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शीघ्रपतन क्या होता है

परिचय (Introduction)

शीघ्रपतन एक ऐसा रोग जो आज के नवयुवकों में महामारी की तरह फैल रहा है। यह रोग युवकों को शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी नुकसान पहुंचा रहा है। असल में शीघ्रपतन है क्या यह बात जानना जरूरी है क्योंकि बहुत से युवक तो सिर्फ इसके नाम से ही बुरी तरह भयभीत हो जाते हैं। संभोग क्रिया के समय जिनका वीर्य कुछ मिनटों में ही निकल जाता है अर्थात वह कुछ मिनटों में स्खलित हो जाते हैं उनको लगता है कि वह अपनी पत्नी को कभी खुश नहीं रख सकते, उसे संभोग की चरम सीमा पर नहीं पहुंचा सकते आदि। कई युवकों को तो यह भी डर रहता है कि इसके कारण उनको बाप बनने में भी परेशानी आ सकती है। ऐसे कितने ही सवाल उनके मन में संभोग क्रिया के समय स्खलित जल्दी हो जाने पर पैदा होते हैं। लेकिन ऐसे युवकों को एक बात की जानकारी देना जरूरी है कि स्खलन हमेशा मिनटों में ही होता है उसको होने के लिए कभी भी आधा घंटा या पूरा घंटा नहीं लगता है। चाहे कोई कितना भी पहलवान हो या बिल्कुल स्वस्थ हो वह भी संभोग क्रिया के समय मिनटों में ही स्खलित होता है।

बहुत से लोगों में आदत होती है कि वह अपने दोस्तों के सामने कहते फिरते हैं कि मैने अपनी पत्नी के साथ सेक्स किया तो उस समय मेरा लिंग उसकी योनि में पहुंचने के बहुत देर तक स्खलित नहीं हुआ। ऐसे में अगर उसका दोस्त अपनी पत्नी के साथ सही तरह के सेक्स संबंध बना भी रहा होगा तो भी उसे महसूस होगा कि मै तो संभोग क्रिया के समय उससे जल्दी स्खलित हो जाता हूं इसका मतलब मुझे शीघ्रपतन का रोग है।

असल में संभोग क्रिया के समय जब पुरुष स्त्री की योनि में अपना लिंग प्रवेश कराता है और घर्षण करने की क्रिया में लग जाता है तो लगभग आधे से एक मिनट में ही उसका स्खलन हो जाता है। कुछ लोग हैं जो इससे ज्यादा समय तक अपने वीर्य को स्खलित होने से रोक पाते है लेकिन वह भी ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 मिनट बस।

जानकारी (Information)

असल में किसी भी चीज के समाप्त होने का संबंध कहीं न कहीं हमारी मानसिक स्थिति के साथ होता है। अगर कोई लड़का किसी लड़की से मिलने जाता है तो वह पूरे दिन साथ में रहते हैं लेकिन जब शाम को लड़की घर जाने लगती है तो लड़के को लगता है कि लड़की अभी तो आई थी और इतनी जल्दी समय भी हो गया। ऐसे ही हमारी जिंदगी में सुख और दुख के साथ होता है। अगर इंसान सुखी है तो सुख में उसका समय पंख लगाकर उड़ जाता है लेकिन अगर उस पर दुख आता है तो उसका एक-एक पल सदियों की तरह बीतता है। यही बातें स्खलन पर भी लागू होती हैं। कोई भी पुरुष संभोग क्रिया के समय जब अपने लिंग को स्त्री की योनि में प्रवेश कराके घर्षण क्रिया करता है तो उस समय वह इतने ज्यादा सुख और आनंद में डूब जाता है कि उस समय का कोई ध्यान ही नहीं रहता। उस समय एक मिनट को भी वह यह समझता है कि जैसे एक पल ही हो। यहीं से उसके मन में शीघ्रपतन का वहम बैठ जाता है। लेकिन ऐसे पुरुष जिनका वीर्य संभोग क्रिया के समय आधे मिनट के बाद स्खलित होता है उन्हें समझ लेना चाहिए कि उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है और वह बिल्कुल स्वस्थ हैं।शीघ्रपतन का सच- 

यह सब तो आपको पता चल गया कि किस अवस्था तक व्यक्ति को नहीं सोचना चाहिए कि उसको शीघ्रपतन का रोग है। अब बात आती है असली शीघ्रपतन रोग और उसके रोगियों की। बहुत से पुरुष जब स्त्री के साथ संभोग करते हैं तो उनका लिंग स्त्री की योनि में पहुंचते ही स्खलित हो जाता है, बहुत से तो अपने लिंग को स्त्री की योनि से स्पर्श कराते ही स्खलित हो जाते हैं और बहुत से ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ प्राक-क्रीड़ा में ही स्खलित हो जाते हैं। ऐसे पुरुषों को कहा जा सकता है कि वह शीघ्रपतन के रोग से ग्रस्त हैं।

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