परिचय-
हमारे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार योग स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छे व्यायाम के रूप में माना जाता है। योग हमे सिखाता है कि स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से सामंजस्य पूर्ण एक समेकित इकाई होता है। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए शान्त ओर साफ मन तथा आत्मा-परमात्मा के मिलन के प्रति पूरी संचेतन आत्मा की जरूरत है। रोजाना योगासन करने से पूरी जिन्दगी के लिए अच्छा स्वास्थ्य और खुशी मिलती है। रोजाना लगभग 10 मिनट तक योगा करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत बनती है, पाचन शक्ति तेज होती है, रक्तसंचार और सांस की नलियों में सुधार होता है तथा स्नायुओं और दिमाग को काफी मात्रा में ऊर्जादायक ऑक्सीजन मिलती है।
सूर्य नमस्कार-
- दोनों पैरों के बीच में थोड़ा सा अन्तर रखकर बिल्कुल सीधी तनकर खड़ी हो जाएं। आपके दोनों हाथ प्रार्थना की अवस्था में स्तनों के भाग पर जुड़े होने चाहिए।
- लाभ- ध्यान और शान्ति की अवस्था होती है।
- सांस लेते हुए दोनों हाथों को सिर से ऊपर उठा लें।
- लाभ- इस क्रिया को करने से पेट और आंतों की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है तथा इसको करने से भुजाओं और मेरुरज्जु की कसरत हो जाती है।
- सांस को बाहर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकते हुए हाथों से जमीन को छुएं और घुटनों को बिल्कुल सीधा रखें।
- लाभ- इस तरह करने से पेट के रोग नहीं होते हैं तथा भोजन पचाने की क्रिया ठीक होती है।
- सांस को रोककर रखें तथा हाथों को फर्श पर जमाकर रख लें। फिर दाएं पैर को मोड़कर उस पर उकड़ू सा बैठ जाएं तथा बायां पैर पीछे की ओर सीधा फैला लें।
- इसके बाद सांस को अन्दर की ओर खीचते हुए दाएं पैर को वापस लें जाएं जिससे की शरीर लंबी रेखा जैसा बन जाए।
- फिर सांस को बाहर छोड़ते हुए अपनी जांघों को जमीन पर रख लें तथा सिर और कंधों को पीछे की ओर मोड़ लें।
- अब सांस को बाहर छोड़ते हुए वापस पहले जैसी स्थिति में आ जाएं।
- सांस को लेते हुए फर्श पर हाथ जमाने वाली स्थिति में आ जाए परन्तु इस बार बाएं पैर पर उकड़ू बैठे तथा दाएं पैर को सीधे अपने पीछे फैला लें।
- फिर सांस को बाहर छोड़ते हुए जमीन को छूने की पहली वाली स्थिति में आ जाएं।
- अब हाथों को फिर से सिर से ऊपर उठाकर सांस लेते हुए फैला लें।
- अतं में सांस को बाहर छोड़ते हुए वापस पहली जैसी स्थिति में आएं।
भुजंगासन-
- सबसे पहले पेट के बल लेटकर पैरों की उंगलियों को पीछे की ओर फैलाएं। हाथों को कंधों से नीचे करते हुए हथेलियों को फर्श पर जमाएं।
- अब सांस लेते हुए तथा नाभि को फर्श से उठाए तथा स्तनों वाले भाग को धनुष के आकार में पीछे मोड़े।
- फिर सांस को रोक लें।
- इसके बाद सांस को बाहर छोड़ते हुए धीरे से जमीन पर नीचे आ जाएं। इस व्यायाम को कम से कम 6 बार करें।
लाभ-
- यह आसन स्त्रियों के जिगर, डिंबाशय और गर्भाशय को मजबूत करता है तथा मासिक स्राव का समय पर नहीं आने की परेशानियों को दूर करता है। इसको करने से पेट की कब्ज भी दूर हो जाती है। डिस्क के खिसकने के लिए भी यह एक बहुत ही अच्छा व्यायाम है।
श्वासन-
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले कमर के बल लेट जाएं।
- फिर पैरों की दोनों एड़ियों को आपस में मिला लें और पैरों के दोनों पंजों में अन्तर रखें।
- इसके बाद दोनों हाथ अगल-बगल में बिल्कुल सीधे फैला लें और चिनुक (ठोड़ी) थोड़ी सी शरीर के नीचे की ओर झुका लें।
- मुंह बन्द होना चाहिए और जीभ आपके ऊपर के दांतों को छूती हो।
- अब आंखों को बन्द करके भौंहों के बीच में या गहरी, धीमी लयात्मक सांस लेने की क्रिया पर ध्यान लगा लें।
लाभ-
इस आसन को करने से शरीर की थकान, निराशा, दमा, कब्ज, डायबिटीज, भोजन का ना पचना और नींद का न आना जैसे रोग दूर होते हैं तथा यह आसन साधारण थकान को दूर करके दिमाग को एक जगह केन्द्रित करना सिखाता है।
