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पेट में दर्द

 

परिचय-

          जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके पेट में बहुत तेज दर्द होता है। इस प्रकार का दर्द होना एक आम बात है तथा यह दर्द सभी व्यक्तियों को कभी न कभी अवश्य होता है क्योंकि यह रोग कई बार पेप्टिक अल्सर के कारण या पित्ताशय में किसी प्रकार के रोग हो जाने के कारण भी हो सकता है। पेट में इस प्रकार का दर्द कब्ज तथा गैस बनने के कारण भी हो सकता है।

पेट में दर्द होने का कारण-

  • पेट में दर्द कई प्रकार के रोगों के होने के कारण भी हो सकता है जैसे- पित्ताशय में पथरीपेट में कोई जख्म होना, गुर्दे में पथरी, नाभि का अपने स्थान से हट जाने तथा कब्ज बनने के कारण।
  • गुदाद्वार या आंतों में किसी प्रकार की सूजन हो जाने के कारण भी पेट में दर्द हो सकता है।
  • नाभि के आस-पास किसी तरह का रोग हो जाने के कारण भी पेट दर्द का रोग हो सकता है।
  • आंतों में गैस भर जाने से भी यह रोग हो सकता है।
  • पेट में किसी उत्तेजक पदार्थ के चले जाने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
  • जिगर, आंतों तथा भोजन नली में किसी जहरीले पदार्थ के पहुंच जाने के कारण भी पेट में दर्द हो सकता है।
  •  जब कभी शरीर में दूषित द्रव्य शरीर के स्नायुओं पर अनावश्यक दबाव डालते हैं तब व्यक्ति के पेट में दर्द होने लगता है।
  • जरूरत से ज्यादा भोजन करने के कारण भी पेट में दर्द होने लगता है।
  • किसी दुर्घटना के कारण पेट में चोट लग जाने के कारण भी पेट में दर्द हो सकता है।

पेट में दर्द होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

  • जब रोगी के पेट में दर्द हो तो उस समय रोगी व्यक्ति को नींबू का रस निकालकर पानी में मिलाकर पीना चाहिए तथा उपवास रखना चाहिए। इससे रोगी के पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
  • नारियल पानी, फलों का रस और सब्जियों का रस सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
  • पेट में दर्द होने पर रोगी व्यक्ति को गर्म पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए क्योंकि हो सकता है कि पेट में किसी उत्तेजक पदार्थ के चले जाने के कारण दर्द हो रहा हो और एनिमा क्रिया करने से पेट साफ हो जाता है।
  • पेट में दर्द होने पर, पेट पर गर्म कपड़े से सिंकाई करनी चाहिए या फिर ठंडे पानी में कपड़े को भिगोकर, कपड़े को पेट पर पट्टी की तरह रखना चाहिए और इस पट्टी को थोड़े-थोड़े समय के बाद बदलते रहना चाहिए।
  • पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी करने से पेट में दर्द होना बन्द हो जाता है।
  •  पेट में दर्द होने पर अजवाइन में थोड़ा सा नमक मिलाकर गर्म पानी के साथ लेने से पेट का दर्द होना तुरंत ठीक हो जाता है।
  • यदि पेट का दर्द पुराना हो तो कुछ दिनों तक कटिस्नान, वाष्प स्नान, गर्म पैर स्नान करना लाभकारी रहता है।
  • हो सकता है कि रोगी के पेट में दर्द पेट में पथरी रोग होने के कारण हो, इसलिए कुलथी की दाल को सुबह के समय में पानी में भिगोकर रख दें तथा शाम के समय में इसे पानी में पीसकर उस पानी को पी लें। इस प्रकार से प्रतिदिन प्रयोग करने से कुछ ही दिनों में हर प्रकार की पथरी गलकर शरीर से बाहर हो जाती है। जिसके परिणामस्वरूप पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
  • रात को सोते समय रोगी व्यक्ति को पीतल के लोटे में पानी को भरकर रखना चाहिए और फिर सुबह के समय में उठते ही इस पानी को पी लेना चाहिए। ऐसा करने से शौच खुलकर आती है और पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
  • हरी और गहरी नीली बोतलों के सूर्यतप्त जल को समान मात्रा में लेकर और फिर इसे मिलाकर 25 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना लगभग 8 बार सेवन करना चाहिए। पेट में कांच आदि चले जाने के कारण पेट में दर्द हो रहा हो तो इससे वह भी ठीक हो जाता है।
  • पेट के सभी प्रकार के दर्द को ठीक करने के लिए गहरी नीली बोतल के सूर्यतप्त की जल की 25 मिलीलीटर की मात्रा प्रतिदिन 6 खुराक के रूप में लेने से रोगी का पेट दर्द ठीक हो जाता है।


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