परिचय-
पाचनतंत्र शरीर की एक ऐसी प्रणाली होती है जो पूरे शरीर के संचालन को हर समय ऊर्जा देती रहती है। भोजन की पाचन क्रिया की शुरुआत चबाने से होती है। जब हम भोजन मुंह में डालकर चबाते हैं तो लार ग्रंथि से लार निकलकर कार्बोहाइड्रेट्स को ग्जूकोज में बदल देती है। यहां से भोजन ग्रासनली द्वारा आमाशय में पहुंचता है, जो वहां लगभग 3 घंटे तक रहता हैं। इस अवधि में विभिन्न पाचक रस इसमें आकर मिलते हैं तथा पाचन क्रिया संपादित करते है।
इस क्रिया के बाद भोजन तरल रूप में परिवर्तित होकर छोटी आंत में चला जाता है। छोटी आंत के प्रथम भाग ग्रहणी में अग्नयाशय और पित्ताशय से पाचक रस आकर भोजन में मिलते हैं, जो दोबारा पाचकक्रिया करते हैं। यहां से भोजन छोटी आंत के अंतिम भाग शेषान्त्र में चला जाता है। वहां पर भोजन के आवश्यक तत्व रक्त मे मिल जाते हैं तथा अवशेष बड़ी आंत में पहुंच जाते हैं। वहां से यह उत्सर्जन तंत्र द्वारा मल के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है।
पाचन संस्थान-
पाचन संस्थान मानव शरीर की ऐसी प्रणाली है जो सम्पूर्ण शरीर के संचालन को निरन्तर ऊर्जा प्रदान करती है। इसका कार्य भोजन को अर्न्तग्रहण करके उसका पाचन करना एवं अवशोषित करके रक्त में मिलाना तथा बिना पचे और व्यर्थ पदार्थो को मल के रूप में बाहर निकालना है।
भोजन हमारे शरीर मे तीन प्रकार की प्रक्रियाओं से होकर गुजरता है :-
भोजन का पाचन और अवशोषण तो पाचनतंत्र के कार्य है किन्तु चयापचय शरीर की कोशिकाओ के स्तर पर होता है।
पाचनतंत्र के मुख्य अंगों और उसके कार्य के बारे में जानने से पहले हमें भोजन नाल (एलीमेन्ट्री केनाल या गैस्ट्रो इन्टेस्टीनल (जी.आई) ट्रैक्ट या डायजेशन ट्रैक्ट की दीवार की बनावट या संरचना के बारे में समझना जरूरी है।
पाचन एक यांत्रिक और रासायनिक प्रक्रिया होती है। इसके अंतर्गत भोजन बहुत ज्यादा बारीक कणों में बंट जाता है और उसके बाद विभिन्न एंजाइम्स और पाचक रसों (enzymes and digestive juices) की क्रिया द्वारा उसका रूप बदल जाता है, जिससे उसके घटक रक्त द्वारा अवशोषित हो सकें तथा कोशिकाओं द्वारा उपयोग में लाए जा सकें। वे मिली-जुली विभिन्न भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाएं जिनके द्वारा भोजन के अघुलनशील पदार्थों को घुलनशील बनाकर स्वांगीकरण (assimilation) के लिए सुचारु रूप से तैयार किया जाता है, पाचन कहलाती है।