सिंहासन-
- सिंहासन में सबसे पहले हिरन की अवस्था में बैठकर हथेलियों को जांघों पर टिका लें।
- अब सांस को बाहर छोड़ते हुए हाथों से जांघों पर दबाव दें।
- फिर हाथों की उंगलियों को फैलाकर जीभ को बाहर निकाल लें।
- अपनी दोनों आंखों को खोलकर बड़ी कर लें।
- अन्त में सांस लेते हुए आराम महसूस करें।
लाभ-
सिंहासन को करने से चेहरे पर परेशानी या चिन्ता की वजह से आने वाली सलवटें दूर हो जाती हैं। इस आसन को करने से गले की जलन और सांस की बदबू दूर होकर आवाज भी सुरीली बनती है।
नर्तन मुद्रा-
- सबसे पहले दाएं पैर के बल खड़े होकर बाएं हाथ से बाएं पंजे को पकड़कर आगे की ओर झुक जाएं।
- फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए बाएं पैर को पूरी तरह ऊपर उठा लें और सांस को छोड़ते हुए वापस पहली जैसी स्थिति में आ जाएं। इस आसन को दाहिने पैर के साथ भी वैसे ही करें।
लाभ-
इस आसन को करने से आपका ‘शरीर संतुलन में रहता है। इससे कूल्हों और जांघ के ऊपर की चर्बी कम होती है और टांगे मजबूत बनती है।
संतुलन-
- इस आसन में पहले घुटनों को थोड़ा सा मोड़कर बैठ जाएं।
- अब दोनों हाथों को घुटनों के नीचे आपस में मिला लें।
- इसके बाद दोनों पैरों के पंजों को जमीन पर से ऊपर उठाते हुए अपने घुटनों को सीधा करें।
- अन्त में 5 गिनने के बाद पैरों को वापस जमीन पर लें आएं।
लाभ-
अक्सर होता ऐसा है कि जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती जाती है अपने शरीर को संतुलन में रखने की उसकी ताकत कम होती रहती है जिसकी वजह से ज्यादा उम्र के स्त्री-पुरूष कभी भी चलते समय या बैठे हुए ही गिर पड़ते हैं। इस संतुलन आसन को करने से शरीर का आपस में तालमेल दुबारा स्थापित हो जाता है। जिससे शरीर को संतुलित करने की ताकत के साथ-साथ शरीर की खूबसूरती भी बढ़ जाती है।
धनुरासन-
- इस आसन में पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को जांघों के नीचे रख लें।
- फिर सांस लेते हुए घुटनों को सीधा रखते हुए टांगों को पूरी तरह से ऊपर उठा लें।
- इसके बाद सांस को बाहर छोड़ते हुए टांगों को वापस नीचे लाएं तथा आराम महसूस करें।
लाभ-
इस आसन को करने से पेट और कमर की मांसपेशियों की मालिश होती है तथा उन्हे मजबूती मिलती है। यह आसन कमर के नीचे के भाग, गुर्दो तथा एड्रीनल ग्रंथियों को मजबूत करता है। इस आसन को हर्निया के रोगी तथा तेज कमर के दर्द वाले रोगियों को नहीं करना चाहिए।
अर्द्धधनुरासन-
- सबसे पहले पेट के बल लेटकर बाएं घुटने को मोड़ लें तथा पैर के बाएं पंजे को बाएं हाथ से पकड़ें।
- फिर सांस को अन्दर करते हुए पैर को पूरी तरह से ऊपर उठा लें।
- इसके बाद सांस को बाहर छोड़ते हुए धीरे-धीरे वापस पहली जैसी स्थिति में आए जाएं।
- इस आसन को दूसरे पैर के साथ भी करें।
लाभ-
इस आसन को करने से पेट और कूल्हों के चारों तरफ की चर्बी कम हो जाती है। इससे पेट के भाग में खून का बहाव तेज होता है और कंधों की परेशानी समाप्त होती है। मेरुरज्जु की कोशिकाओं को भी इस आसन से बहुत ज्यादा लाभ होता है।
हंसने की कसरत-
- जमीन पर पीठ के बल लेटे-लेटे ही हाथ-पैरों को चारों तरफ घुमाएं।
- इस आसन को करने के साथ पूरी तरह दिल खोलकर बहुत जोर-जोर से हंसे।
- इस आसन को करने के बाद आराम की स्थिति में आ जाएं।
लाभ-
इस आसन को करने से सांस की नली की सफाई होती है।
जानकारी-
योगासन पूरी दुनिया में व्यायाम का एक सबसे अच्छा रुप है। बूढ़े स्त्री-पुरुष रोजाना योगासन करके अपने शरीर को बुढ़ापे में भी सही तरह से काम करने के लायक बनाते हैं और जवान लोग योगासन करने से मजबूत बनते हैं। रोजाना योगा करने से कोई भी पुरानी से पुरानी समस्या दूर होकर सोचने की ताकत मजबूत बनती है तथा इससे शरीर को इतनी ज्यादा ऊर्जा मिलती है कि आप पूरे दिन बिना थके कोई सा भी काम कर सकती हैं।