JK healthworld logo icon with JK letters and red border

indianayurved.com

Makes You Healthy

Free for everyone — complete solutions and detailed information for all health-related issues are available

जीवाणु प्रसंग

छूने से फैलने वाले रोग तथा उनको रोकने के उपाय :-

          अक्सर हमें रोजाना एक बात देखने को मिल जाती है कि किसी छोटे बच्चे को छोटी माता, कान के अन्दर जलन, हूप खांसी आदि रोग हो जाते हैं तो आस-पड़ोस के बाकी बच्चों से उन्हें दूर रखा जाता है और जो बच्चे इन बच्चों के साथ खेलते हैं उनको यह रोग घेर लेता है। इससे पता चलता है कि यह रोग सिर्फ छूने से ही दूसरे बच्चों में भी फैल जाते हैं। छूने वाले रोग का जीवाणु रोगी बच्चे के शरीर से स्वस्थ बच्चे के शरीर में चला जाता है। इसलिए इस रोग को स्पर्शाक्रमक रोग भी कहा जाता है। इसके अलावा किसी व्यक्ति को चेचक, टाइफायड आदि रोग हो जाते हैं तो यह रोग रोगी के पहने हुए कपड़े पहनने से या उनके द्वारा प्रयोग की जाने वाली किसी भी दूसरी चीज के स्वस्थ व्यक्ति के प्रयोग करने पर भी फैल जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि हवा, पानी, दूध, धूल के कण, मक्खी-मच्छर आदि चीजों से भी एक रोग का बीज दूसरे स्वस्थ मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसलिए ऐसे रोगों को संक्रामक रोग कहते हैं।

          टी.बी. रोग, टाइफायड, कोढ़, न्युमोनिया, हैजा, इन्फ्लुएंजा, आरक्त ज्वर आदि रोगों में स्पर्शाक्रमक और संक्रामक दोनों ही तरह के लक्षण नज़र आते हैं।

          पहले के लोग यह नहीं सोचते थे कि किसी रोग का जीवाणु एक जगह से दूसरी जगह जा सकता है। लेकिन काफी खोजबीन के बाद यह बात साबित हो चुकी है कि हवा, पानी, जहाज आदि के सहारे भी एक देश का रोग दूसरे देश में फैल सकता है। इसका मतलब साफ है कि जिन रोगों को हम स्पर्शाक्रमक कहते हैं वह असल में संक्रामक रोग के ही अंर्तगत आते हैं।

रोगों को फैलने से कैसे रोकें-

 निम्नलिखित तरीकों से कोई भी व्यक्ति आसानी से खसरा, चेचक, आरक्त ज्वर, टी.बी आदि संक्रामक रोगों को फैलने से रोक सकता है-

  • स्वास्थ्य को ध्यान रखकर जैसे बिल्कुल साफ-सुथरे, हवादार, रोशनी वाले घर में रहने से। सूरज की किरणे रोग के बीजों को नष्ट कर देती हैं। जिस घर में धूप नहीं आती वहां पर रोग के जीवाणु जल्दी घर बनाते हैं। रोजाना शारीरिक और मानसिक मेहनत करने से भी रोग के जीवाणु जल्दी से शरीर में प्रवेश नहीं करते।
  • सांस में किसी भी तरह से धूल आदि के गंदे कण न पहुंचे इस बात का पूरी तरह से ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
  • जिन रोगियों को संक्रामक रोग होता है जब तक वह ठीक न हो जाए उनको और उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को किसी को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • हैजा के रोगी का दस्त, उल्टी, टी.बी रोगी का थूक आदि अगर गलती से भी रोगी की सेवा करने वाले व्यक्ति के शरीर में लग जाए तो उसे उसी समय अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए।
  • रोगी के कमरे में रोगी का या रोगी की सेवा करने वाले व्यक्ति का खाना-पीना भी नहीं रखना चाहिए बल्कि जब रोगी को खाना हो तभी उसका भोजन लाकर रोगी को खिलाना चाहिए।
  • रोगी के कमरे में धूपबत्ती, गंधक, कपूर आदि नहीं जलाने चाहिए और फिनाइल भी नहीं छिड़कना चाहिए।
  • अगर किसी हलवाई या सामान बेचने वाले को संक्रामक रोग हो गया हो तो उनकी दूकान से खाने-पीने की चीजें या भोजन में इस्तेमाल होने वाली चीजें नहीं खरीदनी चाहिए।


Copyright All Right Reserved 2025, indianayurved