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एड्स क्या होता है (What Means ofAids)

एड्स (Aids)

परिचय

एड्स के बारे में आज विश्व में सभी को मालूम है कि यह एक बहुत ही खतरनाक व भयानक रोग है जोकि पूरे विश्व में आतंक मचा रहा है। एक कहावत है कि बचाव हमेशा उपचार से बेहतर होता है परन्तु जब किसी रोग का उपचार नहीं हो तो वहां पर बचाव के लिए सिर्फ सावधानी ही बरतनी रह जाती है। इस रोग के बारे में यह बात सभी पर लागू होती है। इस रोग के फैलने के तीन प्रमुख कारण हैं।  
असुरक्षित यौन संबंध।  
एच.आई.वी संक्रमित रक्त दूसरे व्यक्ति को चढ़ाना।  
एड्स रोगी के द्वारा उपयोग सीरिंज।

एड्स रोग के फैलने में पहले कारण को ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना गया है। यह रोग सबसे पहले कहां पर फैला, इसके बारे में कईयों का कहना है कि इस रोग का फैलाव यूरोपीय देशों से हुआ है, इससे सभी लोग सहमत हैं। यूरोपीय देशों में सेक्स बहुत ही गहरी दृष्टि से समाया हुआ है। वहां के लोगों के जीवन जीने के लिए और जीवन का मजा लेने के लिए सेक्स के प्रति विचार बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।
वहां संभोग (सेक्स) करना भी एक कला है। वहां के देशों में रहन-सहन इतना अच्छा नहीं है जितना कि हमारे समाज और देश में है। यूरोपीय देशों में सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि नारियां भी संभोग का मजा लेने के लिए अपने साथी बदलती रहती हैं। इस प्रकार के वातावरण में आपसी संभोग के बीच एड्स के विषाणुओं की कब तथा कैसे उत्पत्ति हो गई इसके बारे में पता ही नहीं चल पाता है। एड्स ने आज देश भर में अपना प्रभाव जमा लिया है।
यूरोपीय देश बहुत ही अमीर और विकसित देश हैं। वहां के देशों में इस रोग को ठीक करने के लिए तथा दवा को ढूढ़ने के लिए अरबों-खरबों रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है। विभिन्न देशों के जाने-माने डाँक्टर तथा वैज्ञानिक इस दवा को खोजने के लिए दिन-रात बहुत ही मेहनत कर रहे हैं।

अगर हम अपने देश के बारे में सोचे तो हमारा देश विकासशील देशों में बहुत ही कम नामों में गिना जाता है। यहां की इतनी अधिक जनसंख्या हो जाने पर काफी लोग ऐसे हैं जो अपना जीवनयापन चलाने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान तक का भी प्रबंध सही प्रकार से नहीं कर सकते है।
हमारे देश का बजट सीमित होने की वजह से इसका एक बहुत बड़ा भाग वैज्ञानिक खोज कार्यक्रम पर खर्च करना आसान नहीं है। अत: इस रोग से बचने के लिए सम्पूर्ण जानकारी तथा हमारे देश की महान परम्परा को मानना ही एक अकेला रास्ता रह जाता है। हमारा समाज बहु स्त्रीवाद या पराई स्त्री के आगमन के बारे में आदेश नहीं देता है।
यहां पर स्त्रियों का जितना सम्मान किया जाता है उतना सम्मान किसी भी देश में नहीँ किया जाता है। यहां पर स्त्री को सेक्स की नजर से नहीं देखा जाता है। लेकिन ऐसा महसूस होता है कि यूरोपीय देशों का जहर हमारे देश में भी फैलता जा रहा है। इस सेक्स के प्रति हमारा देश बिखरता नजर आ रहा है। सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था की नाव डगमगाने लगी है।

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