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आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के द्वारा मांसपेशियों को लचीला बनाना

परिचय-

          मासंपेशियों को आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के द्वारा लचीला बनाने के लिए सबसे पहले यह जानने की जरूरत है कि शरीर में मांसपेशियों के कितने प्रकार होते हैं। मनुष्य के शरीर में जितना भार होता है उसका लगभग 45: भाग मांसपेशियों का होता हैं और ये मांसपेशियां तीन प्रकार की होती है।

शरीर में मांसपेशियों के प्रकार-

1. कोमल मांसपेशियां- ये मांसपेशियां अनैच्छिक कही जाने वाली मांसपेशियां होती हैं तथा ये सिकुड़ती और फैलती रहती है। इन मांसपेशियों के तन्तु छोटे तथा धारी के साथ रहते हैं।

2. हृदय मांसपेशी- ये मांसपेशी अनैच्छिक धारीदार तथा अधिक शक्तिशाली होती हैं।

3. धारीदार मांसपेशियां- ये मांसपेशियां अस्थिपंजर को जोड़ने का कार्य करती हैं तथा ये पेशियां हलचल, स्थिति तथा मुद्रा को बनाए रखती है। इन मांसपेशियों को स्वैच्छिक मांसपेशी भी कहते हैं क्योंकि इन मांसपेशियों का इच्छा के अनुसार संचालन (नियंत्रण) किया जा सकता हैं। ये पेशी धारीदार ढर्रे के रूप में होती हैं तथा इनमें स्थित पेशी संकोच के कारण ही शरीर को वांच्छित स्थिति में रखा जा सकता है। शरीर में इन पेशियों की संख्या 400 होती हैं। जब कोई मनुष्य नींद की अवस्था में होता है तो उसकी इन पेशियों में सिकुड़न बनी नहीं रहती है। इसलिए जब मनुष्य बैठ के ऊंघता है तो उस मनुष्य का सिर दाएं-बाएं लुढ़कता रहता है।

मांसपेशियों की थकान की अवस्था- जब मांसपेशियां गतिशील तथा तनावग्रस्त होती हैं तो इन मांसपेशियों में थकानशील तत्वों (कार्बन डाईआक्साइड, लेक्टिक एसिड) की मात्रा बढ़ जाती हैं जिसके कारण मांसपेशियों के तन्तु कड़े हो जाते हैं और मांसपेशियां सिकुड़ नहीं पाती जिसके फलस्वरूप व्यक्ति को थकान का अनुभव होता है। इस थकावट के कारण खून तथा लसिका में प्रभाव कम हो जाता हैं तथा शरीर का पोषण भी अपर्याप्त हो जाता है। यदि इन मांसपेशियों का कड़ापन जल्दी ठीक न हुआ या जल्दी इसका इलाज न किया जाए तो शरीर की नाड़ियां कमजोर हो जाती हैं। जिसके कारण अतं:स्रावी अंग तथा आंतरिक अंग प्रभावित हो जाते हैं और शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। इस प्रकार की मांसपेशियों के कड़े हो जाने की अवस्था को आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा से ठीक किया जा सकता है।

मांसपेशी का परीक्षण-

0%

0

शून्य

संकुचन(सिकुड़न) का प्रमाण नहीं होता है।

10%

1

झलक मात्र

हल्के संकुचन (सिकुड़न) का प्रमाण होता है तथा गतिहीन होता है।

25%

2

कमजोर

गतिशीलता के साथ गुरूत्व का अभाव होता है।

50%

3

बेहतर

गुरूत्वाकर्षण के विरूद्ध सारी गतिशीलता होती है।

75%

4

अच्छा

गुरूत्वाकर्षण के प्रति कुछ प्रतिरोध के साथ सारी गतिशीलता होती है।

100%

5

सामान्य

गुरूत्वाकर्षण के प्रति कुछ प्रतिरोध के साथ सारी गतिशीलता होती है।


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