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आमाशयिक या जठर रसों का स्राव

यह भोजन की अनुक्रिया में आमाशय की श्लेष्मिक कला या म्यूकोसा द्वारा होने वाला एक साफ, बिना किसी रंग वाला तरल स्राव होता है। एक सामान्य व्यस्क व्यक्ति में रोजाना डेढ़ लीटर से ज्यादा जठर रस का स्राव होता है। जठर रस निम्न पदार्थों से मिलकर बनता है-

1- खनिज लवण, श्लेष्मा, जल

2- एंजाइम्स- पेप्सिनोजन, रेनिन, लाइपेज

3- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल

        इसके अलावा जठर जूस में कैश्लस अंतस्थ घटक भी मौजूद रहता है। यह घटक विटामिन बी12 (पचे हुए भोजन में) के साथ मिलकर लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए जरूरी, एक एंटीएनीमिक घटक बनाता है। 

जठर लाइपेज (gastric lipase)-  यह अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice)  में पाए जाने वाले लाइपेज से अलग होता है और ज्यादा शक्तिशाली भी नहीं माना जाता। यह बच्चों के लिए जरूरी होता है। इसकी मदद से दूध पूरी तरह से पच जाता है। यह एंजाइम वसा को थोड़ी मात्रा में अलग कर ग्लिसरीन और वसीय अम्ल में बदल देता है। वसा का पूरी तरह बदलाव छोटी आंत में ही होता है लेकिन कुछ मात्रा में लाइपेज की मदद से आमाशय में भी होता है।

हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (hydrochloric acid)- यह खाए गए भोजन को अम्ल के रूप में बदल देता है और टायलिन एंजाइम की क्रिया को भी खत्म कर देता है। यह भोजन के साथ निगले हुए जीवाणुओं को समाप्त कर देता है। पेप्सिनोजन को पेप्सिन में बदल देता है। शर्करा को ग्लूकोज और फ्रकटोज में बदल देता है।


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