करता है तथा हृदय को शक्‍ति देता है। यह रक्‍त की नाडि़यों को भी तंदुरस्त बनाता है। लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्‍ज, पीलिया, उच्‍च रक्‍तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्‍तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।

टमाटर के गुण:

टमाटर स्वादिष्ट होने के साथ पाचक भी होता है। पेट के रोगों में इसका प्रयोग औषधि की तरह किया जा सकता है। जी मिचलाना, डकारें आना, पेट फूलना, मुँह के छाले, मसूढ़ों के दर्द में टमाटर का सूप अदरक और काला नमक डालकर लिया जाए तो तुरंत फायदा होता है। 
टमाटर के सूप से शरीर में स्फूर्ति आती है। पेट भी हल्का रहता है। सर्दियों में गर्मागर्म सूप जुकाम इत्यादि से बचाता है। अतिसार, अपेंडिसाइटिस और शरीर की स्थूलता में टमाटर का सेवन लाभदायक है। रक्ताल्पता में इनका ‍निरंतर प्रयोग फायदा देता है। 
टमाटर की खूबी है कि इसके विटामिन गर्म करने से भी नष्ट नहीं होते। बेरी-बेरी, गठिया तथा एक्जिमा में इसका सेवन आराम देता है। ज्वर के बाद की कमजोरी दूर करने में इससे अच्छा कोई विकल्प नहीं। मधुमेह के रोग में यह सर्वश्रेष्ठ पथ्य है। 
टमाटर में विटामिन 'सी' होता है, जो कि इम्युनिटी के स्तर को बढ़ाता है जिससे साधारण सर्दी और कफ की शिकायत नहीं होती। गॉल स्टोन और लिवर कन्जेशन में भी टमाटर का सेवन कारगर है। हम कह सकते हैं कि टमाटर पोषक तत्वों का खजाना है, क्योंकि इसमें पाए जाने वाला विटामिन 'ए' आँखों और त्वचा के लिए व पोटेशियम मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन में भी फायदा पहुँचाता है।
टमाटर में जो लाल रंग का तत्व होता,उसे लायकोपिन कहते हैं,यह तत्व शरीर को विजातीय पदार्थों(टाक्सीन्स) से मुक्त करने में सहायक है।लायकोपिन शरीर को फ़्री रेडिकल्स से मुक्त करने के मामले में बीटा केरोटीन(एन्टी ओक्सीडेन्ट) से भी आगे है।
अनुसंधान में पाया गया है कि टमाटर के नियमित सेवन से प्रोस्टेट केंसर से बचाव होता है।इसराईल के वैग्यानिकों के अनुसार टमाटर फ़ेफ़डे,बडी आंत और गर्भाषय के केंसर से बचाव करता है।और सबसे सुखप्रद तथ्य ये कि टमाटर सेवन करने से व्यक्ति लंबे समय तक बुढापे की चपेट मे नहीं आता है।

पपीता के गुण:

