मनुष्य के शरीर में 14 मेरीडियन होते हैं। ये 14 मेरीडियन 6-6 मेरीडियन के दो-दो जोड़ों के रूप में होते हैं। इन जोड़ों में से एक दाईं तरफ तथा दूसरा बाईं तरफ होता है तथा दो मेरीडियान स्वतंत्र होते हैं। एक शरीर के आगे की खड़ी बीच वाली रेखा पर दूसरा शरीर के पीछे की खड़ी बीच वाली रेखा पर होता है।
इन 12 जोड़ों में से 6 यिन और 6 यांग मेरीडियन होते हैं।
यिन मेरीडियन पैरों की अंगुलियों तथा शरीर के मध्य भाग से होते हुए सिर की ओर तथा हाथ की अंगुलियों की तरफ ऊपर की ओर जाते हैं।
यंग मेरीडियन सिर, मुंह, हाथ की अंगुलियों से शुरू होकर शरीर के बीच के भाग से होते हुए नीचे की तरफ जाते हैं। किसी भी मेरीडियन के सिरे का एक हिस्सा हाथ, पैर तथा मुंह में और दूसरा हिस्सा किसी एक अंग में होता है।
मेरीडियन निम्नलिखित हैं-
1. गवर्निंग वेसल मेरीडियन।
2. कन्सेप्शन वेसल मेरीडियन।
यिन मेरिडियन पैरों की अंगुलियों या शरीर के बीच के भाग से शुरू होकर सिर की ओर या हाथ की अंगुलियों की ओर ऊपर को जाते हैं।
मेरीडियन में प्राण शक्ति कभी-भी एक समान नहीं बहती है। लगभग चौबीस घंटों में कुछ ही समय के लिए किसी अंग पर विशेष अधिक शक्ति संचारित होती है। क्योंकि हर अंग का कुछ समय होता है जिसमें वह उच्च शक्ति प्रवाह होती है।
पित्ताशय में ज्यादा शक्ति रात 11 बजे से 1 बजे तक प्रवाहित होती है जबकि हृदय में सुबह 11 से 1 बजे तक। इसी तरह पित्ताशय में कम शक्ति सुबह 11 से 1 बजे तक व हृदय में कम शक्ति रात 11 से 1 बजे तक प्रवाहित होती है। इसी प्रकार अधिकतम शक्ति प्रवाह के समय ही रोग के कारण दर्द भी ज्यादा होगा। इसी कारण हृदयशूल की अधिक घटनाएं सुबह से 1 बजे के बीच होती है।