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आमाशय का खाली होना

ड्योडिनम, आमाशय और केंद्रीय तंत्रिका-तंत्र द्वारा आमाशय के खाली होने की दर का नियमन और नियंत्रण होता है। यह काफी कुछ खाए हुए भोजन के प्रकार पर भी निर्भर करता है। अगर भोजन में कार्बोहाइड्रेट पदार्थ ज्यादा होते हैं तो आमाशय को खाली होने में 2 से 3 घंटे का समय लगता है। अगर भोजन में प्रोटीन ज्यादा हो तो आमाशय को खाली होने में इससे थोड़ा ज्यादा समय लगता है लेकिन अगर भोजन तेलीय हो तो आमाशय खाली होने में काफी समय लगाता है।

        आमाशय सामान्य फीडबेक सिस्टम द्वारा भोजन फैंकने की क्रिया (pyloric pump) का नियंत्रण करता है। आमाशय जितना ज्यादा भरा होगा भोजन को धकेलने की क्रिया उतनी ही तेज होगी। आंशिक रूप से पची हुई प्रोटीन और एल्कोहल तथा कैफीन जैसे उत्तेजक पदार्थों की मौजूदगी के कारण भी आमाशय जल्दी खाली हो जाता है। वेगस तंत्रिका के उद्दीपन के कारण आमाशय विस्फारित हो जाता है जिसके कारण क्रमाकुंचन तरंगे ज्यादा पावरफुल हो जाती है तथा गैस्ट्रिन (gastrin) नाम के हार्मोन का स्राव होता है जो आमाशय की गतिशीलता और जठर रसों के स्राव को उद्दीपत करता है। पाइलोरिक संकोचनी ढीली हो जाती है तथा काइम ड्योडिनम में पहुंच जाता है। इस फीडबैक सिस्टम के फलस्वरूप ज्यादा भोजन करने के तुरंत बाद मलत्याग करने की आदत बन जाती है।

     आमाशय खाली होने की प्रक्रिया में मुख्यतः ड्योडिनम रुकावट पैदा करता है जो तंत्रिकात्मक (neural) और हॉर्मोनल दोनों अनुक्रियाओं के साथ काइम में मौजूद वसा और अम्ल से प्रतिक्रिया करता है। तंत्रिकात्मक अनुक्रिया (neural response) अन्तस्थ तंत्रिका जालिकाओं (intrinsic nerve plexuses) और स्वायत्त तंत्रिकाओं (autonomic nerves) दोनों के द्वारा होती है। इसके फलस्वरूप प्रतिवर्त पैदा होते हैं, जिन्हे एंटीरोगैस्ट्रिक प्रतिवर्त (enterogastric reflex) कहा जाता है। इन प्रतिवर्तों के कारण आमाशय की गतिशीलता और जठर रस का स्राव कम हो जाता है। हॉर्मोनल अनुक्रिया में एंटीरोगैस्ट्रोन नामक हॉर्मोन्स पैदा होते हैं जिससे क्रमाकुंचन संकुचन और आमाशय की गतिशीलता कम हो जाती है।


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