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आंखे

 

परिचय-

          किसी भी स्त्री की चाहत होती है कि वे जब बाहर निकले तो सब उसकी तरफ देखें, वे सबकी आंखों में बस जाना चाहती है पर इसके लिए उसको अपनी आंखों की भी अच्छी तरह देखभाल की जरूरत है। एक बात ध्यान रखनी जरूरी है कि खूबसूरत और आकर्षक आंखों से बढ़कर दुनिया में और कुछ नहीं है। इसलिए आंखों को सुन्दर बनाने के लिए आपके भोजन में विटामिन `ए´, `सी´ तथा `बी2 पूरी मात्रा में होने चाहिए। विटामिन `ए´ रतौंधी रोग को दूर करता है तथा आंखों की थकान को समाप्त करता है तथा साथ ही आंखों के आंसुओं की नलियों को अपनी असली नमी में बनाए रखता है जो आंखों को कुदरती रूप से चमकदार बनाए रखता है। हरी सब्जियों तथा पीली सब्जियों के अन्दर विटामिन `ए´ भरपूर मात्रा में मिलता है। विटामिन `सी´ ज्यादातर नींबू जातियों के फलों में तथा रिबोफ्लेबिन दही और ब्रेवर्स यीस्ट´ में पाया जाता है। आंखों में रिबोफ्लीन की मात्रा बराबर रहने से आंखों का मोतियाबिन्द तथा आंखों मे होने वाले दर्द से राहत मिलती है। इसलिए अपनी आंखों को सुन्दर तथा हमेशा के लिए स्वस्थ बनाने के लिए इन तीनों विटामिनों के साथ-साथ भोजन में बाकी विटामिन लेने भी जरूरी है।

चिकित्सा-

1. विश्राशन्ति- आंखों को पूरी तरह से आराम न मिल पाने के कारण उसकी मांसपेशियों पर काफी जोर पड़ता है तथा नजर भी कमजोर होती है और दिमाग के काम करने की गति पर भी असर पड़ता है। इसलिए विश्रान्ति को महसूस करना सीखें। ज्यादा थके हुए स्त्री-पुरूषों को आधे घंटे तक आंखे बन्द करने के बाद ही कोई दूसरा काम करना चाहिए।

2. पलकें झपकाना- अपनी पलकों को निम्नलिखित रूप में झपकाते हुए आंखों को लगातार आराम दें। फिर असमान रूप से गिने तथा हर संख्या के लिए सजग होकर उतनी ही बार पलकों को झपकाएं। धीरे-धीरे कुछ ही समय में ये आपकी आदत बन जाएगी। सामान्य आंखों तथा नजर के लिए पलकों की यह क्रिया बहुत ही जरूरी होती है। सर्दी के मौसम मे पलकों को बार-बार झपकाने से आंखों को बहुत गर्मी मिलती है। तेज चलने वाली हवा या ठण्डे मौसम मे पलकों के झपकने से आंखों को सुरक्षा और आराम मिलता है। परन्तु पलक के एक बार झपकने या ऐंठन तथा पलकों के झपकने के बीच मे भ्रमित ना हो। पलकों की ऐंठन पलक का मजबूती से अपनी इच्छा से सिकुड़ना होता है जिसके साथ पलकों की मांसपेशियां भी मौजूद होती है। यह किसी स्नायविक रोग का मामला होता है।

3. हथेलियों से आंखों को ढकना- आंखों को आराम देने का सबसे आसान और आरामदायक तरीका है आंखों को बन्द करके बैठ जाना परन्तु ऐसा करते समय आंखों मे बिल्कुल भी रोशनी नहीं पड़नी चाहिए। आंखों पर रोशनी बिल्कुल भी ना पड़े इसके लिए आंखों को हथेलियों से ढक लेना चाहिए। लेकिन ऐसा करते समय आंखों के गोल भाग पर किसी तरह का जोर नहीं पड़ना चाहिए। आंखों को हथेलियों से ढकते समय आंखों मे रोशनी बिल्कुल नहीं पहुंचनी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति की आंखों का रेटिना काम नहीं करता है तथा उसे आंखों के सामने अंधेरा सा लगता है तो ऐसी हालत में आंखों के सामने काले रंग के सिवा ओर दूसरे कई रंग नजर आते है तो ये दिमागी परेशानी के प्रतीक है। इस दिमागी परेशानी को दूर करने के लिए 5 मिनट या उससे ज्यादा समय तक किसी काली वस्तु के बारे मे सोचे। अगर आपकी सोचने की शक्ति अच्छी होगी तो आपको अपनी आंखों के सामने पूरा अंधेरा सा लगेगा। गर्मी के मौसम में आंखों को ठण्डक पहुंचाने के लिए हाथों को गीला करके या किसी कपड़े को गीला करके आंखों को ढकें।