पपीता न केवल एक स्वादिष्ट फ़ल है बल्कि इसमे उपस्थित औषधीय गुणों का विशेष महत्व है।
पपीते में उच्च मात्रा में पोटेशियम तत्व पाया जाता है और इसके गूदे में भरपूर विटामिन" ए " मिलता है। पपीता के बीज और पत्तियां अपने कीटाणुनाशक गुणों के चलते आंतों में निवास करने वाले किटाणुओं को मारने के लिये प्रयोग किये जा सकते हैं।इसके नियमित उपयोग से कब्ज रोग का ईलाज हो जाता है।इसमें पाये जाने वाले पापैन(प्रोटीन) का हमारे शरीर के पाचन संस्थान को चुस्त-दुरस्त रखने का उत्तरदायित्व है। पपीते का जूस नियमित पीने से बडी आंत की सफ़ाई होती है और उसमें स्थित संक्रमण,श्लेष्मा और पीप का निष्कासन होने लगता है। ऐसे घाव जो अन्य चिकित्सा से ठीक न हो रहे हों पपीता का छिलका उन घावों पर कुछ रोज लगाकर अच्छे परिणाम की उम्मीद रखना चाहिये। पपीता में सूजन विरोधी और केंसर से बचाने के गुण मौजूद हैं।इस सूजन विनाशक गुण के चलते पपीता उन लोगों के लिये फ़ायदेमंद है जो शौथ, संधिवात ,गठिया रोग से पीडित है।
पपीता उदर रोगों में लाभकारी है। आमाषय को स्वच्छ करता है। एक ताजा अध्ययन का निष्कर्ष है कि 3 -4  रोज सिर्फ़ पपीता खाने से आमाषय और आंतों को आशातीत लाभ मिलता है।
कच्चा पपीता खाने से मासिक धर्म के विकार नष्ट होते हैं। मासिक धर्म खुलकर और नियमित आने लगता है। पपीता उन लोगों के लिये अमृत समान है जो सर्दी,खासी,फ़्लु से बार-बार परेशान रहते हैं। पपीता का उपयोग करने से हमारे शरीर का इम्युन सिस्टम मजबूत होता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफ़ा होता है।गर्भवतियों में सुबह की मिचली नियंत्रित करने के लिये पपीता का सेवन हितकारी है।
धमनियों के कठोर होने के दोष को निवारण करने में पपीता उपयोगी है। शूगर रोगियों की हृदय की बीमारियों में पपीता अत्यंत हितकारी है।पपीता का रेशा खराब कोलेस्टरोल(एल्डीएल) का स्तर घटाता है और इस प्रकार हृदय की सुरक्षा करता है।
इसके नियमित सेवन से अंगों और ग्रंथियों में केंसर की रोकथाम और बचाव होता है।

कद्दू (काशीफ़ल) के गुण:

कद्दू में मुख्य रूप से बीटा केरोटीन पाया जाता है, जिससे विटामिन ए मिलता है। पीले और संतरी कद्दू में केरोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। बीटा केरोटीन एंटीऑक्सीडेंट होता है जो शरीर में फ्री रैडिकल से निपटने में मदद करता है। कद्दू ठंडक पहुंचाने वाला होता है। इसे डंठल की ओर से काटकर तलवों पर रगड़ने से शरीर की गर्मी खत्म होती है। कद्दू लंबे समय के बुखार में भी असरकारी होता है। इससे बदन की हरारत या उसका आभास दूर होता है। 
कद्दू के बीज भी बहुत गुणकारी होते हैं। कद्दू व इसके बीज विटामिन सी और ई, आयरन, कैलशियम मैग्नीशियम, फॉसफोरस, पोटैशियम, जिंक, प्रोटीन और फाइबर आदि के भी अच्छे स्रोत होते हैं। यह बलवर्धक, रक्त एवं पेट साफ करता है, पित्त व वायु विकार दूर करता है और मस्तिष्क के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। प्रयोगों में पाया गया है कि कद्दू के छिलके में भी एंटीबैक्टीरिया तत्व होता है जो संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से रक्षा करता है।

कद्दू का रस भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह मूत्रवर्धक होता है और पेट संबंधी गड़बड़ियों में भी लाभकारी रहताहै। यह खून में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक होता है और अग्नयाशय को भी सक्रिय करता है। इसी वजह से चिकित्सक मधुमेह के रोगियों को कद्दू के सेवन की सलाह देते हैं।
प्रोस्टेट ग्रंथि बढने के रोग में 30  ग्राम कद्दू के बीज(छिलका रहित) तवे पर सेक लें और खाएं। ऐसा दिन में तीन बार करें। इन बीजों में फ़ायटोस्टरोल तत्व की उपस्थिति से प्रोस्टेट ग्रंथि सिकुडकर मूत्र बिना रुक्कावट खुलकर आने लगता है।

प्याज के गुण:

