हमारे शरीर के मध्य में सूर्य का प्रकाश अर्थात सुन्दर प्रभा मुख्य से प्राणरूप होकर रहती है। इसी से यह सिद्ध हो जाता है कि शरीर का स्वास्थ्य और दीर्घजीवी होना भगवान सूर्य की कृपा पर निर्भर करता है।
जब सूर्य प्रकाशमान होता है, तब वह समस्त प्राणों को अपनी किरणों में रखता है। इस श्लोक में एक रहस्य यह भी छिपा हुआ है कि, प्रात:काल की सूर्य किरणों (नीलोत्तर किरणों) में अस्वास्थ्यता को नष्ट करने की जो अद्भुत शक्ति है, वह दोपहर और सायंकाल की किरणों में नहीं है।
वेदों के रचयिता के अनुसार सुबह के समय की सूर्य की नीलोत्तर किरणों से हमारे शरीर के विभिन्न प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं। सूर्य की किरणों में विष को नष्ट करने की असाधारण शक्ति होती है।
सूर्य की किरणों के प्रभाव से हमारे शरीर से पसीना निकलता है और सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। सूर्य की किरणों से हमारे शरीर की अनावश्यक चर्बी नष्ट हो जाती है जिससे हमें प्रसन्नता का अनुभव होता है..................