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कोशिका विभाजन

कोशिकाएं अलग-अलग बंटकर अपने ही जैसी कोशिकाएं बनाने की क्षमता रखती है। एक जैसे गुणों वाली एक ही आकार की तथा एक ही कार्य करने वाली कोशिकाएं मिलकर किसी ऊतक जैसे पेशी, हड्डी आदि का निर्माण करती है। शारीरिक विकास की प्रक्रिया मे कोशिका के आकार में वृद्धि एक सीमा तक ही होती है। पूरी तरह विकसित होने के बाद कोशिका दो भागों में बंट जाती है। कोशिका विभाजन की आवश्यकता, नष्ट हुई कोशिकाओं के स्थान पर नई कोशिकाएं स्थापित करने के लिए भी होती है। एक कोशिका का दो सन्तति कोशिकाओं (daughter cells) में बंट जाना जीवन के हर समय चलते रहने का आधार है।

कोशिका विभाजन दो प्रकार से होता है- (numbering problems)

(A) सूत्री विभाजन या अप्रत्यक्ष विभाजन

मनुष्य में होने वाला कोशिका का विभाजन सबसे ज्यादा जटिल प्रक्रिया माना जाता है। इसमें प्रत्येक कोशिका से दो सन्तति कोशिकाओं (daughter cells) की उत्पत्ति होती है, जिनमें से हर एक उसी समय विभाजित हुई कोशिका के जैसी होती है। इस प्रकार का विभाजन कायिक कोशिकाओं (Somatic cells) में होता है। इससे शरीर की वृद्धि होती है तथा कायिक कोशिकाएं दुबारा स्थापित होती है।
 

(B) अर्द्धसूत्री विभाजन या प्रत्यक्ष विभाजन

अर्द्धसूत्री विभाजन प्रजनन कोशिकाओं (शुक्राणु एवं डिम्ब) में होता है जबकि सूत्री विभाजन (Mitosis) कायिक कोशिकाओं में होता है। सूत्री विभाजन में सिर्फ एक विभाजन होता है, जबकि अर्द्धसूत्री विभाजन में दो विभाजन होते है। सूत्री विभाजन में सन्तति कोशिकाओं (daughter cellas) में क्रोमोसोम्स की संख्या वही होती है जो मातृ कोशिका (mother cell) में होती है, लेकिन अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप क्रोमोसोम्स की संख्या आधी रह जाती है।


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