परिचय-
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के द्वारा अपने आप उपचार करने के लिए सबसे पहले दो प्रमुख उद्देश्यों को प्राप्त किया जाना चाहिए। सबसे पहले रोगी को केवल मस्तिष्क से नहीं बल्कि पूरे शरीर में हाथों तथा उंगलियों के उपयोग, दबाव देने की जानकारी (विधि) और दबाव के सभी मूल बिन्दुओं को जानना चाहिए क्योंकि अपने शरीर को अभ्यास की वस्तु बनाने से व्यक्ति बड़ी तत्परता से चिकित्सा के उपयोग और दूसरों पर प्रयोग करने में दक्षता (कुशलता) प्राप्त कर सकेगा।
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा का उपयोग करने से व्यक्ति यह जान सकेगा कि उसके शरीर का कौन सा अंग अच्छी तरह से काम कर रहा है तथा कौन सा अंग ठीक काम नहीं कर रहा है। इन भागों पर दबाव किस प्रकार से देकर इनकी कार्य प्रणाली में सुधार किया जा सकेगा तथा विभिन्न प्रकार के रोगों को किस प्रकार से दबाव देकर ठीक किया जा सकेगा और रोगों को शरीर में होने से कैसे रोका जा सकेगा।
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा से उपचार अपने आप केवल स्कंधफलक के मध्य क्षेत्र (कंधे और गर्दन के बीच का भाग) के दाएं-बाएं भाग को छोड़कर सभी भागों का उपचार आसानी से किया जा सकेगा।
1. बाहरी ग्रीवा (गर्दन) क्षेत्र पर आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के बिन्दु पर अपने आप इलाज करने की विधि-
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार रोगी व्यक्ति के शरीर का बाहरी गर्दन का क्षेत्र न केवल एक ऐसा भाग है जहां से आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा का उपचार शुरू किया जाता है, बल्कि यह एक ऐसा भाग भी है जहां आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के बहुत सारे बिन्दु होते हैं।
इन भागों पर अपने आप उपचार करने के लिए बहुत अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। इन भागों पर दबाव देने के लिए सबसे पहले बाएं भाग से उपचार को शुरू करना चाहिए तथा इसके बाद रोगी के दाएं भाग की तरफ से उपचार करना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी को घुटने के बल झुककर बैठना चाहिए। इसके बाद इस भाग से सम्बन्धित बिन्दुओं पर अपने एक हाथ के अंगूठे से दबाव देना चाहिए। बाहरी ग्रीवा (गर्दन) क्षेत्र पर आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के बिन्दु का सबसे पहला बिन्दु उस भाग पर होता है, जहां पर आम ग्रीवा (गर्दन) धमनी शाखाओं में बंटकर बाहरी व आंतरिक ग्रीवा (गर्दन) धमनियां बनाती हैं। आंतरिक मन्या धमनी की ओर मन्या सायनस होता है तथा वहां पर नाड़ी अनुभव की जा सकती है। यहां स्थित बिन्दु पर ऊपर की ओर नोक वाले बाएं अंगूठे को दबाना चाहिए और बाईं कोहनी को पाश्र्व में फैलाना चाहिए। इसके बाद शेष चारों उंगलियों को गले के पास वाले भाग पर हल्के से दबाव देना चाहिए। इस प्रकार का दबाव कम से कम तीन सेकेण्ड के लिए देना चाहिए तथा दबाव को दिन में तीन बार दोहराना भी चाहिए।
2. बाहरी ग्रीवा(गर्दन) क्षेत्र पर आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के बिन्दु पर जो गर्दन का क्षेत्र होता है उस पर अपने आप इलाज करने की विधि-
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार रोगी के शरीर का बाहरी गर्दन का क्षेत्र केवल एक ऐसा बिन्दु होता है जो गर्दन के भाग से सम्बन्धित होता है। इस भाग पर अपने आप इलाज करने के लिए सबसे पहले इस क्षेत्र की ग्रन्थियों को जान लेना आवश्यक है। इस भाग में थायरॉयड ग्रन्थि हंसली (कंठ मूल के दोनों तरफ की हड्डी) तक स्थित होती है। इस बिन्दु पर दबाव लगभग तीन सेकेण्ड के लिए देना चाहिए और उपचार को प्रतिदिन तीन बार दोहराना चाहिए। दबाव गर्दन के भाग से शुरू करते हुए ग्रीवा-कशेरूका की मेरूदण्डीय भाग तक देना चाहिए। यदि गर्दन के मध्य की ओर केन्द्रित दबाव देते हैं तो श्वास नली का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है और रोगी को खांसी हो जाती है।
