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पेट का मेरीडियन

 

पेट का मेरीडियन (स्टमक मेरिडियन) प्रतिबिम्ब बिन्दु शरीर पर इस प्रकार होता है-

(पेट का मेरीडियन (स्टमक मेरिडियन) प्रतिबिम्ब बिन्दु एस तथा उस पर स्थित कुछ मुख्य प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

          चित्र के अनुसार निम्नलिखित रोगों को ठीक करने के लिए पेट के मेरीडियन प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देते हैं जिससे रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। पेट के मेरीडियन प्रतिबिम्ब बिन्दु पैर के अंगूठे के नाखून के ऊपर से होते हुए पैर के घुटने पर से गले पर तथा आंख के पास तथा माथे तक फैले होते हैं।

पेट का मेरीडियन प्रतिबिम्ब बिन्दु तथा उससे सम्बन्धित ठीक होने वाले रोग इस प्रकार है-

एस.-9 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु गले पर होता है।

 

सर्वाइकल एडिनाइटिस, फेरिंजाइटिस, उल्टी आना, टॉन्सिलाइटिस, गला सूजकर लाल हो जाना तथा दर्द करना, छाती में भारीपन महसूस होना।

एस.-10 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-9 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

ब्रोंकाइटिस, कुकुर खांसी होना, फेरिंजाइटिस तथा टॉन्सिलाइटिस

एस.-11 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस.-10 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

गर्दन की गिल्टियों में सूजन, गर्दन में अकड़न तथा दर्द, गठिया, फेरिंजाइटिस, गले में सूजन होना।

एस.-12 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस.-11 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

प्लूरिसी, मोटापा, नर्वसनेस के कारण नींद न आना, छाती के बीच में सूजन तथा गर्मी का अनुभव होना, लगातार कफ बनना, सर्वाइकल एडिनाइटिस, गले में सुन्नपन्न होना।

एस.-13 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस.-12 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

भूख न लगना, पैरों में अधिक पसीना आना, स्वाद तथा गंध को न पहचानना, कफ बनना, प्लूरिसी, ब्रोंकाइटिस, प्लूरिसी तथा पसलियों का भारी होना

एस.-14 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-13 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

खांसी के साथ गाढ़ा थूक निकलना, प्लमोनरी अवरोध, पसलियों का भारीपन, ब्रोंकाइटिस, प्लूरिसी, किसी शोक के कारण शारीरिक तथा मानसिक लक्षणों में परिवर्तन।

एस.-15 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-14 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

छोटे बच्चों के पेट की सूजन, सारे शरीर में खुजली, अस्थमा, थूक के साथ खून निकलना, स्तन का ट्यूमर, छोटे बच्चों के पेट में सूजन तथा पसलियों का भारी लगना।

एस.-16 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-15 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

होठों पर सूजन, अतिसार, मुंह में कड़वापन महसूस होना, अधिक नींद आना, सांस लेने में परेशानी, स्तन का अल्सर तथा ठंड लगकर बुखार आना।

एस.-17 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-16 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

इस प्रतिबिम्ब बिन्दु पर प्रेशर नहीं देना चाहिए।

एस.-18 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-17 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

स्तनों में दूध न बनना, नौ दिन से अधिक मासिकस्राव होना, स्तनों में भारीपन महसूस होना, कफ के साथ खांसी, सूखी खांसी हिचकी तथा छाती में दर्द

एस.-19 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-18 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

मुंह सूखना, पाचन शक्ति कमजोर पड़ना, पसलियों में दर्द, छोटे बच्चों के आंखों के रोग, हृदय में दर्द, खांसी, पेट में गड़बड़ी तथा छाती में दर्द।

एस.-20 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-19 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

खाना खाने में दिक्कत महसूस करना, अतिसार तथा पेट में गड़बड़ी।

एस.-21 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-20 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

एनोरेक्सिया, खाना खाने में दिक्कत महसूस करना, तेज आंत्रशोथ, पेट के रोग, डायरिया।

एस.-22 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-21 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

एनारेक्सिया, अतिसार के साथ पेट में गड़बड़ी, बुखार, पेशाब से सम्बन्धित रोग, मोटापा, मुंह से बदबू आना, आंत्रशोथ तथा पेट में सूजन।

एस.-23 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-22 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

पाचन शक्ति कमजोर होना, शरीर के कई अंग ठंडे होना, स्पंदन (कंपकपी) तथा पागलपन की अवस्था।

एस.-24 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-23 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

उल्टी आना, जीभ की अकड़न, पैर के तालू में दर्द, रजोविकार तथा पागलपन की अवस्था।

एस.-25 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु पेट के पसली के पास होता है।  

 

शरीर में अधिक कमजोरी आ जाना, अनियमित मासिकधर्म, श्वेतप्रदर, बांझपन, दर्द के साथ अतिसार, पेशाब रुक-रुककर आना, मोटापा तथा डर लगना।

एस.-26 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-25 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

हृदय के निचले भाग में दर्द होना।

एस.-27 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-26 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

अंगों में कमजोरी होना, कब्ज बनना, नींद न आना, शीघ्रपतन, पेट के निचले भाग में भारीपन तथा सूजन का अनुभव होना, हर्निया रोग

एस.-28 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-27 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।  

 

योनि में दर्द होना, पेट के निचले भाग में दर्द, मल मूत्र त्याग करने में दिक्कत होना।

एस.-29 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-28 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

