परिचय-
कहते हैं कि अगर किसी भी काम को जोर-जबर्दस्ती के साथ किया जाए तो वह काम कभी भी सफल नहीं होता। यही बात पति और पत्नी के बीच बनने वाले सेक्स संबंधों के बारे में कही जा सकती है। अगर सेक्स क्रिया करते समय दोनों ही एक-दूसरे को पूरा सहयोग देते हैं तो यह क्रिया बहुत ही आनंदकारक बन जाती है नहीं तो एक दर्दनाक पल बनकर रह जाती है।
आज के समय में टी.वी. पर, इंटरनेट पर या किसी और जरिये के द्वारा आने वाले स्त्री और पुरुष के छरहरे शरीर को देखकर हर कोई उनके जैसा ही बनना चाहता है। जिसके लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं जैसे इंजैक्शन लगवाना, दवाइयां खाना आदि। ऐसे लोग शरीर को ऊपरी तौर पर तो सुंदर और स्वस्थ बना लेते हैं लेकिन अपनी असली ताकत के बारे में कुछ भी नहीं सोचते जो है कामशक्ति। जबकि यही वह शक्ति है जो हर स्त्री और पुरुष के जीवन में बहुत ही खास भूमिका निभाती है।
जब पुरुष की शादी होती है तो उसे सबसे पहले अपनी इस कामशक्ति का परिचय देना पड़ता है। लेकिन पहली ही रात में इस कामशक्ति के पूरा न होने के कारण पुरुष जब संभोगक्रिया के समय शीघ्र ही स्खलित हो जाता है और उसकी पत्नी इस क्रिया में असंतुष्ट रह जाती है तो इसके बाद उसकी शादीशुदा जिंदगी में कई तरह की परेशानियां, समस्याएं और चिंताएं पैदा हो जाती हैं। इसीलिए हर किसी व्यक्ति को अपने शरीर की ऊपरी साज-सज्जा के साथ-साथ ही इस चीज के बारे में पूरा ध्यान देना जरूरी है।
संभोग क्रिया क्या है और इसकी रूप-रेखा क्या है यह तो सभी लोगों को पता है लेकिन संभोग क्रिया का आत्मिक सुख और चरम आनंद को कैसे हमेशा कायम रखा जाए यह बहुत ही कम लोगों को पता है। इसी कारण से बहुत से स्त्री और पुरुष अपने पूरे विवाहित जीवन में संभोग क्रिया का पूरा आनंद नहीं उठा पाते हैं।
जब शादीशुदा जिंदगी में पति और पत्नी के बीच सेक्स-संबंध आनंद देने के बजाय कष्ट देने लगे तो यह समझना चाहिए कि उनके आपसी संबंध खतरे में हैं क्योंकि जब इस क्रिया को करते समय पति और पत्नी को मानसिक और शारीरिक तृप्ति की जगह निराशा, उदासी या असंतुष्टि मिलने लगे तो उस समय ऐसे संबंधों में सुधार की जरूरत उसी तरह से होती है जैसे कि किसी गाड़ी के खराब होने पर उसे तुरंत गैराज में ले जाना पड़ता है। वैसे तो हमेशा अपनी गाड़ी से यही उम्मीद की जाती है कि वह सही तरह से चले और अपना रास्ता पूरी करते रहे लेकिन जब अचानक उसमें किसी तरह की गड़बड़ी या खराबी आ जाती है तो उसका असली महत्व सामने आ जाता है।
इसी तरह से जब संभोग क्रिया के समय पुरुष पूरी तरह से उत्तेजित नहीं हो पाता, जल्दी ही स्खलित हो जाता है, शुक्राणुओं की कमी के कारण संतान पैदा करने में असमर्थ हो जाता है या स्त्री में सेक्स के प्रति अरुचि हो जाती है तो उसका हल निकालना जरूरी हो जाता है। अगर इस तरह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं तो व्यक्ति को अपना धैर्य और भरोसा नहीं खोना चाहिए और न ही किसी भी गलत लोगों के चक्कर आदि में पड़कर अपना पैसा और समय बर्बाद करना चाहिए। ऐसी परेशानियों को किसी अच्छे यौन चिकित्सक को दिखाकर इलाज करवाना लाभकारी रहता है क्योंकि यह रोग लाइलाज नहीं होते।