बारम्बार प्रणाम मैया, बारम्बार प्रणाम।
जो ध्यावे तुम्बी अम्बिके, कहां उसे विश्राम।।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक ना।।
सुर सोरो की रचना करती, कहां कृष्ण कहां राम।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारू चकधर श्याम।।
चन्द्र-चूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि सलाम।
देवी-देव दयनीय दशा में, दया दया तब जामा।।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरणरूप तव धाम।
श्री ही श्रृद्धा श्री ऐ विद्या, श्री कली कमला काम।
क्रांति भ्रांतिमयी क्रांति शांति सयोवर देतू निष्काम।।