लिंग में दर्द, गर्भाशय में ठंड का अनुभव, रजोविकृति, श्वेत प्रदर, बांझपन, गुदाद्वार का कड़ा होना।

एस.-30 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-29 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

लिंग में सूजन तथा दर्द, नपुंसकता, रजोविकार, रजोनिवृत्ति, पेट में सनसनी होना, हार्निया, चलने में दिक्कत महसूस करना, पैर की मांसपेशियों में खिंचाव तथा पेट में दर्द

एस.-31 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-30 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

सुजाक, पेट के निचले भाग में दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, लकवा, शरीर के निचला हिस्सों का सुन्न होना तथा घुटनों में दर्द

एस.-32 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-31 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

आधी रात में दमे का दौरा पड़ना, पैरों में सूजन, हल्की वैरीकोज, शिराएं, सिर में भारीपन, पेशाब से सम्बन्धित रोग और  पैरों तथा जांघों में दर्द

एस.-33 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-32 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

अनियमित मासिकधर्म, हाथों का कंपकपाना, शरीर में ऊर्जा की कमी, अधिक प्यास लगना, हार्निया रोग, लकवे का प्रभाव तथा पेट में दर्द।

एस.-34 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु घुटने से थोड़ा ऊपर होता है।

 

पेट, घुटनों तथा पैरों में दर्द, स्तनों में सूजन तथा दर्द।

एस.-35 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-34 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

घुटने को मोड़ने में दिक्कत होना, पैरों में गठिया का प्रभाव होना, घुटनों में दर्द तथा नमी के कारण पैरों में सूजन हो जाना।

एस.-36 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु घुटने से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

शरीर के कई अंग कमजोर हो जाना, पेट में दर्द, पेट में सूजन, पाचन शक्ति कमजोर हो जाना, कब्ज, एपेंडिसाइटिस, आवाज कम सुनाई देना, आंखों के रोग, बोलने में दिक्कत होना, आंत्रशोथ, एनोंरेक्सिया।

एस.-37 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-36 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।  

 

कोलाइटिस, एनोरेक्सिया, हडि्डयों में ठंडापन, पेट तथा प्लीहा में कमजोरी महसूस करना तथा खालीपन का एहसास होना, हाथ-पैरों को ऊपर उठाने में दिक्कत, अतिसार, पेट में दर्द, छाती की पसलियों तथा कई अंगों में सूजन हो जाना तथा घुटनों में आर्थराइटिस का प्रभाव।

एस.-38 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-37 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

अतिसार, कोलाइटिस, गठिया, टॉन्सिलाइटिस, आंत्रशोथ, टांगे कमजोर पड़ जाना, शरीर के कई अंग कमजोर हो जाना।

एस.-39 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-38 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

बालों का झड़ना, शरीर में दर्द होना, पागलपन, मस्तिष्क में रक्ताल्पता, स्तन के रोगटांगों में दर्द, अतिसार के साथ पेट के नीचे के भाग में दर्द, होंठ सूखना, अधिक मात्रा में थूक निकलना, शरीर से पसीना न निकलना तथा टॉंसिलाइटिस

एस.-40 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-39 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

पागलों की तरह हंसते रहना, पागलपन, कब्ज, टांगों में लकवे का प्रभाव होना, दमा रोग के कारण नींद न आना, कफ के साथ खांसी होना, चेहरे पर सूजन, सिर में दर्द होना, बोलने में असमर्थता, गले का सुन्न होना।

एस.-41 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-40 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

पैरों में गठिया रोग का प्रभाव, डर लगना तथा अधिक गुस्सा होना, सिर में दर्द, आंखें लाल पड़ना तथा दर्द होना, पागलपन का दौरा पड़ना, चक्कर आना, सिर तथा चेहरे की सूजन, दांत में दर्द, चक्कर आना मसूढ़ों से खून निकलना, मांसपेशियों का सुन्न हो जाना।

एस.-42 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-41 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

पैरों में लकवा रोग का प्रभाव, दांत में दर्द, मसूढ़ों से अधिक खून निकलना, उल्टी आना, एनोरेक्सिया, इधर-उधर घूमने का मन करना, पागलपन के दौरे पड़ना, अधिक पसीने के साथ बुखार होना, अधिक ठंड महसूस करना तथा गर्मी में बैठने का मन करना।

एस.-43 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-42 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

लगातार डकारें आना, पेट में सूजन आना, अधिक तेज खांसी होना, तेज बुखार होना, चेहरे की सूजन, आंखों में संक्रमण, खाना न पचना, बुखार के साथ प्यास लगना, छाती की पसलियों में दर्द होना।

एस.-44 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु एस .-43 से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

मसूढ़ों से खून आना, एपिसटेक्सिस, गला सुन्न होना, एनोरेक्सिया, अतिसार त्वचा पर दरारे पड़ना, रजोविकृति, मनुष्यों की आवाज से घृणा करना, नाभि के आस-पास दर्द महसूस होना तथा डर के कारण शरीर में दर्द का अनुभव करना।

एस.-45 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु पैर के अंगूठे के ऊपर होता है।

 

गले में सुन्नपन होना, टांसिलाइटिस, पसीने के साथ बुखार होना, दांत में दर्द, आंखों में खिंचाव होना, पागलपन, साइनुसाइटिस, नाक में अधिक ठंड लगना, बेहोशी, मस्तिष्क रक्ताल्पता, चेहरे की सूजन तथा जीर्ण रिनाइटिस।


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