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पाचक नली या पोषण नाली की संरचना

        पाचन संस्थान में विभिन्न भाग होते हुए भी पाचक नली के विभिन्न भागों की भित्तियों की मूलभूत रचना एक जैसी होती है। सामान्य रूप से पाचक नली की भित्तियां अंदर से बाहर की ओर क्रमशः ऊतक की निम्न चार परतों से मिलकर बनती है-

श्लेष्मिक कला परत:

          पाचक नली की यह सबसे अंदर की परत मानी जाती है। इस परत में उपकला (epithelium), उपकला को सहारा देने वाली संयोजी ऊतक की परत (lamina propria), (इसमें लसीका पर्विकाएं (lymphatic nodules) और लिम्फोसाइट्स होती है) तथा दो पतली पेशीय परतों की बनी पेशीय श्लेष्मिक कला (muscularis mucosa) होती है (इसमें तंत्रिका जालिका रहती है)। उपकला परत का सतही क्षेत्र बड़े-बड़े वलय या मोड़ों, (आमाशय में वलय तथा छोटी आंतों में वृत्ताकार वलय तथा अंकुर (villi)) गडढों और ग्रंथियों द्वारा बढ़ जाता है। यह परत स्नेहन, स्राव तथा अवशोषण का कार्य करती है और सख्त खाए गए पदार्थों को चिकना बनाकर पाचक नली में खिसकाने में मदद करती है। इस परत में अवशोषी कोशिकाएं (absorptive cells) और स्रावी कोशिकाएं मौजूद रहती है, जो श्लेष्मा, एंजाइम्स आदि पैदा करती है।

 

पेशीय परत:

          यह बाह्य सीरमी परत के नीचे मुख्य पेशीय परत होती है। यह ज्यादातर क्षेत्रों में अनैच्छिक या चिकनी पेशी की तीन परतों- बाह्य लम्बाकार (longitudinal), मध्य गोलाकार (circular) और आंतरिक तिरछी (oblique) पेशियों से बनी होती है। ऊपरी ग्रासनली (oesophagus) और गुदा की संकोचिनियों (sphincters of anus) में कंकालीय पेशी के तंतु मौजूद रहते हैं। पाचक नली की यह पेशीय परत भोजन को पाचक नली में होकर पेशीय संकुचनों की तरंगों द्वारा नीचे को खिसकाती है। इन तरंगों को क्रमाकुंचन (peristalsis) कहते हैं।

 

बाह्य सीरमी परत:

          पाचक नली की यह सबसे बाहरी परत होती है तथा पतले संयोजी ऊतक से बनी होती है लेकिन बहुत से ऐसे स्थान, जहां यह पाचक अंगों को ढककर रखती है, उपकला की बनी होती है। जहां उपकला का अभाव रहता है वहां पर यह बाह्यकंचुक (adventitia) कहलाती है जैसे- ग्रासनली में। अंतरांगों (viscera) को ढकने वाला भाग अंतरांगी उदरावरण (visceral peritoneum) कहलाता है। सीरमी कला का दोहरी परत वाले भाग को’आंत्रयोजनी’ (mesentery) कहते हैं। इसकी सीरमी परत में रक्त नलिकाएं, तंत्रिकाएं और लसीका नलिकाएं मौजूद रहती है।

 

अवश्लेष्मिक परत:

 यह श्लेष्मिक कला और पेशी परतों के बीच संयोजी ऊतक की बहुत ही ज्यादा वाहिकीय (Vascular) परत होती है। इस परत में बहुत सी तंत्रिकाएं और कुछ निश्चित क्षेत्रों में लसीकीय पर्विकाएं स्थित रहती है। ग्रहणी और ग्रासनली में अवश्लेष्मिक ग्रंथियां मौजूद रहती है।

 

 

 

 

 

 

 

 


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