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प्रतिबिम्ब बिन्दु को ढूंढना

   प्रतिबिम्ब बिन्दु की जांच के लिए हाथ-पैरों पर दबाव देना चाहिए। प्रत्येक केन्द्र पर न ही बहुत कम और न ही बहुत ज्यादा जोर से प्रेशर देना चाहिए। प्रेशर देने के लिए कुछ उपकरण भी बनाए गए हैं क्योंकि हर व्यक्ति के हाथों व पैरों का आकार एक समान नहीं होता है। किसी के हाथों की खाल मोटी होती है तो किसी की पतली। जिससे केन्द्रों को ढूंढने में परेशानी होती है और ये उपकरण उन केन्द्रों को ढूढंने में मदद करते हैं।

          रोग व विकार का पता लगाने के लिए इन केन्द्रों पर दबाव दिया जाता है। जिस केन्द्र पर दर्द का अनुभव हो समझो कि वहां से संबधित अंग में कोई रोग है या कोई बीमारी है। हाथ व पैरों के अलावा एक्युप्रेशर केन्द्र मुंह अथवा कान पर भी पाए जाते हैं।

          कभी-कभी जो रोग कि जांच करवाने पर भी नजर में नहीं आते एक्युप्रेशर द्वारा उनका कुछ मिनटों में ही पता लगाया जा सकता है। इसके लिए केन्द्रों का सही ज्ञान होना बहुत जरूरी है। जांच करवाने पर रोग के न पकड़े जाने पर यह बिल्कुल न समझें कि परीक्षण कराने का कोई फायदा ही नहीं होता। इन जांचों से हमें अपने शरीर में होने वाली किसी भी बड़ी बीमारी का पता चल जाता है जैसे- कैंसर, टी.बी. आदि। ऐसे बड़े रोगों में आपको किसी अनुभवी व योग्य डाक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए।

          शरीर के किसी भी अंग में कोई विकार पैदा हो जाए तो उस रोग से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दु पर कुछ असहनीय दर्द महसूस होता है और जब उस प्रतिबिम्ब बिन्दु के आस-पास के भाग को दबाते हैं तो बहुत कम दर्द महसूस होता है। यदि किसी अंग में बहुत कम खराबी है तो एक्यूप्रेशर प्रतिबिम्ब बिन्दु को ढूंढने में बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है तथा लगातार दबाव देना पड़ता है।

          एक्यूप्रेशर के द्वारा इलाज करने में उपयोग में लाए जाने वाले प्रतिबिम्ब बिन्दु पैरों, हाथों व कानों पर होते हैं। जब प्रतिबिम्ब बिन्दु पर प्रेशर देते हैं तो पता चल जाता है कि प्रतिबिम्ब बिन्दु से सम्बन्धित अंग ठीक से कार्य कर रहे हैं या नहीं।

          शरीर पर प्रतिबिम्ब बिन्दु को ढूंढते समय यह ध्यान में रखना जरूरी है कि जिस प्रकार सभी व्यक्तियों के हाथों तथा पैरों के आकार समान नहीं होते ठीक उसी प्रकार प्रतिबिम्ब बिन्दु भी अंगों की आकृति के अनुसार ऊपर-नीचे या दाएं-बाएं हो सकते हैं।

          हाथ की 4 अंगुलियों को चार सून कहते हैं तथा 3 अंगुलियों की चौड़ाई को तीन सून और हाथ के अंगूठे की चौड़ाई को एक सून कहते हैं। रोगी व्यक्ति अपने हाथों तथा पैरों में इन प्रतिबिम्ब बिन्दुओं को अपने आप जान सकता है या किसी दूसरे व्यक्ति या फिर किसी अनुभवी एक्यूप्रेशर चिकित्सक से जान सकता है। यदि प्रतिबिम्ब बिन्दु में दर्द हो रहा हो तो इन प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर नियमित रूप से प्रेशर देकर रोगों को ठीक किया जा सकता है।

उपचार करने के लिए हाथ के अंगूठोंअंगुलियों, लकड़ी या फिर प्लास्टिक के उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं।

सही एक्यूप्रेशर प्रतिबिम्ब बिन्दु को ढूंढने के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए-

  • प्रतिबिम्ब बिन्दु का तापमान आसपास के भाग से कुछ ज्यादा होता है।
  • जिस प्रतिबिम्ब बिन्दु को दबाने से दर्द नहीं होता, उसका उपचार करने से ज्यादा लाभ भी नहीं होता है।
  • प्रतिबिम्ब बिन्दु की ऊपरी त्वचा कुछ सूजन लिए हुए या खुरदुरी होती है तथा यदि कोई रोग होता है तो प्रतिबिम्ब बिन्दु पर छोटी-छोटी फुंसियां निकल आती है।
  • प्रतिबिम्ब बिन्दु के आस-पास के कुछ भाग पर पीला सा या लाल सा रंग हो जाता है।
  • प्रतिबिम्ब बिन्दु की ऊपरी त्वचा पर कुछ सूजन हो जाती है तथा उस स्थान पर बारीक सी फुंसी निकल आती है।


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