कुछ चीजें ऐसी हैं कि जिन्हे हम अनजाने में खाते है लेकिन वे हमारे स्वास्थ्य के लिये फ़ायदेमंद होती हैं।साधारण तौर पर हम प्याज का उपयोग खाने को रुचिकर बनान के हिसाब से करते हैं। लेकिन जानने योग्य यह है कि प्याज गर्म तासीर वाला होता है और स्वास्थ्य संबंधी कईे परेशानियों को दूर करने वाला साबित होता है।
रक्त दोष दूर करने के लिये प्याज के 50  ग्राम रस में 10 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम जीरा सफ़ेद भुना हुआ मिलालें।
अजीर्ण याने बदहजमे की शिकायत हो तो प्याज के छोटे छोट टुकडे काट लें उसमें नींबू निचोड लें और भोजन के सार्थ सेवन करें।
बच्चों को बदहजमी होने पर उनको प्याज के रस की 3-4  बूंदे चटानी चाहिये।प्याज पीसकर बालों में लगा्ने से खोपडी के बाल काले उगने लगेगे। जिस जगह सिर के बाल उड गये हों वहां प्याज का रस ऊंगली से मालिश करें , वहां बाल उगने लगेंगे।
प्याज मं क्वेरसेटिन नामक एन्टिओक्सीडेंट प्रचुरता से पाया जाता है जो आमाषय के केंसर की रोक थाम करता है। यह लाल और पीले प्याज में पाया जाता है ,सफ़ेद प्याज में नहीं मिलता है। प्याज का यह एन्टिओक्सीडेंट रक्तवहा नलिकाओं में खून के थक्के जमने स रोकता है,खून को पतला करता है,खराब कोलेस्टरोल कम करता है और बढिया कोलेस्टरोल का स्तर ऊंचा करता है। दमा रोगी और पुरानी खासी के मरीज प्याज के सेवन से लाभान्वित होते हैं। धमनी काठिन्य रोग में प्याज सेवनीय है।
प्याज सूजन विरोधी गुण रखता है,संक्रमण में एन्टिबायोटिक के रूप मे काम करता है। प्याज में केंसर से लडने की की क्षमता है।

बड़े ही कारगर और सटीक नुस्खे


  • अपनी दवा ठंडे पानी से मत लें।
  • पांच बजे शाम के बाद भारी खाना न खाएं।
  • सुबह में रात की अपेक्षा ज्यादा पानी पियें।
  • सोने का सबसे बेहतर समय 10 बजे रात से 4 बजे सुबह होता है।
  • खाना खाने के तुरंत बाद न ही सोयें या न ही लेटे।
  • फ़ोन कॉल बाएं कान से सुनें।
  • जब मोबाइल फ़ोन बिलकुल डिस्चार्ज हो रहा हो तो उस समय फ़ोन न सुने क्योंकि उस समय रेडिएशन 1000 गुना ज्यादा होता है।
  • चार्ज में लगे फ़ोन से फ़ोन न ही करें, न ही रिसीव करें. उस समय रेडिएशन ज्यादा निकलता है।

एलोवेरा
कई बार हमारी छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज हमारे किचन गार्डन या फिर आस-पास मौजूद गार्डन में ही होता है, लेकिन इन चीजों का पता न होने के कारण हम इनका फायदा नहीं उठा सकते। आइए, जानें किन पौधे में है कौन सा औषधीय गुण और आप अपनी किस बीमारी के लिए कर सकते हैं इसका इस्तेमाल...

एलोवेरा को चित्र कुमारी, घृत कुमारी आदि नामों से भी जाना जाता है। यह गूदेदार और रसीला पौधा होता है। एलोवेरा के रस को अमृत तुल्य बताया गया है। आइए जानें, इसे आप अपनी किन शारीरिक समस्याओं के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे पहले तो यह बता दें कि इसका इस्तेमाल आपको लंबे समय तक जवां बनाए रखता है। इस पौधे का रस ही सबसे अहम हिस्सा है, जिसे एलो जेल के नाम से जाना जाता है और इसे पीने से आप खुद को स्वस्थ्य और तरोजाता महसूस करेंगे। वैसे तो इसका रस बालों में लगाने से बाल काले, घने और नर्म रहते हैं, लेकिन कहते हैं कि यह गंजेपन को भी दूर करने की ताकत रखता है। सर्दी-खांसी में भी इसका रस औषधि का काम करता है। इसके पत्ते को भूनकर रस निकाल लें और फिर इसका आधा चम्मच जूस एक कप गर्म पानी के साथ लेना फायदेमंद बताया जाता है। फोड़े-फुंसी पर भी यह गजब का असर करता है। इसके अलावा मुहांसे, फटी एड़ियां, सन बर्न, आंखों के चारों ओर काले धब्बे को भी यह दूर करता है। इन सबके अलावा बवासीर, गठिया रोग, कब्ज और हृदय रोग तथा मोटापा आदि के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

