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वैज्ञानिकों द्वारा एक्युप्रेशर का कार्य

 

परिचय-

          कई प्रयोगों के बाद वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि एक्युप्रेशर खास दो सिद्धान्तों पर ज्यादा काम करता है।

1. डॉ. फिलिक्स मंन का क्यूटेनो विसरल रिफ्लेक्स सिद्धांत।

2.  डॉ. किम बांगहान का जीव विद्युत बांगहॉन कॉर्पसल सिद्धांत।

क्यूटना विसरल रिफ्लेक्स सिद्धांत-

          इस सिद्धांत में दो क्रियाएं बताई गई हैं ऐच्छिक और अनैच्छिक क्रियाएं। इन दोनों के अलावा तीसरी क्रिया भी होती है जिसे ´रिफ्लेक्स क्रिया´ कहते हैं।

         बात करना, भोजन करना, सोचना आदि तो ऐच्छिक क्रियाओं में आते हैं तथा शरीर में रक्त संचार, भोजन का पचना, हृदय का संकुचन, मल-मूत्र का बनना आदि अनैच्छिक क्रियाओं में आते हैं। ये क्रियाएं मस्तिष्क एवं इच्छाशक्ति का अतिक्रमण कर अपने आप ही होती हैं।

          अगर हाथ किसी बहुत गर्म चीज को छूता है तो वह जल्द ही अपने आप वापस खिंच जाता है, ऐसा बहुत-सी क्रियाओं में होता है। वास्तव में यह क्रिया ही ´रिफ्लेक्स क्रिया´ कहलाती है। जो खुद को बचाने के लिए होती है।

          जो इस रिफ्लेक्सोलॉजी की क्रिया को सही तरह से जान जाता है वह यह आसानी से पहचान सकता है कि एक्युप्रेशर किस तरह से कार्य करता है। डॉ. फिलिक्स मंन के अनुसार एक्युप्रेशर भी एक प्रकार की रिफ्लेक्स क्रिया ही है। जब शरीर का कोई अंग बीमार हो जाता है तो उसका असर कुछ बिन्दुओं पर पड़ता है और उन बिन्दुओं पर हल्का-हल्का दर्द होने लगता है। बिन्दुओं पर जब प्रेशर या सुई के द्वारा छेदा जाता है तो वहां से एक विद्युत तंरगें उत्पन्न होती हैं। यही तंरगें शरीर में बीमार अंग तक पहुंचकर रोग को दूर करने का काम शुरू करती हैं।

          इस तरह खुद ही नाड़ी संस्थान एक्युप्रेशर क्रिया से रोग को दूर करता है।

बांगहॉन कॉर्पसल सिद्धांत-

          बांगहॉन के मुताबिक ठीक एक्यु बिन्दुओं के नीचे एक अलग तरह के कोष होते हैं और इन कोषों को उन्हीं के नाम पर बांगहॉन कोष रखा गया है। ये कोष बहुत ही बारीक नलिकाओं से जुड़े होते हैं जिन्हें देखने पर ´मेरिडियन´ जैसी आकृति बनती है। वास्तव में बांगहॉन कोषों से बनने वाली इन नलिकाओं को ही ´ मेरिडियन´ कहते हैं। यह कोष अन्य कोषों की तुलना में बिल्कुल अलग होते हैं।

        बांगहॉन के मुताबिक कोशों से बनी नलिकाओं के शरीर में कुल चौदह मेरीडियन होते हैं। 2-2 जोड़े वाले 12 तथा 2 अलग-अलग (14) और ये सभी मेरीडियन शरीर के महत्त्वपूर्ण अंगों और तंत्रों से जुड़े होते हैं। जिससे यह सिद्ध होता है कि शरीर के बल को दो भागों में बांटा जा सकता है-यांग बल और यिन बल। इन बलों में आई रुकावट के कारण ही रोग होते हैं। इस रुकावट को दूर करने के लिए ही प्रेशर या दबाव दिया जाता है।


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