loading...
loading...

पुरानी कब्ज, आंव, आंतों की सूजन का घरेलु ईलाज

(Spogel Seeds)

ईसबगोल की व्यवसायिक रूप से खेती उत्तरी गुजरात के मेहसाना और बनासकाठा जिलों में होती है। वैसे ईसबगोल की खेती उ.प्र, पंजाब, हरियाणा प्रदेशों में भी की जाती है। ईसबगोल का पौधा तनारहित, मौसमी, झाड़ीनुमा होता है। ईसबगोल की ऊंचाई लगभग 10 से 30 सेमी होती है। ईसबगोल के पत्ते 9 से 27 सेमी तक लम्बे होते हैं। इसका फूल गेहूं की बालियों के समान होता है। जिस पर ये छोटे-2, लम्बे, गोल, अण्डाकार मंजरियों में से निकलते हैं। फूलों में नाव के आकार के बीज लगते हैं। बीजों से लगभग 26-27 प्रतिशत भूसी निकलती है। भूसी पानी के संपर्क में आते ही चिकना लुबाव बना लेती है जो बिना स्वाद और गंध का होता है। औषधि रूप में ईसबगोल बीज और उसकी भूसी का उपयोग करते हैं। 

विभिन्न रोगों में उपयोग : 

1. आमातिसार, रक्तातिसार (खूनी दस्त): ईसबगोल को दही के साथ सेवन करने से ऑंवयुक्त दस्त और खूनी दस्त के रोग में लाभ मिलता है। 
2. अमीबिका (पेचिश): 100 ग्राम ईसबगोल की भूसी में 50-50 ग्राम सौंफ और मिश्री को 2-2 चम्मच की मात्रा में रोजाना 3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है। 
3. कांच खाने पर: ईसबगोल की भूसी 2 चम्मच की मात्रा में दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ होता है। 
4. जोड़ों का दर्द: ईसबगोल की पुल्टिश (पोटली) पीड़ित स्थान पर बांधने से जोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है। 
5. पायरिया: ईसबगोल को सिरके में मिलाकर दांतों पर मालिश करने से पायरिया के रोग में लाभ मिलता है। 
6. स्वप्नदोष: ईसबगोल और मिश्री मिलाकर एक-एक चम्मच एक कप दूध के साथ सोने से 1 घंटा पहले लें और सोने से पहले पेशाब करके सोयें। 
7. आंव: 1 चाय की चम्मच ईसबगोल गर्म दूध में फुलाकर रात्रि को सेवन करें। प्रात: दही में भिगोकर, फुलाकर उसमें सोंठ, जीरा मिलाकर 4 दिन तक लगातार सेवन करने से आंव निकलना बंद हो जाएगा। 
8. पुरानी कब्ज, आंव, आंतों की सूजन : पुरानी आंव या आंतों की सूजन में 100-100 ग्राम बेल का गूदा, सौंफ, ईसबगोल की भूसी और छोटी इलायची को एक साथ पीसकर पाउडर बना लेते हैं। अब इसमें 300 ग्राम देशी खांड या बूरा मिलाकर कांच की शीशी में भरकर रख देते हैं। इस चूर्ण की 2 चम्मच मात्रा सुबह नाश्ता करने के पहले ताजे पानी के साथ लेते हैं और 2 चम्मच शाम को खाना खाने के बाद गुनगुने पानी या गर्म दूध के साथ 7 दिनों तक सेवन करने से लाभ मिल जाता है। लगभग 45 दिन तक यह प्रयोग करने के बाद बंद कर देते हैं। इससे कब्ज, पुरानी आंव और आंतों की सूजन के रोग दूर हो जाते हैं। 
9. आंव (पेचिश, संग्रहणी): ईसबगोल 3 भाग, हरड़ और बेल का सूखा गूदा बराबर मात्रा में मिलाकर तीनों को बारीक पीसकर 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। 

10. कांच या कंकड़ खा लेने पर:
यदि खाने के साथ कांच या कंकड़ पेट में चला जाए तो 2 चम्मच की ईसबगोल की भूसी गरम दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
ईसबगोल की भूसी को 2 से 3 चम्मच की मात्रा में 1 गिलास ठण्डे पानी में भिगोकर मीठा (बूरा) मिलाकर खायें।

No comments

Thanks

Theme images by konradlew. Powered by Blogger.