JK healthworld logo icon with JK letters and red border

indianayurved.com

Makes You Healthy

Free for everyone — complete solutions and detailed information for all health-related issues are available

घाव

परिचय-

        मनुष्य को किसी प्रकार की चोट लगने तथा अन्य किसी कारणों से त्वचा के बाहरी तथा आन्तरिक परत पर पाए जाने वाले प्रत्येक कटी-फटी अवस्था को ही घाव कहते हैं। इस घाव से बहुत अधिक मात्रा में खून तथा पीब निकलता रहता है।

कारण-

        जब ‘शरीर के ऊतक किसी नुकीले, धारदार या किसी दुर्घटना के कारण कट-फट जाते हैं तो इस कटे-फटे स्थान पर खून के थक्के जम जाते हैं तथा सूजन सी हो जाती है। कुछ समय बाद इसमें पीब बन जाती है जिसके कारण घाव बन जाता है। घाव होने के कई कारण तथा इसके कई रूप भी होते हैं।

घाव के विभिन्न प्रकार-

1. उत्कीर्ण घाव (इनसीसेड वाउण्डस)- इस तरह के घाव उस्तरे जैसे तेजधार वाले हथियारों से बनते हैं।

2. विदीर्ण घाव (लेकराटेड)- यह घाव किसी औजार की चपेट में शरीर का कोई अंग आ जाने तथा किसी जानवर के सींग लगने की वजह से ‘शरीर के ऊतक फट जाने से होता है।

3. नीला घाव (कोनटयूसड)- शरीर का कोई ऊतक कुन्ददार हथियार की चपेट या कुचलने के कारण यह घाव ‘बनता है।

4. प्रकीर्ण घाव  पनकटयूरड)- यह घाव सुई, चाकू, तलवार आदि नुकीले यंत्रों से चोट लगने के कारण होता है।

उपचार-

        जब किसी व्यक्ति को घाव हो गया हो तो उस व्यक्ति की हथेलियों या पैरों के तलुवों पर शक्तिशाली चुम्बक लगाना चाहिए या फिर घाव वाले स्थान के 2 से 3 सेण्टीमीटर ऊपर शक्तिशाली चुम्बक को पकड़कर लगाना चाहिए। घाव पर दिन के समय में दो बार उत्तरी ध्रुव तेल लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।

अन्य उपचार-

        अगर घाव से अधिक खून निकल रहा हो तो सबसे पहले खून को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। अगर जब घाव पर खून के थक्के जम जाएं तो उन्हें छुड़ाना नहीं चाहिए। अगर खून तेजी से बह रहा हो तो तुरंत ही खून को रोकने की कोशिश करनी चाहिए।


Copyright All Right Reserved 2025, indianayurved