परिचय-
अगर त्वचा का रंग पीला सा हो रहा हो, आंखों में पीलापन छा रहा हो और मूत्र भी पीले रंग का आए तो समझ जाइये की आपको पीलिया हुआ है।
कारण-
पीलिया रक्त में बिलिरूबीन (Bilirubin) की मात्रा बढ़ जाने के कारण होता है। पीलिया शब्द का पर्यायवाची ‘वायरल हैपिटाईटस’ होता है जिसमें जिगर बढ़ जाता है। इसलिए आम भाषा में वायरल हैपिटाईटस को पीलिया कहते है।
वायरल हैपिटाईटस’ कई प्रकार के होते हैं जैसे- वायरल हैपिटाईटस ए, हैपिटाईटस बी, हैपिटाईटस सी, हैपिटाईटस डी, हैपिटाईटस ई और हैपिटाईटस जी। इन सबसे हैपिटाईटस बी बहुत ही खतरनाक माना जाता है जिसमें जिगर खराब होकर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
कीटाणु की प्रवेश विधि-
- हैपिटाईटस ’ए’ और हैपिटाईटस ’ई’ खाने और पानी के द्वारा शरीर में पहुंचता है। हैपिटाईटस ’ए’ साधारणतः भारत में पाया जाता है। यह आमतौर पर महामारी के रूप में प्रकट होता है। हैपिटाईटस ’ई’ उन स्थानों पर पाया जाता है जहां सफाई आदि का प्रबन्ध ठीक न हो।
- हैपिटाईटस ’बी’ और ’सी’ रक्त और रक्त में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं जैसे सुई का पूरी तरह कीटाणुरहित न होना, शारीरिक सम्बन्ध बनाने से और मां से बच्चे को होता है।
लक्षण-
पीलिया रोग की शुरुआत में भूख का कम होना, जी मिचलाना, उल्टी-दस्त, हल्का बुखार, आंखें पीली होना, त्वचा पर पीलापन छा जाना और मूत्र का रंग गहरा पीला होना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।
चिकित्सा-
- अपने आसपास पूरी तरह से साफ-सफाई बनाए रखें और मक्खियों को न फैलने दें।
- खाना खाने से पहले तथा शौचालय से लौटने पर हाथों को साबुन या डेटोल से अच्छी तरह धोएं। नाखूनों को समय-समय पर काटते रहें।
- पानी में क्लोरीन की गोलियां मिलाकर प्रयोग करें। बरसात के दिनों में और महामारी के समय पर हमेशा पानी को लगभग 10 से 15 मिनट तक उबालने के बाद ही प्रयोग में लाएं।
- बाजार के कटे फल और सब्जियां न खाएं। घर में भी सब्जी और फलों को अच्छी तरह धोकर ही प्रयोग करें।
- ठंडा नींबू पानी या शर्बत आदि बनाने के लिए जहां तक हो सके घर के फ्रिज में जमाई हुई बर्फ का हो प्रयोग करें। बाहर से लाई हुई बर्फ का प्रयोग पीने वाले पदार्थों में न करें।