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बच्चों की मसाज व नियम

 

बच्चे की मालिश करने के नियम-

  • बच्चों की मालिश शुद्ध घी या मक्खन से ही करनी चाहिए। इसके अलावा जैतून का तेल भी मालिश के लिए उत्तम माना जाता है। जो लोग गरीब होते हैं तथा घी से बच्चों की मालिश कराने में पूरा खर्चा नहीं कर सकते हैं। वे सरसों या नारियल के तेल से भी बच्चे की मालिश कर सकते हैं। साधारण तौर पर घी की मालिश से बच्चों का अच्छा विकास होता है।
  • बच्चों की मालिश हमेशा धूप में करनी चाहिए। जिन बच्चों को अपनी मां के दूध से विटामिन `डी´ नहीं मिल पाता है। उन्हें धूप से विटामिन `डी´ मिलता है। विटामिन `डी´ से बच्चों की हडि्डयां और अंग मजबूत बनते हैं तथा इससे कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है।
  • जो बच्चे जन्मकाल से ही कमजोर हो या जिनका विकास भली-भांति न हो रहा हो, उन बच्चों की मालिश मछली के तेल से करनी चाहिए। इसके अलावा बादाम रोगन की मालिश भी उन्हें बहुत लाभ देती है। ध्यान रहें कि मालिश के बाद बच्चों को कुछ देर के लिए धूप में ही लिटाए रखना चाहिए।
  • जहां तक सम्भव हो सके, बच्चों की मालिश उनकी माता द्वारा ही की जानी चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि आजकल धनी परिवार की माताएं अपने बच्चों की मालिश दाइयों से या आयाओं से कराती हैं, जोकि बच्चों के स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं है। मालिश करने वाले के विचारों का प्रभाव मालिश कराने वाले पर पड़े बिना नहीं रह सकता। मां की ममता तथा उसकी स्वाभाविक भावना कि मेरा बच्चा स्वस्थ-सुन्दर होगा, हष्ट-पुष्ट होगा, सबसे अधिक शक्तिवान और तेज वाला होगा, उसकी आयु लम्बी होगी, वह बुद्धिमान होगा, बड़े-बड़े कार्य करेगा आदि विचार बच्चे के विकास में लाभकारी होते हैं। ध्यान रहे कि यदि बच्चा बीमार हो जाए, तो किसी विशेषज्ञ से मालिश अवश्य कराई जानी चाहिए क्योंकि यहीं इस समय जरूरी होता है।
  • बच्चों की मालिश करते समय उसकी मांसपेशियों को हाथों की अंगुलियों द्वारा कोमलता से पकड़कर मसलना चाहिए। इस प्रकार मसलने से बच्चों की मांसपेशियों का तेजी से विकास होता है तथा उसकी हडि्डयां मजबूत बनती हैं।
  • बच्चे की मालिश करते हुए उसके प्रत्येक जोड़ और मोड़ को गोलाई से मलें तथा 4 से 5 बार ऊपर से नीचे करके कसरत दें। चूंकि छोटा बच्चा अधिकतर लेटा या सोता रहता है। इस प्रकार की कसरत से उसके जोड़ों में रुका हुआ विकार नसों द्वारा वापस चला जाता है।

जानकारी-

          बच्चों की मालिश करते समय यदि इन बताये गये नियमों का पालन किया जाए तो मालिश का कई गुना अधिक लाभ होता है।

बेबी मसाज (बच्चे की मालिश)-

          मालिश नवजात शिशु के शारीरिक विकास के लिए ही नहीं मानसिक विकास के लिए भी जरूरी है। बच्चे की मालिश प्रक्रिया को और भी आरामदायक और आनन्दपूर्ण बनाने के लिए कुछ खास बातों को ध्यान में रखना चाहिए। विशेष अनुभवी चिकित्सकों के अनुसार बच्चे की मालिश अगर मां खुद करे तो ज्यादा अच्छा रहता है। इसे बच्चे के जन्म के 20 दिन बाद ही शुरू करना चाहिए। बच्चे की मालिश बहुत हल्के हाथों से करनी चाहिए। ज्यादा तेजी से मालिश करने पर बच्चे की मांसपेशियां खिंच सकती हैं और हडि्डयां टूट सकती हैं। मालिश केवल बच्चे की हडि्डयों पर ही करें। किसी भी तेल को हल्का गर्म करके 20 मिनट तक मालिश करनी चाहिए।