4. अगर आंखों को पूरी तरह से आराम नहीं मिल पाता हो तो कोई भी बिल्कुल पास देखने वाला काम न करें। अगर आपको लगातार बहुत घंटों तक पढ़ना होता है तो हर घंटे के बाद आंखों को 5 से 10 मिनट के लिए आराम दें। आंखों पर सूरज की बिल्कुल सीधी रोशनी पडना नुकसानदायक होता है। इसके साथ ही ये रतौंधी रोग से आंखों की रक्षा करने वाले विटामिन `ए´ को भी खत्म कर देता है। आंखों को सूरज की रोशनी सही मात्रा में मिलने से आंखों मे खून का बहाव तेज होता है तथा इससे जिस व्यक्ति की पास की नजर कमजोर होती है उन्हे लाभ मिलता है। दोपहर के समय धूप मे नहीं बैठना चाहिए। धूप के द्वारा चिकित्सा लेने के लिए सिर्फ सुबह और शाम का समय अच्छा रहता है। मायोपिया रोग में नजर 33 सेमीमीटर या उससे कम दूरी तक अच्छी रहती है किन्तु 6 मीटर से ज्यादा दूर देखने के लिए नजर कमजोर या धुंधली हो जाती है। सूरज के सामने आंखों को बन्द करके बैठ जाए तथा धीरे-धीरे से शरीर को घुमाती रहें। आंखों के अन्दर के गोलक, दिमाग तथा शरीर की गति के मुताबिक हलचल करते हैं। यह सूरज के द्वारा लिया गया उपचार कहीं पर भी 5 से 15 मिनट तक किया जा सकता है। सूरज की तरफ कभी भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। इस क्रिया को करने के बाद नजर साफ नजर आती है लेकिन अगर अब भी साफ नजर नहीं आता तो आंखों को पानी से धोकर हथेलियों से ढक लें।

5. आंखों और उसके आसपास के ऊतकों को मजबूत करने के लिए आंखों का धोना बहुत लाभकारी होता है इससे आंखों को आराम भी मिलता है। आंखों को ठण्डे पानी से धोना सबसे लाभकारी उपाय माना जाता है। एक कप में ठण्डा पानी भर लें और उसे आंखों से लगा लें। आंखों को नीचे की ओर झुकाकर रखें तथा दोनों आंखों को 2 मिनट तक धोंएं।

6. आंखों के अन्दर अगर कोई चीज गिर जाए तो आंखों को तुरन्त ही साफ पानी से धो लेना चाहिए। ऐसे समय में आंखों को मलना नहीं चाहिए नहीं तो आंखों में गिरी हुई वो चीज आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर वो चीज आंखों में से न निकले तो तुरन्त आंखों के डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

7. किसी भी पुस्तक या पेपर को पढ़ते समय आंखों से करीब 14 से 16 इंच की दूरी पर रखें लेकिन कमरे मे रोशनी तेज न होकर सही होनी चाहिए। पढ़ने वाली वस्तु पर भी थोड़ी सी सीधी रोशनी पड़नी चाहिए। पुस्तक पर रोशनी कमर के पीछे एक ओर से पड़नी चाहिए। जिससे कि रोशनी पुस्तक के पेजों से परावर्तित होकर आंखों तक न पहुंचे। परिवर्तित रोशनी या चमकीली चीजें नजर के रास्ते मे नहीं आनी चाहिए क्योंकि वो आंखों मे थकान पैदा करके आंखों को कमजोर बनाती है। एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जब आप थके हुए होते हैं तो आपकी आंखें भी थकी हुई होती हैं और अगर आप बीमार होते हैं तो आपकी आंखें भी बीमार रहती है इसलिए आंखों के मामले में लापरवाही करना ठीक नहीं है।

8. जब कोई व्यक्ति कमरे में से निकलकर अचानक सूरज की रोशनी में जाता है तो उसकी आंखे एकदम बन्द सी हो जाती है इसका मतलब ये नहीं होता कि उसकी आंखें कमजोर हो गई है बल्कि यह होता है कि आंखों के सामने अचानक कोई तेज रोशनी आ जाने से आंखों को कोई नुकसान ना पहुंचे इसलिए पलकें आंखों को बन्द कर देती है। अक्सर आंखों को तेज से हल्की रोशनी में और हल्के से तेज रोशनी में बराबरी बैठाने के लिए 2 से 3 मिनट लगते हैं। अगर आप तेज रोशनी से निकल कर नीचे की ओर देखती है और फिर ऊपर देखती है तो आपको कोई परेशानी नहीं होगी। तेज रोशनी से हल्की रोशनी में आते समय भी आपको ऐसा ही करना है।

9. अगर डॉक्टर आपको चश्मा लगाने को बोलता है तो चश्मे का सही नंबर लेना सही रहता है क्योंकि चश्मा लगाने से आंखों पर पड़ने वाला तनाव समाप्त हो जाता है और आप खुद को जवान महसूस करने लगती है। परन्तु चश्मा जरूरत पड़ने पर ही लगाना चाहिए क्योंकि बिना जरूरत के चश्मा लगाने से आंखों की मांसपेशियों को आराम नहीं मिल पाता। चश्मा लगाने से आंखों को नुकसान ही होता है क्योंकि कुछ समय तक चश्मा लगाने के बाद व्यक्ति पहले की तरह देख नहीं पाता है। इसके अलावा चश्मा चेहरे को बदसूरत भी बना देता है। जब आप चश्मा उतारती है तो आंखें बड़ी ही अजीब सी लगती है। बहुत से मामलों में तो आंखों को चश्मे की ऐसी आदत पड़ जाती है कि बिना चश्मे के कुछ नजर ही नहीं आता है। इस कारण हर समय चश्मे को पहनकर नहीं रखना चाहिए। आंखों की सही तरह से देखभाल के लिए भोजन सही तरीके से और पौष्टिक लेना चाहिए। रोजाना कम से कम 8 घंटे तक सोएं तथा धूम्रपान का सेवन कम ही करें। अगर आंखों को रोजाना ठण्डे पानी से धोते रहें तो बुढ़ापे तक आंखों की कोई बीमारी नहीं होती है।


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