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अचिरैंथेस आस्पेरा

 अचिरैंथेस आस्पेरा औषधि का उपयोग कई प्रकार के लक्षणों जैसे- मूत्रल (पेशाब अधिक होना), दस्त, संकोचक (अस्ट्रीजेंट), पेचिश, कष्ट के साथ माहवारी आना तथा कुत्ते और सांप के काटने पर उसके जहर का प्रभाव कम करने के लिए इसका उपयोग लाभकारी है।

अचिरैंथेस आस्पेरा औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-

चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण:-

नासूर, फोड़े, सूजन, जहरीले घाव, त्वचा पर लाल धब्बा होने, पूरे शरीर पर जलन के साथ दर्द होने पर इस अचिरैंथेस आस्पेरा औशधि का उपयोग करना चाहिए।

पेट से सम्बन्धित लक्षण:-

अतिसारहैजा रोग, पानी की तरह मल होना, पीला तथा अधिक मात्रा में श्लैष्मिक पपड़ियों के साथ मल होना, अधिक प्यास लगना, आमाशय में दर्द होना, मिचली और उल्टी होना। इन लक्षणों से पीडि़त रोगी के रोग को ठीक करने के लिए अचिरैंथेस आस्पेरा औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

नाड़ी से सम्बन्धित लक्षण:-

सूत्रवात नाड़ी (थ्रीडी पल्स)-नाड़ी का तेज या कम चलना, इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए अचिरैंथेस आस्पेरा औषधि का उपयोग करना चाहिए।

मात्रा:-

          अचिरैंथेस आस्पेरा औशधि की मूलार्क, 3, 6 शक्तियां का प्रयोग करना चाहिए।


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