दांत दर्द-

  • दांत का दर्द अगर परेशान कर रहा हो तो पांच लौंग पीस कर उसमे निम्बू का रस निचोड़कर दांतो पर मलने से दर्द दूर होता है। 
  • दांत में कीड़ा लगने पर दांतो के नीचे लौंग को रखना या लौंग का तेल लगाना चाहिए। 
  • पांच लौंग एक ग्लास पानी में उबालकर इसमें कुल्ले करने से दर्द ठीक हो जाता है। 
  • नीम की कोंपलों को उबाल कर कुल्ले करने से दांतो का दर्द जाता रहता है। 
  • दर्द वाले दांत पर कपूर लगाएं। दांत में छेद हो तो उसमे कपूर भर दें। दर्द दूर होगा, कीड़े भी मर जाएंगे।
  • गर्म पानी में मिलकर कुल्ले करने से दांत दर्द में लाभ होता है। नित्य रात को सोने से पहले गर्म पानी में नमक डाल कर गरारे करके सोने से दांतों में कोई रोग नहीं होता। 
  • अदरक के टुकड़े पर नमक डालकर दर्द वाले दांतो में दबाएं, आराम मिलेगा। 

खजूर-

खजूर को शीतकालीन का फल माना गया है। इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए यह पित्त के अनेक रोगों में लाभदायक रहता है। शरीर के विकास के लिए यह श्रेष्ठ फल है। आइये जानें इसके फ़ायदे। 

  • सुखी खांसी होने पर दिन में दो बार सुबह और शाम खजूर खाने से लाभ होता है। 
  • खजूर का सेवन करने से पाचन-क्रिया ठीक होती है। पेट के दर्द और कब्ज़ के लिए लाभकारी है। 
  • दूध के साथ खजूर खाने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है। 
  • खजूर और दही खाने से पेचिश में लाभ होता है। 
  • गुठली निकाले हुए दो खजूरों में थोड़ा सा शुद्ध घी, दो दाने काली मिर्च मिलकर एक महीना खाएं और ऊपर  दूध पिएं। इस तरह आपको अद्भुत शक्ति मिलेगी।

मेथी -

भले ही इसे कफ और ज्वर का कारक माना जाता रहा हो लेकिन यह शरीर की कई कृमियों का विनाश करती है। हम बात कर रहे हैं मेथी की । इसे खाने से भूख बढ़ती है और कमर व पीठ दर्द में लाभ होता हैं। आइए जाने इसके फ़ायदे । 

  • आग से जलने पर दानेदार मेथी को पानी में पीसकर लेप लगाने से जलन दूर हो जाती हैं । 
  • दानेदार मेथी की फंकी गर्म पानी के साथ लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता हैं। 
  • अगर भूख ना लगती हो तो 7 ग्राम मेथी दाने में थोड़ा सा घी डालकर सके जब यह लाल होने लगे तो उतार कर ठंढा करें फिर पीस लें । इसके बाद इसमें शहद मिलाकर डेढ़ महीने तक चाटे ,भूख बढऩे लगेगी। 
  • डायबिटीज के रोगियों के लिए भी यह काफ़ी लाभदायक हैं । इसके सेवन से शरीर में शुगर लेवल कम होने के साथ कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होने लगता हैं ।
हेल्थ टिप्स, जो रखें आपको स्वस्थ
* पसीने में पानी पीना, छाया में बैठकर अधिक हवा खाना, छाती व सिर में दर्द पैदा करते हैं।

* भोजन के दौरान थोड़ा-थोड़ा पानी पीना, भोजन के बाद ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए।

