परिचय-
एड्स आधुनिक युग का एक बहुत ही गंभीर और जानलेवा रोग है। एड्स होने पर कई सालों तक तो रोगी को पता ही नहीं चलता कि उसे आखिर हुआ क्या है। धीरे-धीरे करके उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात रोगों से लड़ने की शक्ति समाप्त होने लगती है। इस रोग की जांच करवाने के तीन साल के अन्दर ज्यादातर रोगियों की मृत्यु हो जाती है।
कारण- एड्स रोग निम्नलिखित कारणों से फैलता है-
- असुरक्षित यौन-संबंध बनाने से।
- एड्स से ग्रस्त रोगी पर प्रयोग किए हुए इंजैक्शन को दूसरे व्यक्ति के शरीर में लगाने से।
- एड्स से ग्रस्त मां के द्वारा जन्म लेने वाले बच्चे को।
एड्स का रोग निम्नलिखित कारणों से नहीं फैलता-
- एड्स रोग से ग्रस्त रोगी से हाथ मिलाने से, चूमने से या कसकर पकड़ने से।
- एड्स रोग से ग्रस्त रोगी के साथ रहने से।
- छींकने या खांसने से।
- मच्छर के काटने से।
लक्षण-
बचाव-
- ज्यादा व्यक्तियों के साथ सेक्स सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए। अगर किसी अन्य व्यक्ति के साथ सेक्स संबंध बनाने भी हों तो हमेशा कंडोम का प्रयोग करना चाहिए।
- जहां तक हो सके वेश्या या गलत लोगों से सेक्स संबंध बनाने से बचना चाहिए।
- अगर बाहर शेव आदि बनवानी हो तो नाई से कहकर हमेशा नए ब्लेड का प्रयोग ही करवाएं।
- अस्पताल आदि में सुई लगवाते समय हमेशा नई सीरींज का ही प्रयोग करना चाहिए।
- एड्स रोग से ग्रस्त महिला को गर्भ धारण नहीं करना चाहिए।
- अगर अस्पताल आदि में खून चढ़वाने की जरूरत पड़ जाए तो पहले पूरी तरह कन्फोर्म हो जाएं कि जो खून आपको चढ़ाया जा रहा है वह किसी एड्स रोग से ग्रस्त रोगी का तो नहीं है।