छोटी आंत का अंतिम छोर या भाग इलियम बड़ी आंत में विलीन हो जाता हैं यहां पर इलियोसीकल कपाट होता है-जिससे भोजन छोटी आंत से बड़ी आंत में चला जाता है लेकिन बड़ी आंत से छोटी आंत में वापिस लोटकर नही आता। यह मलाशय और गुदीय नली तक पहुंचने वाली लगभग 1.5 मीटर लम्बी नली होती है जो छोटी आंत की तुलना में अधिक चौड़ी होती है।
बड़ी आंत में भोजन का पाचन और अवशोषण नही होता। बड़ी आंत में आने वाले भोजन का शेष भाग तरल अवस्था में होता है जब यह बड़ी आंत से होकर गुजरता है तो पानी का अवशोषण होता जाता हैं जिससे यह ठोस होता जाता है। बड़ी आंत के श्लेष्मिक अस्तर से निकलने वाला श्लेष्मा मल को आगे की ओर खिसकाने के लिए उसे चिकना बना देता है। मलाशय के मल से भर जाने पर मल विसर्जित करने की इच्छा होने लगती है।