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कब्ज (कोष्ठबद्धिा) (Constipation) कारण और लक्षण

कब्ज (कोष्ठबद्धिा) (Constipation)

पाचन संस्थान केसभी रोग अप्राकृततक आहार-तवहार, अतनयतमत मल-मत्रूत्याग,   पूरी  नींद न लेन, पानी कम पीने, मानतसक तचरता करने, अतधक तली-भनुी चीजेंखाने, भखू सेअतधक खाने, तबना भखू के खाने, भखू सेअतधक खाने, तबना चबाये खाने, उत्तेजक दवाइयों का सेवन करने,
तनयतमत रूप से कोई योगासन-प्राणायाम न करनेतथा कभी उपवास न करनेसेहो जातेहैतथा पाचन संस्थान पर मनोतवकारों का भी बहुत प्रभाव पड़ता ह।मनोतवकारों का लगातार बना रहना पाचन संस्थान केतकसी न तकसी अगं
को रोग ग्रस्त बना देता है।
ब्ज सभी रोगों का कारण है। कब्ज को कोष्ठ ï बद्घता, तवबंध, मलबंध, मलावरोध, आनाह तथा
तवष्टïब्धता आतद कई नामों सेजानतेह।ैयतद हम पणूभस्वस्थ रहना चाहतेहैतो हमेंकब्ज कभी नहीं होने
देना चातहए।
कारण :
मल जब तकसी कारण बड़ी आतं मेंजमा होकर अपनेरास्तेसेबाहर नहीं तनकलता बतकक वहीं
पड़ा-पड़ा सड़ा करता हैतो उसेकब्ज होना कहते है , आंतो  मेंखाद्य पदाथो का रस चसूनेका कार्य
अतवराम गतत सेचलता रहता ह।ैकब्ज की अवस्था मेंआतं ेंसड़ेमल का तवष भी चसूकर रक्त मेंतमला
देती है, तजससे रक्त तवषाक्त होकर नाना प्रकार के रोगों का कारण बनता है।
लक्षण :
कब्ज के रोगी का पाखाना साफ नहीं होता , हमशे ा सस्ुती छाई रहती, पेडूकठोर और पेट भारी
रहता, तसर में ददभ रहता , नींद ठीक से नहीं आती , मतस्तष्क खाली-सा जान पड़ता , भखू खलु कर नहीं
लगती हैतथा शरीर केलगभग सभी रोगों केमलू मेंकोष्ठ ïबद्घता अवश्य होती है, तजसेदरूकरना
अततआवश्यक है। तजससे रोग की तीव्रता कम होकर रोग ठीक हो जाता है। �

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