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सौना बाथ

 

परिचय-

          सौना बाथ के लिए प्रयोग में लाने वाली चैम्बर बीते समय की टर्किश बाथ चैम्बरों का ही सुधरा हुआ रूप है। देवदार या चीड़ की लकड़ी से खासतौर से बनाई गई चैम्बर इस काम के लिए प्रयोग की जाती है।

इलाज का समय : 20 मिनट का समय।

विधि:

         चैम्बर में जाने से पहले रोगी को जितना पानी पिलाया जा सके उतना ठंडा पानी पिलाएं और उसे ठंडे पानी से नहलाएं। चैम्बर में रहने के समय व्यक्ति को अपना शरीर अक्सर ही रगड़ते रहना चाहिए, जिससे अन्दर की नलियां फैल सकें। अधिक गर्मी महसूस होने पर व्यक्ति को फिर ठंडे पानी से नहलाकर चैम्बर में लौट आना चाहिए। अत: दूसरी बार पसीना आ जाने पर रोगी को ठंडे पानी से नहाकर जल्दी से अपना शरीर सुखा लेना चाहिए। इसके बाद 30 से 40 मिनट तक आराम करना चाहिए। अब एक गिलास नींबू का ठंडा रस पीने से शरीर में ताजगी आ जाती है।

सावधानी :

          अगर रोगी को महसूस हो कि उसे चक्कर हो रहे हैं तो तुरन्त ही यह इलाज रोककर उसे ठंडे पानी से नहलाएं। इस क्रिया को 20 से 30 मिनट तक करें।

लाभ:

          यह स्नान ज्यादातर पुराने रोगों के इलाज में प्रयोग होता है जैसे- मोटापालम्बेको, शियाटिका, पित्त के कारण जहरीला होना, पुरानी बदहजमी, रूमेटिज्म, आदि।

सावधानी :

          दिल से जुडे़ रोग, त्वचा संबंधी कष्ट, मधुमेह, एक्जॉफथैल्मिया, गला फूलना, ऑर्टिअरिओसिक्लरोसिस (धमनी-काठिन्य), हाई ब्लडप्रेशर, एडवांस नेफ्राइटिस, ज्वर तथा कमजोरी के शिकार रोगियों को यह स्नान नहीं करना चाहिए।

          अत: इस प्रकार स्नान करने से आपको कई रोगों से मुक्ति मिल सकती है परन्तु जब हम इस प्रक्रिया को करते हैं तो जो सावधानियां बताई गई हैं उसके बारे में भी पहले देख लें उसके बाद इस विधि का प्रयोग करें अन्यथा लाभ की जगह हानि भी हो सकती है।


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