3. पश्च ग्रीवा (गर्दन) क्षेत्र के आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के बिन्दु पर अपने आप इलाज करने की विधि-
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार पश्च ग्रीवा (गर्दन) क्षेत्र पर अपने आप इलाज करने के लिए सबसे पहले दोनों हाथों की सटी हुई तर्जनी, मध्यमा व अनामिका उंगलियों से पृष्ठा ग्रीवा (गर्दन) क्षेत्र के दोनों भागों का बारी-बारी से उपचार किया जाता है और इस भाग पर दबाव देने के लिए मूल बिन्दु कर्णमूल से कंधे तक स्थित रहता है। इस भाग से सम्बन्धित बिन्दुओं पर दबाव देने के लिए अपनी दोनों कोहनियों को पाश्र्व में फैलाकर ऊपर विर्णत पहली तीनों उंगलियों से गर्दन के दोनों ओर की बिन्दुओं पर कम से कम तीन सेकेण्ड के लिए दबाव देना चाहिए। फिर इस तरह से तीन बार दबाव को दोहराना चाहिए। दबाव देते समय व्यक्ति को यह ध्यान रखना चहिए कि गर्दन के क्षेत्र के एक तरफ दिया गया दबाव गर्दन के दूसरी तरफ के उससे सम्बंधित बिन्दु की ओर केन्द्रित होना चाहिए।
4. पश्च कपाल-अंतस्था भाग के आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के बिन्दु पर अपने आप दबाव देने की विधि-
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार शरीर के कई भागों से सम्बन्धित रोगों को ठीक करने के लिए दबाव बिन्दु पश्चकपाल कोटर के मध्य भाग से सिर के पीछे की हड्डी तथा प्रथम ग्रीवा कशेरूका के बीच में स्थित होता है। इस भाग पर दबाव देने के लिए पहले दाहिनी मध्यमा उंगली का उभरा भाग रखना चाहिए और उस पर बाईं मध्यमा उंगली का उभरा भाग होना चाहिए। इसके बाद अपनी दोनों हाथ की कोहनियों को अगल-बगल में फैलाकर, फिर अपने मस्तक को आगे की ओर डिग्री तक झुकाकर इन बिन्दुओं पर दबाव देना चहिए। इसके बाद अपने सिर को ऊपर की ओर उठा लेते हैं। फिर इस भाग पर दबाव धीरे-धीरे बढा़ना चाहिए तथा सिर को पीछे की तरफ भी ठीक उसी प्रकार से 30 डिग्री तक मोड़ना चाहिए तथा इस प्रकार के दबाव को मध्य बिन्दु की ओर केन्द्रित होना चाहिए। जब इस प्रकार के दबाव में आगे की ओर झुके सिर से पीछे झुके सिर की अवस्था के दौरान दिया जाने वाला दबाव पांच सेकेण्ड के लिए देना चहिए। फिर इस तरह दबाव को देकर रोग को ठीक करने की विधि को तीन बार दोहराना चाहिए।
5. पृष्ठा ग्रीवा (गर्दन) क्षेत्र के आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के बिन्दु पर अपने आप दबाव देने की विधि-
अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार अपने आप उपचार करने के लिए पृष्ठ ग्रीवा (गर्दन) क्षेत्र के दोनों तरफ के तीनों बिन्दुओं पर दबाव देने के लिए हाथ की तीन उंगलियों का उपयोग करना चाहिए। इसके बाद मेरू-मज्जा के पास स्थित पहले बिन्दु पर अनामिका उंगली रखनी चाहिए। तर्जनी तथा मध्यमा उंगलियां एक दूसरे के समानन्तर होती हैं। इन बिन्दुओं पर दबाव सिर के मध्य रेखा की ओर रहना चाहिए तथा दबाव दोनों तरफ के सबसे ऊपरी तीन बिन्दुओं पर देना चाहिए। फिर दोनों ओर के सभी बिन्दुओं पर बारी-बारी से तीन सेकेण्ड के लिए दबाव देना चाहिए। फिर उपचार तीन बार दोहराना चाहिए। इसके बाद फिर से तीनों बिन्दुओं पर दबाव देते समय तर्जनी उंगली को ग्रीवा (गर्दन) के सातवें कशेरूका की ऊंचाई तक होना चाहिए।