इस वर्ग की पेशियां केवल हृदय की भित्तियों में ही पायी जाती है। इनमें ऐच्छिक पेशियों की तरह पट्टियां होती है लेकिन इनकी क्रिया अनैच्छिक होती है। ये मृत्यु पर्यन्त बिना विश्राम किए संकुचित एवं शिथिल होती रहती है।
हृदय पेशी लाल रंग की होती है। इसके तन्तु छोटे तथा बेलनाकार होते है एवं अनुदैर्ध्य दिशा में आयताकार तथा अनुप्रस्थ दिशा में बहुतलीय होते हैं। हर तन्तु में केवल एक न्यूक्लियस रहता है, जो अक्सर बीच में स्थित रहता है। हृदयपेशी में अनुदैर्ध्य दिशा तथा अनुप्रस्थ दिशा, दोनों में पट्टियां होती है, परन्तु ये पट्टियां अधूरी एवं अस्पष्ट-सी रहती है। पेशी आवरण (sarcolemma) भी अस्पष्ट एवं अधूरा रहता है। तन्तुओं में से शाखाएं निकली रहती है जो दूसरे तन्तुओं से निकली शाखाओं से मिल जाती है। इस प्रकार इनमें जीवद्रव्य का सातव्य (protoplasmic continuity) बना रहता है।