        बच्चे को अच्छी नींद आए, इसके लिए शाम के समय कभी भी कुछ खिलाने-पिलाने के तुरन्त बाद मालिश न करें। इससे बच्चे को उल्टी हो सकती है। सर्दी के मौसम में बच्चे की मालिश करते समय इस बात का विशेष ख्याल रखें कि जिस कमरे में बच्चे की मालिश करनी हो वह कमरा गर्म  होना चाहिए।

        बच्चे की मालिश के लिए किसी भी कास्मेटिक ऑयल और क्रीम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मालिश के लिए जो भी तेल प्रयोग करें वह विटामिन `डी´ और `ई´ युक्त होना चाहिए।

सावधानी-

  • बच्चे की मालिश करने से पहले एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस कमरे में आप मालिश कर रही हों वहां हवा का आना-जाना न हो।
  • अगर आपके नाखून बड़े हों तो उन्हें काट लें और चूड़ियां और रिंग भी उतार लें क्योंकि इनसे बच्चे की कोमल त्वचा पर खरोंचे पड़ सकती हैं।
  • बच्चे की मालिश या तो खाली पेट करें या फिर कुछ खिलाने-पिलाने के 1 घंटे के बाद।
  • मालिश या तो चटाई पर बैठकर करें या फिर कंबल को अपनी टांगों पर बिछाकर उस पर बच्चे को लिटाकर करें। फिर किसी बढ़िया से बेबी मसाज ऑयल या कोई भी वेजी टेबल ऑयल जैसे नारियल, सरसों और ऑलिव ऑयल से मालिश करें।
  • मालिश करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बच्चा आराम की मुद्रा में हो। मालिश जल्दबाजी में न करें बल्कि इसके लिए पूरा समय दें।
  • मालिश के दौरान बच्चे की आंखों में झांककर बात करें या गुनगुनाएं ताकि बच्चे का ध्यान आपकी तरफ केंद्रित हो।
  • मालिश के तेल को अपने दोनों हाथों में लें और रब करें। फिर उसे बच्चे के सिर पर लगाकर उसे हल्का-सा थपथपाएं। उसके बाद उंगलियों को गोलाई में हल्के से घुमाते हुए माथे पर से गालों तक ले आएं। दोनों अंगूठों को नाक के आसपास थप-थपाकर नाक के ऊपरी छोर को ऊपर की ओर उठाएं। कानों पर भी मालिश करें पर आंखों के आस-पास बिल्कुल न करें।
  • फिर दोनों हाथों को गोलाई में घुमाते हुए बच्चे की छाती और गर्दन के दोनों तरफ मालिश करें।
  • बच्चे के पेट पर मालिश बहुत सावधानीपूर्वक करनी चाहिए। बच्चे की नाभि के आसपास बिल्कुल मालिश न करें। उंगलियों को गोलाई में ही हल्के से पेट के चारों तरफ घुमाएं।
  • फिर बांहों की मालिश करें। दोनों हाथों को बांहों के दाएं-बाएं गोलाई में घुमाएं। पहले हाथों को कंधों से कोहनियों तक, फिर कोहनियों से कंधो तक ले जाएं। अंगूठों से बच्चे की हथेलियों को हल्का-सा दबाएं। हर उंगली को भी बारी-बारी से स्ट्रेच करें।
  • फिर बच्चे की टांगों की मालिश करें। पहले जांघों से लेकर घुटनों तक फिर घुटनों से पैरों तक हाथों को गोलाई में घुमाएं। उसके बाद वापस पैरों से घुटनों तक और घुटनों से जांघों तक मसाज करें। अपने अंगूठों से एड़ियों और हर उंगली को हल्का-सा दबाएं।
  • इसके बाद पीठ की मालिश करने से पहले बच्चे को पेट के बल लिटाएं। चूंकि रीढ़ की हड्डी बहुत नाजुक होती है इसलिए ज्यादा तेजी से प्रेशर डालकर मालिश न करें। पहले गर्दन से नितंबों तक हथेली को फिसलाते हुए स्ट्रोक दें। फिर हथेलियों को पीठ से गर्दन तक ऊपर की ओर ले जाएं। कमर और रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर पहले हाथों से सहलाते हुए मालिश करें। उसके बाद अंगूठों से भी क्रियाएं समाप्त होने पर बच्चे के शरीर को उंगलियों से हल्का-सा गुदगुदाएं ताकि आपके कोमल स्पर्श से वह प्रसन्नता महसूस करें। उसके बाद बच्चे को भरपूर नींद सोने दें। चाहे तो मालिश से 1 घण्टे बाद नहला लें। मालिश से जहां बच्चे की हड्डियां लचीली और मजबूत बनेंगी, त्वचा मुलायम रहेगी और बच्चा प्रसन्नचित रहेगा।


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