JK healthworld logo icon with JK letters and red border

indianayurved.com

Makes You Healthy

Free for everyone — complete solutions and detailed information for all health-related issues are available

छोटी आंत द्वारा अवशोषण

कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स और वसा के सारे उत्पादों तथा खाए हुए भोजन (ingested) ज्यादातर इलेक्ट्रोलाइट्स, विटामिंस और पानी का छोटी आंत की भित्तियों से होकर रक्त प्रवाह और लसीका तन्त्र में मिल जाने को अवशोषण कहते हैं। अवशोषण ज्यादातर ग्रहणी और मध्यांत्र (Jejunum) में होता है। जबकि पित्त लवणों (bile salts) और विटामिन बी12 का शुरुआती अवशोषण इलियम में होता है। अवशोषण की पूरी क्रिया छोटी आंत के अंकुरों द्वारा की जाती है।

     हर एक अंकुर में एक लसीका वाहिका या लैक्टीयल (lacteal) होती है जिसके चारों ओर रक्त वाहिकाओं का जाल बिछा होता है तथा यह स्तंभाकार उपकला कोशिकाओं (एन्ट्रोसाइट्स) से ढका रहता है। इनके बीच-बीच में चषक कोशिकाएं (goblet cells) पाई जाती है। ये अंकुर आंत में आए हुए अर्द्धतरल भोजन (chime) के संपर्क में रहते हैं। इनसे भोजन का अवशोषण होता है।

     कार्बोहाइड्रेट्स पाचन के आखिरी उत्पाद ग्लूकोज, फ्रक्टोज तथा गैलेक्टोज का, प्रोटीन पाचन के आखिरी उत्पाद अमीनो एसिड्स का तथा जल और इलेक्ट्रोलाइट्स का अवशोषण अंकुरों (villi) की परत की कोशिकोओं द्वारा किया जाता है, जहां से ये अवशोषित पदार्थ रक्त कोशिकाओं में पहुंचकर पोर्टल शिराओं द्वारा जिगर तक पहुंचाए जाते हैं। वसा पाचन के आखिरी उत्पाद वसीय अम्लों (fatty acids) और ग्लिसराल का अवशोषण अंकुरों के बाहर की कोशिकाओं (Antrosaites) द्वारा होता है। वहां से ये अंकुरों की लसीका में पहुंच जाते हैं और फिर लसीका वाहिकाओं द्वारा सिस्टर्ना काइलि (Cisterna chili) में पहुंच जाते हैं। फिर यहां से ये वक्षीय वाहिका (throracic duct) द्वारा बाईं सबक्लेवियन शिरा में पहुंचकर रक्त प्रवाह में मिल जाते हैं।


Copyright All Right Reserved 2025, indianayurved