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आयुर्वेदिक औषधियों के कुछ दुष्प्रभाव


आयुर्वेदिक औषधियों के कुछ दुष्प्रभाव


  •       अदरख : अदरख या अदरक की प्रकृति गर्म होने के कारण जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता होकुष्ठपीलियारक्तपित्तघाव,ज्वरशरीर से रक्तस्राव की स्थितिमूत्रकृच्छजलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। खून की उल्टी होने पर और गर्मी के मौसम में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।

·         आंवला : आंवला प्लीहा (तिल्ली) के लिए हानिकारक होता हैलेकिन शहद के साथ सेवनकरने से यह दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। शहद और बादाम का तेल आंवले के दोषों को दूर करता है तथा इसके गुणों में सहायक होता है।

 

·         धनिया : सावधान धनिया याददाश्त को कमजोर करता है।

·         टमाटर : सावधान टमाटर पथरीअम्लपित्तआमवातशीतपित्तीसूजनसंधिवात के रोगियों के लिए हितकर नहीं है

·         टमाटर : सावधान जिनके शरीर में गर्मी की मात्रा अधिक होमांसपेशियों में दर्द रहता हो,तेज खांसी चलती होपेट आंतों व गर्भाशय में उपदंश होउन्हें टमाटर से परहेज करना चाहिए,न ही टमाटर का सूप आदि पीना चाहिए।

·         पालक : सावधान पालक को पनीर जैसे मिल्क प्रोडक्ट के साथ नहीं बनाना चाहिए।

·         पालक : पालक की भाजी वायुकारक हैइसलिए वर्षा के मौसम में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

·         गाजर : सावधान इस बात का ख्याल रखें- आप डाइट में गाजर का ओवर डोज न लें। वरना आपको कैरोटेनीमिया हो सकता है। इसमें स्किन येलो हो जाती है। 

·         गाजर : सावधान गाजर के भीतर का पीलापन भाग (डंठल) नहीं खाना चाहिए। क्योंकि,वह अत्यधिक गरम होता है। जिसके सेवन से छाती में जलन होती है।

·         गाजर : सावधान गाजर के गाजर के बीज गरम होते हैं। अत: गर्भवती महिलाओं को उनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

·         गाजर : सावधान गाजर और नींबू का रस मिला कर पीने से दस्त आना बंद हो जाते हैं। इस कारन ये अतिसार (दस्त) की दवाई भी है! अत: जिनको दस्त नहीं आने की शिकायत रहती होउन्हें गाजर और नीम्बू के रस को मिलाकर नहीं लेना चाहिए!

·         गाजर : गाजर का जूस सभी लोगो को पीना चाहिएलेकिन जिन लोगो को शुगर की बिमारी है उन्हें गाजर का जूस नहीं पीना चाहिए!
·         दूब : दूब का सामान्य से अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह आमाशय को नुकसान पहुंचासकती है और कामशक्ति में कमी ला सकती है। हरी दूब का अधिक मात्रा में सेवन करने से स्त्रियों को उल्टी आने लगती है।

·         पत्तागोभी : पत्तागोभी का रस एक सीमित मात्रा में (एक-डेढ़ कप) ही लेना चाहिए। नवीन शोधों से ज्ञात हुआ है कि अधिक मात्रा में लिया गया पत्तागोभी का रस थाइराइड ग्रंथि के स्राव (बहना) को बढ़ा देता है जो हानिकारक भी हो सकता है।

·         बथुआ : पथरी के रोगीओं को बथुए के साग का सेवन नहीं करना चाहियेक्योंकि इसमें लौह तत्व अधिक होने के कारण  पथरी का निर्माण होता है|

·         सोयाबीन : गर्भधारण करने वाली स्त्रियों को सोयाबीन का प्रयोग बिलकुल नही करना चाहियेंक्योंकि इससे जन्मने वाली सन्तान पर बुरा असर पड़ता है।

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