* दिनभर बैठक का काम करने वाले व्यक्ति को प्रातः घूमना चाहिए।

* जूठा पानी पीने से टीबी, खांसी व दमा आदि बीमारियां पैदा होती हैं।

* पेट में पानी हो तो दो गोले नारियल का पानी नित्य सेवन करें।

* महिलाओं को विशेषकर अंगूर सेवन ज्यादा करना चाहिए।


* दही में बेसन मिलाकर उबटन की तरह मलें, शरीर की बदबू रफूचक्कर हो जाएगी।

* सांस फूलने पर दही की कढ़ी में देसी घी डालकर कुछ दिन खाएं।

* लू से छुटकारा पाने के लिए मिश्री के शरबत में एक कागजी नीबू निचोड़कर पीएं।

* कांच या कंकर खाने में आने पर ईसबगोल भूसी गरम दूध के साथ तीन समय सेवन करें।

* घाव न पके, इसलिए गरम मलाई (जितनी गरम सहन कर सकें) बांधें।
Healthy Living Tips

स्वस्थ रहने के टिप्स

कई माध्यमों से जुगाड़ करके सभी पाठकों  के लिए राजेश मिश्रालाए हैं स्वास्थ्य के लिए अनमोल खजना . आइये हम सभी इसका लाभ  उठायें  और दूसरों को भी प्रेरित करें. 

अच्छे स्वास्थ्य और लंबी जिंदगी के लिए योगाभ्यास तो जरूरी है ही पर इसके अतिरिक्त कुछ सामान्य नियमों और सावधानियों का पालन भी आवश्यक है। इन नियमों-सावधानियों व जानकारियों के पालन से दिनचर्या व्यवस्थित होने लगती है और हम लंबे समय तक युवा बने रह सकते हैं। 

स्वस्थ रहने के टिप्स

प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठने का नियम बनाएं। इसके लिए रात में जल्दी सोने की आदत डालें। सुबह उठने के बाद शौचादि से निवृत्त होकर ऊषापान करें। ऊषापान के लिए रात में पानी तांबे के बर्तन में भर कर रख दें और सुबह उसमें से लगभग दो गिलास पानी खाली पेट पीएं। सर्दी के मौसम में पानी थोड़ा गुनगुना कर लें।
सूर्योदय से पहले ही नित्यकर्म से निवृत्त होकर खुले वातावरण में जाकर योगाभ्यास करें।

अपनी दिनचर्या में शारीरिक श्रम को महत्व दें। कई रोग इसीलिए पैदा होते हैं, क्योंकि हम दिमाग से अधिक और शरीर से कम काम लेते हैं। आलस्य त्यागकर पैदल चलने, खेलने, सीढ़ी चढ़ने, व्यायाम करने, घर के कामों में हाथ बंटाने आदि शारीरिक श्रम वाली गतिविधियों में लगें।
भूख लगने पर ही भोजन करें। जितनी भूख हो, उससे थोड़ा कम खाएं। अच्छी तरह चबा कर खाएं। दिन भर कुछ न कुछ खाते रहने का स्वभाव छोड़ दें। दूध, छाछ, सूप, जूस, पानी आदि तरल पदार्थों का अधिकाधिक सेवन करें।
प्रकृति के नियमों के अनुरूप चलें, क्योंकि 'कुदरत से कुश्ती' करके कोई निरोगी नहीं हो सकता।
प्रतिदिन योगाभ्यास का नियम बनाएं।
भोजन पौष्टिक हो और सभी आवश्यक तत्वों से भरपूर हो।
मिष्ठान, पकवान, चिकनाई व अधिक मसालों के इस्तेमाल से परहेज करें।
सोने, जागने व भोजन का समय निश्चित करें और साफ-सफाई का हर हाल में ध्यान रखें।
बढ़ती उम्र के साथ यदि यह भाव मन में घर कर गया कि मैं बूढ़ा हो रहा हूं, तो व्यक्ति अपने इसी मंतव्य के कारण जल्दी बूढ़ा होने लग जाता है।
शरीर का वजन न बढ़ने दें।
क्रोध, चिंता, तनाव, भय, घबराहट, चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या आदि भाव बुढ़ापे को न्यौता देने वाले कारक हैं। हमेशा प्रसन्नचित्त रहने का प्रयास करें। उत्साह, संयम, संतुलन, समता, संतुष्टि व प्रेम का मानसिक भाव हर पल बना रहे।
मन में रोग का भाव बीमारियों में बढ़ोत्तरी ही करता है। स्वास्थ्य का भाव सेहत में वृद्धि करता है इसलिए दिन भर इस भाव में रहें कि मैं स्वस्थ हूं। मन में यह शंका न लाएं कि भविष्य में मुझे कोई रोग होगा।

