इस प्रकार के ऊतक चमकदार श्वेत तन्तुओं (fibres) से बने होते हैं। ये तन्तु पतले और अशाखीय (non-branching) रहते हैं और एकाकी न रहकर बण्डलों में रहते हैं। श्वेत तन्तुओं के बण्डल लहरदार (wavy) होते हैं तथा विभिन्न दिशाओं में प्रवाहित होते नजर आते हैं। इन बण्डलों से ही शाखाएं फूटती है और विभिन्न बण्डलों की शाखाएं आपस में मिलती जाती है। इनके बीच-बीच का खाली स्थान अवकाशी ऊतक तथा संयोजी ऊतक कणिकाओं (connective tissue corpuscles) से भरा रहता है। इन ऊतकों की रासायनिक रचना में मुख्य रूप से ‘कोलेजन’ नामक प्रोटीन होती है।
इस प्रकार के ऊतक कण्डराओं (tendons), स्नायुओं (ligaments), संधि-संपुटों (articular capsule), अंगों के तन्तुमय आवरणों तथा कुछ कलाओं (membranes) में पाये जाते हैं।
इन ऊतकों का कार्य शरीर के विभिन्न भागों तथा शरीर के विभिन्न ऊतकों को जोड़ना है। ये जहां भी रहते है, वहां उन अंगों का फैलाव एवं दबाव से यान्त्रिक सुरक्षा (mechanical protection) प्रदान करते हैं। इसके साथ ही इन अंगों को अत्यधिक मजबूती तथा अत्यधिक मात्रा में नम्यता एवं लचीलापन प्रदान करते हैं।