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Indian Ayurved:- पेचिश (संग्रहणी),दस्त के कारण (Treatment of Dysentery)

पेचिश (संग्रहणी),दस्त के कारण (Treatment of Dysentery)

परिचय:-

पेचिश दस्त का ही एक रुप है। जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके शरीर में कमजोरी आ जाती है। इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति की आंते कमजोर हो जाती हैं।

पेचिश रोग के लक्षण-

इस रोग से पीड़ित रोगी जब मलत्याग करता है तो उसके मल के साथ रक्त तथा तैलीय चिपचिपा पदार्थ भी निकलता रहता है।जब रोगी व्यक्ति मलत्याग कर लेता है तब भी उसे ऐसा महसूस होता है कि उसे शौच फिर से आ रही है।रोगी व्यक्ति के पेट में तेज दर्द होता है तथा उसे भूख भी कम लगती है।इस रोग से पीड़ित रोगी को तेज प्यास लगती है और रोगी को शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है।इस रोग से पीड़ित रोगी को कभी-कभी बुखार भी हो जाता है जो 104 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है।पेचिश से पीड़ित रोगी के शरीर में आलस्य भरा रहता है तथा उसे किसी भी कार्य को करने का मन नहीं करता है। रोगी का मन हर समय बुझा-बुझा सा रहता है।

पेचिश रोग होने के कारण-

          यह रोग गलत भोजन का सेवन करने के कारण अधिक होता है। गलत भोजन (शुद्ध भोजन न होना) का सेवन करने के कारण व्यक्ति के शरीर में दूषित द्रव्य जमा हो जाता है तथा उसे कब्ज बनी रहती है जिसके कारण बड़ी आंत में घाव बन जाते हैं और इस घाव के भीतर इस रोग के कीटाणुओं का जन्म होता है इन्हीं कीटाणुओं के आधार पर एक अमीबिक पेचिश तथा दूसरी बैसीलरी पेचिश कहलाती है। जब अमीबिक पेचिश का रोग हो जाता है तो रोगी को बहुत अधिक सावधानी बरतनी चाहिए नहीं तो यह रोग बहुत धीरे-धीरे से ठीक होता है। बैसीलरी पेचिश का प्रभाव तेज होता है लेकिन उपचार करने पर यह जल्दी ही ठीक हो जाता है।

पेचिश रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

पेचिश रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करके बड़ी आंत को साफ करना चाहिए। एनिमा क्रिया करने के बाद पेट पर गर्म ठंडी सिंकाई करनी चाहिए तथा इसके बाद पेट पर गीले कपड़े की पट्टी या मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए। फिर रोग के रोग के अनुसार पट्टी की क्रिया कई बार करनी चाहिए। इसके परिणाम स्वरुप यह रोग ठीक हो जाता है।पेचिश रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को कटिस्नान करना चाहिए। इसके बाद रोगी को दिन में एक बार गर्म पादस्नान करना चाहिए। फिर तौलिए से शरीर को पौंछना चाहिए। इस क्रिया को कुछ दिनों तक करने से यह रोग ठीक हो जाता है।जब तक पेचिश रोग ठीक न हो जाए तब तक रोगी को उपवास रखना चाहिए और पानी में नींबू का रस मिलाकर पीते रहना चाहिए और फिर आवश्यकतानुसार 1 सप्ताह तक फलों का रस पीते रहना चाहिए और कुछ फलों को खाते भी रहना चाहिए जिसके परिणाम स्वरूप यह रोग जल्द ही ठीक हो जाता है।मट्ठे का प्रतिदिन अधिक मात्रा में सेवन करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। इसके परिणामस्वरूप पेचिश रोग ठीक हो जाता है।पेचिश रोग को ठीक करने के लिए रोगी को प्रतिदिन सूर्यतप्त आसमानी बोतल का पानी पीना चाहिए।इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन रात को सोते समय अपनी कमर पर भीगी चादर की लपेट देकर सोना चाहिए तथा सुबह के समय में हल्का व्यायाम करना चाहिए और सांस की कसरत करनी चाहिए। इसके परिणाम स्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।पेचिश रोग से पीड़ित रोगी को जब अपने पेट में ऐंठन तथा दर्द हो रहा हो तो पेट पर गर्म और फिर ठंडी सिंकाई करनी चाहिए। इस रोग में रोगी को पेट पर गर्म सिंकाई कम से कम 10 मिनट तक करनी चाहिए तथा इसके बाद 10 मिनट तक ठंडी सिंकाई करनी चाहिए। इसके परिणामस्वरूप रोगी के पेट की ऐंठन तथा दर्द ठीक हो जाता है और उसका रोग भी जल्दी ठीक हो जाता है।पेचिश रोग से पीड़ित रोगी के आंव से खून भी आ रहा हो तो उसे आसमानी रंग की बोतल के सूर्यतप्त जल को 25 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन 4 बार पीना चाहिए या फिर हरी और गहरी नीली बोतलों के सूर्यतप्त जल को बराबर मात्रा में लेकर आपस में मिलाकर, इसमें से 25 मिलीलीटर की मात्रा दिन में 4 बार लेनी चाहिए। इसके परिणाम स्वरूप आंव से खून का आना बंद हो जाता है तथा पेचिश रोग भी जल्दी ही ठीक हो जाता है।इस रोग से पीड़ित रोगी को दिन में 2-3 बार 6 ग्राम की मात्रा में ईसबगोल लेकर इसे पानी में कम से कम 10 घण्टे तक भिगोना चाहिए और फिर इसे पी लेना चाहिए। इसके फलस्वरूप आंतों की जलन ठीक हो जाती है ओर पेचिश रोग ठीक हो जाता है।पीड़ित रोगी को जब तक आंव आना बंद न हो जाए तब तक उसे भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को अधिक से अधिक फलों का रस तथा पानी पीना चाहिए।

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