जीभ पर नियंत्रण रखें, क्योंकि जीभ के दो ही कार्य होते हैं-बोलना और स्वाद लेना। अतः अधिक बोलने से बचें।

आधि- मन का रोग, व्याधि- तन का रोग और उपाधि- मद, ये तीनों यौवन के भयंकर शत्रु हैं। इनसे दूर रहें।

प्रायः देखा जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति पढ़ना-लिखना छोड़ देता है। इससे उसके मस्तिष्क के तंतु निष्क्रिय होने लगते हैं और नाड़ी तंत्र भी मंद पड़ने लगता है। इसका असर शरीर की समस्त क्रियाओं पर पड़ता है। व्यक्ति जल्दी बूढ़ा होने लगता है। अतः बढ़ती आयु के साथ स्वाध्याय और आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती रहनी चाहिए।

बीड़ी-सिगरेट जैसे नशीले व हानिकारक पदार्थों से बचें, क्योंकि ये सभी बुढ़ापे की ओर ले जाते हैं।

कुछ स्वास्थ्य उपयोगी जानकारियां

आंखों में जलन रहती हो, तो दिन में तीन से चार बार मुंह में ठंडा पानी भर कर 15-20 बार आंखों को ठंडे पानी से धोएं और सुबह के समय नंगे पैर हरी घास पर चलें।

चुस्त (टाइट) पैंट के पीछे दिन भर मोटा पर्स या मोबाइल रखने से कमर दर्द व साइटिका का दर्द होने की संभावना बढ़ जाती है।

नहाने से पहले सरसों का तेल दोनों नासारन्ध्रों में लगाकर नहाने के बाद नाक को अच्छी तरह साफ कर लें। ऐसा करने से नजला-जुकाम नहीं होता।

यदि ठंडे मौसम में प्रातः काल छींक आती हो, नजला-जुकाम व कफ आदि की शिकायत रहती हो तो बिस्तर से उठने से पहले कानों को ढक लें व बिस्तर से उतरते ही पैरों में चप्पल पहन लें।

शरीर में जहां भी अधिक चर्बी हो, नहाते समय वहां रगड़ कर मालिश करने से चर्बी दूर होने लगती है।

नहाने से पहले प्रतिदिन पांच-दस मिनट के लिए सरसों के तेल की मालिश करने से शरीर स्वस्थ और त्वचा मुलायम बनी रहती है।

रात को सोने से पहले हाथ-पैर-मुंह अच्छी तरह धोकर सरसों का तेल तलवों और घुटनों पर मलने से नींद गहरी आती है।

रात को सोने से पहले भ्रामरी प्राणायाम करने पर अनिद्रा रोग दूर होने लगता है।

स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए रात को सोने से पहले आंखें बंद करके बैठ जाएं और दिनचर्या पर मनन करें।

रात को भिगोए पांच बादामों को प्रातः काल छील कर खाने से स्मरण शक्ति बढ़ने लगती है।

भोजन करने के बाद दस मिनट तक वज्रासन में बैठने से भोजन जल्दी पचने लगता है और कब्ज, गैस, अफारा आदि से छुटकारा मिलता है। यदि घुटनों में दर्द रहता हो, तो वज्रासन नहीं करना चाहिए।

अधिक खा लेने के बाद यदि बेचैनी का अनुभव हो, तो वज्रासन में बैठें, तत्काल लाभ मिलेगा।

