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अण्डकोष का बढ़ना (Hydrocele)

परिचय :

          यह रोग अण्डों में किसी पर आघात के पहुंचने के कारण उत्पन्न होते हैं जैसे रस और खून आदि की वृद्धि होने से अण्डकोष वृद्धि हो जाती है। इसी को अण्डवृद्धि कहते है। यह रोग ज्यादा बढ़ने पर परेशानी उत्पन्न करता है। कुपित हुए दोष जब अण्डकोष वाहिनी धमनी में प्राप्त होकर, उन कोषों की वृद्धि करते है तो उसी को अण्डवृद्धि कहते है। अण्डवृद्धि मुख्य रूप से दो प्रकार के माने जाते है-
  1. रक्तज
  2. मूत्रज।
भोजन तथा परहेज :
  • इस रोग में अधिक खाना खाना, अधिक परिश्रम, मल-मूत्र और शुक्र का वेग रोकना, गरिष्ठ यानी भारी खाना, दही, उड़द, मिठाई, बासी अन्न, मैथुन, साइकिल की सवारी सभी हानिकारक है।
  • इस रोग में वमन, पाचक पदार्थ सेवन, ज्वार, स्वेद, विरेचन (दस्त लाने वाली वस्तुएं), ब्रह्मचर्य-पालन (संयासी जीवन), गेहूं, शालिधान्य, पुरानाचावल, ताजा मठ्ठा, गाय का दूध और हरे शाक सभी अण्डवृद्धि में फायदेमन्द है।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. ढाक : ढाक के फूलों को पानी के साथ अच्छी तरह से पकायें। खोलने पर उतार कर रख लें। हल्का ठंड़ा होने पर इसको आराम-आराम से अण्डकोष पर लेप करने से उत्पन्न सूजन से आराम मिलता है।
2. तंबाकू : तंबाकू के ताजे पत्ते पर घी चुपड़ कर, थोड़ा गर्म करें और अण्डकोष पर बांधने से सूजन दर्द सभी में आराम मिलता है।
3. पपीता : कच्चे पपीते को लेकर ऊपर का छिलका तथा अन्दर के बीज निकाल दें। बढे़ हुए अण्डकोष इस पपीते में करके, ऊपर से लंगोट बांधे। इस प्रयोग से अण्डवृद्धि और उससे होने वाले सूजन, दर्द में लाभ होता है।
4. कुन्दरू : कुन्दरू, मस्तंगी, सोंठ, तम्बाकू, आंवा हल्दी, वत्सनाग, पोस्त डोडा, वच, सभी को बराबर मात्रा में लेकर इसको कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर मकोय के रस के साथ आधे-आधे ग्राम की गोलियां बना लें। इस गोली को पानी के साथ घिसकर अण्डकोष पर लगाने, और इसी चूर्ण की पोटली से थोड़ा गर्म सेंक करें। इससे अण्डकोष के बढ़े हिस्से को रोकने में लाभ होता है।
5. बिरोजा : बिरोजा, लोध, गन्धा, फिटकरी, कुन्दरू, गुग्गल को बराबर मात्रा में पानी के साथ पीसकर लेप करने से सभी प्रकार के अण्डकोष की वृद्धि रुक जाती है।
6. आम : 25 ग्राम आम के पत्ते, 10 ग्राम सेंधा नमक, दोनों को पीसकर हल्का-सा गर्म करके लेप करने से अण्डकोष की वृद्धि सही हो जाती है।
7. किशमिश : 20 किशमिश के दाने रोजाना खाने से अण्डकोष में भरा पानी कम हो जाता है।
8. पानी : पहले गर्म पानी फिर ठंडे पानी से एक के बाद एक सेंक करने से अण्डकोष का फूलना सही हो जाता है।
9. अमलतास : अमलतास की फली के एक चम्मच गूदे को एक कप पानी में उबालकर आधा शेष रहने पर उसमें एक चम्मच गाय का घी मिलाकर खड़े-खड़े पीने से अण्डवृद्धि में लाभ होता है।
10. भांगरा : अण्डकोष की सूजन पर भांगरा के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फूल और फल) को पीसकर टिकिया बनाकर अण्डकोषों पर बांधने से अण्डकोष की वृद्धि रुक जाती है और अण्डकोष सामान्य हो जाता है।
11. नमक : सेंधानमक को पीसकर गाय के घी में मिलाकर 7 दिन तक सेवन करने से अण्डकोष में होने वाली वृद्धि में कमी होगी और आराम मिलेगा।
12. अंगूर : अंगूर के 5-6 पत्तों पर घी चुपड़कर तथा आग पर खूब गर्म कर बांधने से अण्डकोषों की सूजन बिखर कर ठीक हो जाती है।
13. अपराजिता : अपराजिता के बीजों को पीसकर गरम कर लेप करने से अण्डकोष की सूजन बिखर जाती है।
14. एरण्ड :
  • प्रतिदिन सुबह एरण्ड के तेल का जुलाब देना चाहिए और रोज दो बार एरण्ड के तेल से अण्डकोष पर मालिश करनी चाहिए। इससे अण्डवृद्धि दूर हो जाती है।
  • 10 मिलीलीटर एरण्ड तेल को 3 ग्राम गुग्गुलु और 10 मिलीलीटर गौमूत्र के साथ सुबह-शाम पीने से एवं अण्डकोष पर एरण्ड पत्ते गरम करके बांधने से अण्डकोष वृद्धि ठीक हो जाती है।
15. अरहर : यदि बच्चे की अण्डवृद्धि (फोता लटक जाए) तो अरहर की दाल भिगोकर तथा उसी पानी में पीसकर गर्म करके लेप करना लाभकारी है।

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