सिर में चोट लगने पर-
- सिर में चोट लगने पर सबसे पहले डेटाल से साफ घाव को साथ करें।
- इसके बाद घाव पर पट्टी करें जिससे खून का बहना रुक जाए और घाव में संक्रमण न हों।
- फिर पीड़ित व्यक्ति को बिल्कुल सीधा लिटा दें।
- इसके बाद पीड़ित व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं या फिर डॉक्टर को फोन करके बुला लें।
सांस लेने या बोलने में कठिनाई होने पर-
- सबसे पहले पीड़ित के मुंह को आगे को करा के उसकी पीठ पर पांच बार थपकी दें। यह ध्यान रखें कि उसके मुंह में कुछ अटक तो नहीं रहा
- इसके बाद पीड़ित को पीछे से सीधा पकड़कर 5 बार उसकी छाती पर थपकी दें।
- फिर पीठ पर 5 बार थपकी देकर पीड़ित का मुंह देखें। अगर मुंह में कुछ अटका हो तो हटा दें।
- अब चित्र के अनुसार उसके पेट पर 4-5 बार थपकी दें और जोर-जोर से हिलाएं।
- इसके बाद बिना समय गंवाए पीड़ित को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
बच्चे को सांस लेने में रूकावट होने पर-
- सबसे पहले बच्चे की पीठ पर थपकी दें।
- फिर बच्चे का मुंह और गला देखें।
- फिर बच्चे की छाती पर थपकी दें।
- इस प्रक्रिया को दुबारा दोहराएं।
- इसके बाद तुरंत बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं।
दिल की धड़कन बंद होने पर छाती पर दबाव देना-
- यदि केरोटिड धमनी सुनाई न पड़े, तुरंत कार्यवाही करना शुरु कर दें।
- सबसे पहले पीड़ित को सीधा लिटाकर उसके हाथों को छाती पर रखें। (चित्र के अनुसार)
- एक अपने एक हाथ के ऊपर दूसरा हाथ रखकर उंगलियों से कस लें।
- छाती पर हाथों की उपरोक्त मुद्रा बनाकर पसलियों को गहरा-गहरा दबाएं। बीच-बीच में पीड़ित को मुंह से सांस भी दें।
मुंह से सांस देना-
- सबसे पहले पीड़ित को बिल्कुल सीधा लिटाकर उसके मुंह की जांच करें। अगर उसके मुंह में कोई चीज अटकी हो तो उसे हाथ से निकाल दें।
- फिर उसकी गर्दन को चित्र के अनुसार कर दें जिससे जीभ के कारण भी उसकी सांस न रूकें।
- फिर पीड़ित की नाक को हाथ की अंगुलियों से बंद कर लें।
- इसके बाद अपने मुंह में सांस भरकर रोगी के मुंह के अंदर जोर से फूंक मारे।
- इस प्रक्रिया को दुबारा दोहराएं और पीड़ित की हालत पर नजर रखें।
दौरा पड़ने या मूर्छित हो जाने पर पीड़ित को लिटाने की सही स्थिति-
- सबसे पहले पीड़ित की गर्दन और सिर को पीछे को कर दें जिससे उसे सांस लेने में किसी तरह की परेशानी न हो।
- इसके बाद अपने बाएं हाथ को पीड़ित के नितंब के नीचे करें।
- फिर चित्र के अनुसार अपने दाएं हाथ को पीड़ित के बाएं कान के नीचे रखकर सीधा घुटना मोड़कर रोगी को तिरछा कर दें।
- अब पीड़ित को अपनी तरफ सावधानीपूर्वक मोड़ लें।
- फिर चित्र के अनुसार पीड़ित के लेटने की मुद्रा स्थिर कर दें।
- यह ध्यान रखें कि पीड़ित को सांस लेने में किसी तरह की परेशानी न हो और उसे चिकित्सक के आने तक बिल्कुल हिलाएं-डुलाएं नहीं।
नोट-
- बेहोश बच्चे को गोद में लेने का तरीका।
- मूर्छित बच्चे को लिटाने का तरीका।
- यदि पीड़ित की कमर या गर्दन पर चोट लगी हो तो उसकी प्राथमिक चिकित्सा करने के लिए अपने साथ किसी दूसरे की भी मदद लें। (देखें चित्र) गर्दन व पीठ हिलाएं बिना रोगी को करवट दिलाने की धीरे-धीरे कोशिश करें।