रात में दही का सेवन करने से मोटापा, जोड़ों का दर्द, वायु विकार इत्यादि होने की आशंका बढ़ जाती है।

प्रातः काल दाएं (सीधे) हाथ की मध्यमा अंगुली से दांत व मसूड़ों की धीरे-धीरे मालिश करने से दांत मजबूत हो
जाते हैं।

सुबह के समय दांत साफ करते समय दाएं (सीधे) हाथ का अंगूठा मुंह के अंदर ले जाकर उससे तालू साफ करने से बालों का झड़ना, नजला-जुकाम व कफ दोष दूर होने लगते हैं।

रात में सोने से पहले नाभि में सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते।

दूध के साथ मांस-मछली, नमकीन, खट्टा खाने से चर्म रोगों की संभावना बढ़ जाती है।

जो बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं या कम बोलते हैं, उन्हें पानी का सेवन अधिक मात्रा में कराएं।

एक साथ अधिक पानी पीने से कफ बढ़ता है, अतः पानी मुंह में रोक-रोक कर पीएं।

भोजन के बाद, नहाने से पहले, सोने से पहले पेशाब करने अवश्य जाएं।

टहलते समय गहरी श्वास-प्रश्वास करें। इससे शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है।

गर्म चीज खाने के तुरंत बाद ठंडा पानी, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक लेने से दांत तो कमजोर होते ही हैं, इसका पाचन तंत्र पर भी बुरा असर पड़ता है।

कमर दर्द रहता हो तो सीधे लेट कर कमर के नीचे मध्यम आकार का तौलिया रोल करके दर्द वाले स्थान पर लगाएं और शवासन में पांच-दस मिनट के लिए लेट जाएं।

शरीर में खाज रहती हो, तो नारियल के तेल में डली वाला कपूर डाल कर धूप में रख दें। इसकी मालिश करने से आराम मिलने लगता है। नीम के आठ-दस पत्ते थोड़े से पानी में उबाल कर नहाने के पानी में मिला लें। राहत मिलेगी। यह तेल सिर में लगाने से डैंड्रफ (रूसी) से छुटकारा मिलने लगता है।

अधिक खटाई खाने से गला खराब हो सकता है। ज्यादा चीनी खाने से रक्त विकार हो सकता है। भोजन में मैदा के अधिक प्रयोग से पेट के रोग व ज्यादा नमक खाने से गुर्दों के खराब होने की आशंका बढ़ जाती है।

हमेशा कमर व गर्दन सीधी करके बैठें। इससे शरीर में उत्साह, ऊर्जा व फुर्ती बढ़ती है और शरीर स्वस्थ बना रहता है।

दिन भर चेहरे पर प्रसन्नता बनाए रखें। जब भी मौका मिले, खिलखिलाकर हंसें।

सिर दर्द रहता हो तो कानों को खींचें। कानों के पास मालिश करने से भी आराम मिलता है।

भरपूर पानी पीने से शरीर में मलों का जमाव नहीं हो पाता। इससे शरीर में हल्कापन व तरोताजगी बनी रहती है।

लेटते व बैठते समय दाईं करवट का सहारा लें। इससे कमर व हृदय पर दबाव नहीं पड़ेगा।

वात रोग होने पर रात को भिगोई हुई लहसुन की दो कलियां प्रातः काल उन्हें तोड़कर ताजे पानी से निगलने से लाभ मिलता है।

एसिडिटी की शिकायत होने पर भोजन के पश्चात एक लौंग या गुड़ की एक डली चूसने से आराम मिलता है।

पांच पत्ते तुलसी, पांच काली मिर्च, पांच नीम के पत्ते व पांच बेल पत्र को पीस कर उसकी गोली बनाकर सुबह खाली पेट पानी से लेने से शुगर (डायबिटीज) में लाभ मिलता है।

पैरों में दर्द रहता हो, तो नहाते समय पिंडलियों से नीचे टखनों के पास पैरों की कसकर मालिश कर लें। दिन भर पैरों में आराम रहेगा।

तीन-चार बूंद गाय का घी रात को सोने से पहले दोनों नासारन्ध्रों में डालने से माइग्रेन में आराम मिलता है।

