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गले के रोग ,टांसिल का बढ़ना का घरेलु इलाज

फिटकरी
फिटकरी लाल व सफेद दो प्रकार की होती है। दोनों के गुण लगभग समान ही होते हैं। सफेद फिटकरी का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है। यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है। शरीर की त्वचा, नाक, आंखे, मूत्रांग और मलद्वार पर इसका स्थानिक (बाहृय) प्रयोग किया जाता है। रक्तस्राव (खून बहना), दस्त, कुकरखांसी तथा दमा में इसके आंतरिक सेवन से लाभ मिलता है।
दाढ़ी बनाने, बाल काटने के बाद फिटकरी रगडे़ या पानी में गीला कर दाढ़ी पर लगायें। इससे दाढ़ी की त्वचा सुन्दर और स्वस्थ होती है। जहां पर चींटिया व दीमक हो वहां पर सरसों का तेल लगाकर फिटकरी को डालने से चींटियां व दीमक वहां नहीं आती है।
फिटकरी के विभिन्न उपयोग :
1. संकोचन: फिटकरी सिकुड़न पैदा करने वाली होती है। त्वचा, नाक, आंख, मूत्रांग और मलदार पर इसका स्थानीय प्रयोग किया जाता है। रक्तस्राव (खून बहना), दस्त, कुकरखांसी तथा दमा में आंतरिक सेवन से लाभ मिलता है।
2. शराब का नशा: यदि किसी व्यक्ति ने शराब ज्यादा पी ली हो तो 6-ग्राम फिटकरी को पानी में घोलकर पिला दें। इससे शराब का नशा कम हो जाएगा।
3. बच्चों के रोग:
लगभग 800 मिलीग्राम भुनी हुई फिटकरी, 800 मिलीग्राम भुना हुआ सुहागा, 800 मिलीग्राम तूतिया, 800 मिलीग्राम कचिया और 10 ग्राम मिश्री को एक साथ अच्छी तरह से पीसकर शीशी में भरकर रख लें। इस चूर्ण को थोड़ी सा लेकर सलाई से आंखों में लगाने से आंख का माड़ा-फूली और आंखों से धुंधला दिखाई देना दूर हो जाता है।
लगभग 3-3 ग्राम फिटकरी, सेंधानमक और मिश्री को उबाले हुए पानी में मिलाकर शीशी में भर लें। इस रस को गर्मी की वजह से आई हुई आंख में डालने से बहुत लाभ होता है। यह रस आंखों की लाली भी दूर कर देता है।
भुनी हुई फिटकरी, पापरी कत्था, इलायची के दानों को एक साथ पीसकर मुंह के छालों में लगाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
लगभग 240 मिलीग्राम लाल फिटकरी को प्याज के रस में गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द बंद हो जाता है।
गर्मी से आने वाली खांसी में कफ पककर सूख जाता है, कफ बाहर नहीं निकलता। ऐसी हालत में 120 मिलीग्राम भुनी हुई फिटकरी, 120 मिलीग्राम भुना सुहागा, शहद से चटायें या दूध के साथ पिलायें, इससे कफ ढीला होकर खांसी दूर हो जाएगी।
अगर कान में मवाद आये तो फिटकरी और माजूफल को पीसकर शहद में मिलाकर बत्ती बना लें। इस बत्ती को कान में रखने से आराम आता है।
1 ग्राम फिटकरी और 2 ग्राम कलसी (पृष्ठपर्णी) बिना पिसी हुई पोटली में बांध कर, पानी में भिगोकर आंखों पर लगाने से आंखों का लाल होना दूर होता है।
1 ग्राम लोध्र, 1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी, आधा ग्राम अफीम और 4 ग्राम इमली की पत्तियों को लेकर और सबको पीसकर पोटली बना लें और पानी में भिगो-भिगो कर आंखों पर फेरे। इससे आंखों का दर्द कम हो जाता है। 2-2 ग्राम इमली की पत्तियां, हल्दी और फिटकरी को लेकर बारीक पीसकर, पोटली बनाकर और पानी में भिगोकर आंखों पर लगाने से और थोड़ा सा आंखों में डालने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है।
4. गले के रोग:
खाने का सोडा और खाने का नमक बराबर मात्रा में और थोड़ी सी पिसी हुई फिटकरी मिलाकर शीशी में रख लेते हैं। इस मिश्रण की एक चम्मच मात्रा एक गिलास गर्म पानी में घोल लेते हैं। इस पानी से सुबह उठते और रात को सोते समय अच्छी तरह गरारे करने चाहिए। इससे गले की खराश, टॉन्सिल की सूजन, मसूढ़ों की के रोग और गले में जमा कफ, गले की व्याधि व खांसी नहीं होती है।
लगभग 2-2 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को 1-1 कप गर्म दूध से सुबह और शाम लें। इससे गले की गांठे दूर हो जाती हैं।
10 ग्राम फिटकरी को तवे पर भूनकर और पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 ग्राम फिटकरी सुबह के समय चाय या गर्म पानी के साथ लें। यह प्रयोग दिन में चार बार करें। इससे गले की सूजन दूर हो जाती है।
गले के दर्द में भुनी हुई फिटकरी को ग्लिसरीन में मिलाकर गले में डालकर फुरैरी (कुल्ला) करें। इससे गले का दर्द ठीक हो जाता है।
5. जननांगों की खुजली: फिटकरी को गर्म पानी में मिलाकर जननांगों को धोने से जननांगों की खुजली में लाभ होता है।
6. टांसिल का बढ़ना:
टांसिल के बढ़ने पर गर्म पानी में चुटकी भर फिटकरी और इतनी ही मात्रा में नमक डालकर गरारे करें।
गर्म पानी में नमक या फिटकरी मिलाकर उस पानी को मुंह के अन्दर डालकर और सिर ऊंचा करके गरारे करने से गले की कुटकुटाहट, टान्सिल (गले में गांठ), कौआ बढ़ना, आदि रोगों में लाभ होता है।
5 ग्राम फिटकरी और 5 ग्राम नीलेथोथे को अच्छी तरह से पकाकर इसके अन्दर 25 ग्राम ग्लिसरीन मिलाकर रख लें। फिर साफ रूई और फुहेरी बनाकर इसे गले के अन्दर लगाने और लार टपकाने से टांसिलों की सूजन समाप्त हो जाती है।
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