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योनि के ढीलेपन


प्रकृति ने स्त्री व पुरुष दोनो को ही शरीर रुपी वरदान दिया है।वह अपने आप में अनुपम है।और उसके प्राकृतिक रुप में ही वह आनन्ददायक है और फिर यह बात हम अगर सेक्स अंगो के वारे में कह रहे हैं तो इस बात का महत्व और भी बढ़ जाता है।
                    योनि स्त्री का प्रमुख सेक्स अंग है और संभोग के समय प्राकृतिक रुप से स्त्री व पुरुष को जो आनन्द प्राप्त होता है ।उसमें योनि का अपना महत्व पूर्ण योगदान है।किन्तु कई कारणों से बच्चे को जन्म देते समय या सेक्स में अधिकता से  जव योनि के आकार में वृद्धि हो जाती है तब स्त्री व पुरुष के संभोगानन्द मे कमी आ जाती है।




   योनि के ढीलेपन के कई कारण निम्न हैं।
1- शारीरिक दुर्वलता या शिथिलता की स्थिति में स्त्री की योनि कमजोरी के कारण फैल जाती है।
2-अप्राकृतिक संभोग या जबरन पुरुष साथी द्वारा ताकत से संभोग करने पर योनि की दीवारों पर क्षोभ उत्पन्न हो जाने के कारण से भी योनि शिथिल या ढीली हो सकती है।
3- बार बार प्रसव के कारण भी योनि ढीली हो जाती है।
4- खतरनाक सेक्स आसनों का नाजानकारी में प्रयोग भी स्त्री की योनि पर प्रभाव डाल देता है।
5- अत्यधिक संभोग, योनिगत स्रावों की अधिकता भी इस रोग के पैदा होने का कारण हो सकता है। 
वैसे योनि का ढीला पन योनि के मांसपैशियों के तंतु ढीले हो जाने से होता है।चाहै कारण कोई भी क्यों न हो।
इस रोग का प्रभाव दोनो पार्टनरों पर पड़ता है।और रोग की अधिकता में योनि के बाहर निकलने का खतरा रहता है।
कैसे मालुम हो कि योनि ढीली है।
वैसे तो यह मालुम करना कोई कठिन काम नही है यह ज्यादा तर आपका पुरुष साथी बता ही देता है फिर भी अगर आपको इसमे कुछ संदेह है तो आप इस तरीके से भी पता लगा सकती हैं ।
1-सिकोड़ कर देखो कि क्या यह पूरी तरह बंद हो पा रही है।अगर नही तो पार्टनर की बात सही है।
2-आप अपनी एक उंगली योनि के भीतर रख कर देख सकती हैं कि क्या आपको उत्तेजना हो रही है अगर नही तो पार्टनर की बात सही है।
3- और भी गम्भीर स्थिति तब है जवकि आपकी योनि के ओष्ठ खुले हुय़े हैं।
प्राकृतिक उपचार- उपर दिये गये कारणों को समाप्त करके तथा कुछ योगासन करके आप इस रोग को कुछ हद तक कम कर सकती हैं वाकी का काम आयुर्वेदिक योग कर देते हैं ।
  अगर  आप पेशाब करते समय कुछ समय के लिये पेशाब को रोके रहें तथा फ़िर चालू करे ऐसा जब भी पेशाब करने जाऐं तभी 3-4  बार करें इससे योनि की पेशियां सुद्रड़ होती हैं। वज्रासन की स्थिति में बैठकर शंखचालिनी मुद्रा और मूल बंध लगाने का अभ्यास नियमित करने से भी योनि संकोच होता है।
आयुर्वेदिक उपचार- स्त्री रोगों की परम हितकारिणी आयुर्वेदिक औषधि सुपारी पाक इस रोग में भी अपना अनूठा प्रभाव दिखाती है
  तो सुपारी पाक- 5 से 10 ग्रा. सुबह व शाम को दूध से सेवन करें।तथा शाम को बंग भस्म 1 रत्ती, सेमल के फूल का गोंद अर्थात मोचरस- 1 ग्रा.,शहद के साथ मिलाकर चाट लें।
            व निम्न प्रयोगों मे से कोई एक करें-
1- हरा माजूफल,फिटकरी के आग पर किये हुऐ फूले व गुलाव के फूल बराबर मात्रा में लेकर वारीक से वारीक पीस लें।इसे योनि में रखकर एक वारीक सा कपड़ा ढीला ढाला सा बाँध ले।यह प्रक्रिया लगातार फायदा न होने तक करें।
2-ढाक के गोंद की बत्ती बनाकर योनि में रखें।
3-आँवले पेड़ की छाल पानी मे 24 घण्टा पानी में भिगोकर इस पानी से ही योनि को धोऐं कुछ दिनों इस प्रयोग को लगातार बिना नागा किये करने से योनि निश्चित ही स्वभाविक अवस्था में आ जाएगी।यह कार्य आप रोजाना नहाते समय कर सकती हैं।
4- तीन हिस्सा फिटकरी व एक हिस्सा  माजूफल का गूदा एक भाग पीसकर किसी मखमल के कपड़े की पोटली बनाकर रात को सोते समय योनि में रखने से योनि सिकुड़ जाती है।

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