यदि गैस की शिकायत रहती हो, तो सुबह खाली पेट सेब आदि फल और दूध का सेवन सुबह न करके दिन में किसी अन्य समय कर सकते हैं। सेब व दूध को खाली पेट लेने पर गैस में वृद्धि हो सकती है।

आंव की शिकायत हो, तो मट्ठा में सेंधा नमक व सोंठ पाउडर डालकर प्रतिदिन सेवन करने से लाभ मिलने लगता है।

दिन में तीन-चार बार पानी में नींबू निचोड़ कर पीने से उच्च रक्तचाप में कमी आने लगती है।

नजला-जुकाम में काली मिर्च, पीपली, सोंठ व मुलहठी- इन चारों का समान मात्रा में पाउडर लेकर मिला लें। यह मिश्रण चौथाई चम्मच शहद के साथ चाटने से लाभ मिलने लगता है।

रात को सोते समय सिर उत्तर दिशा में नहीं होना चाहिए। इससे मानसिक रोग की संभावना बढ़ जाती है।

सुबह-शाम, दो बार शौच जाने से कब्ज की शिकायत कम हो जाती है। अतः यह नियम अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

कुर्सी पर पैरों को आगे-पीछे करके बैठने से कमर में खिंचाव नहीं होता।

सोने के लिए पलंग पर अधिक मुलायम गद्दों व मोटे तकियों का प्रयोग करने से रीढ़ की हड्डी में दर्द पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है।

शरीर में दर्द हो, तो श्वासन में लेटकर लंबे-गहरे सांस धीरे-धीरे भरें व मन से प्राण वायु को दर्द के स्थान पर ले जाएं और यह भाव रखें कि प्राण शक्ति इस रोग को दूर कर रही है।

उपवास के दिन अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें। उपवास पूरा करने (तोड़ने) के लिए पूरी, परांठे, कचौड़ी आदि गरिष्ठ भोजन की बजाय हल्का भोजन करें।

शौच या पेशाब के समय दांतों के जबड़ों को आपस में दबाकर रखने से दांत मजबूत बने रहते हैं।

लू से बचने के लिए कानों को कपड़े से ढकें व घर से निकलने से पहले अधिकाधिक पानी पी लें।

यदि ठंडी हवा लगने पर नाक से पानी आता हो, तो रात में दोनों कानों में रुई लगाकर सिर को मफलर से ढक कर सोएं।

यदि लगातार बैठे रहने से कोई पैर सुन्न हो जाए, तो उसके विपरीत वाला कान पकड़ कर खींचें।

प्राकृतिक वेगों को न रोकें

कई बार व्यक्ति शरीर के प्राकृतिक वेगों को बार-बार रोकता रहता है, जिसकी वजह से शरीर में अनेक व्याधियां पैदा हो जाती हैं। अतः शरीर के किसी भी प्राकृतिक वेग को नहीं रोकना चाहिए।

मलवेग को रोकने से पेट के निचले हिस्से में दर्द, कब्ज, गैस, अफारा पैदा होता है और रक्त दूषित होने लगता है।

मूत्रवेग को रोकने से मूत्राशय व मूत्र नलिका में दर्द व शरीर में बेचैनी होने लगती है।

वीर्यवेग को रोकने से पेड़ू, अण्डकोष, किडनी व मूत्राशय में दर्द व सूजन हो सकती है।

डकार को रोकने से छाती में भारीपन, पेट में गुड़गुड़ाहट व गले में फांस-सी लग सकती है।

छींक रोकने से गर्दन में पीड़ा, सिर दर्द, माइग्रेन, मस्तिष्क विकार व इंद्रियां निर्बल होने की आशंका रहती है।

उल्टी को रोकने से रक्त दोष, सूजन, लिवर विकार, खाज, जलन, छाती में भारीपन, खाने के प्रति अरुचि हो सकती है।

अपान वायु (गैस) को रोकने से अफारा, थकान, पेट में दर्द, मल-मूत्र रुकावट व शरीर में वायु प्रकोप हो सकता है।

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