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Indian Ayurved:- पेट के भीतरी भाग वेष्टन में जलन होने के कारण दर्द (Treatment of Parrynaitis)

पेट के भीतरी भाग वेष्टन में जलन होने के कारण दर्द (Parrynaitis)

परिचय:-

इस रोग के कारण पेट के भीतरी भाग में जलन होने लगती है जिसके कारण पेट में दर्द होता है। इस रोग को पैरीनाईटिस भी कहते हैं।

पैरीनाईटिस रोग होने का कारण-

          पैरीनाईटिस रोग कई प्रकार के रोगों के हो जाने के कारण होता है जैसे- पेचिश, कैंसर, तथा टायफाइड आदि। इन रोगों के कारण पेट के भीतरी भाग वेष्टन की झिल्ली में विजातीय द्रव्य जमा हो जाता है जिसके कारण वहां पर घाव बन जाता है। इसी कारण से पेट के वेष्टन भाग में जलन तथा दर्द होने लगता है। ज्यादा हिलने-डुलने पर यह दर्द और भी तेज हो जाता है।

पैरीनाईटिस रोग होने के लक्षण-

          इस रोग के कारण रोगी के पेट में तेज दर्द होता है तथा उसका पेट फूलकर काठ (लकड़ी) के समान कठोर हो जाता है। इस रोग के कारण रोगी को अधिक प्यास लगती है और उल्टियां भी होने लगती हैं और रोगी के शरीर से ठंडा पसीना निकलने लगता है।

पैरीनाईटिस रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

पैरीनाईटिस रोग से पीड़ित रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को शहद मिले गुनगुने पानी का एनिमा दिन में 2 बार देना चाहिए। इस क्रिया को कम से कम 4-5 दिनों तक करना चाहिए।

 एनिमा देने के लगभग 20 मिनट के बाद रोगी के पेट पर भाप देनी चाहिए। इसके बाद 1 घण्टे के लिए उसके पेट पर ठंडी पट्टी लगानी चाहिए तथा दिन में 2 बार रोगी को तौलिया स्नान कराना चाहिए तथा सप्ताह में 1 बार एप्सम साल्ट बाथ कराना चाहिए।

रात के समय में रोगी व्यक्ति के पेट पर गीली पट्टी या कमर की गीली पट्टी लगानी चाहिए। जब तक रोगी का रोग ठीक न हो जाए तब तक रोगी को नींबू का रस मिला हुआ पानी पिलाना चाहिए तथा इसके बाद रोगी को धीरे-धीरे सादा भोजन करना चाहिए।

इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से रोगी का पैरीनाईटिस रोग जल्द ही ठीक हो जाता है।




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