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जालीदार ऊतक

इस तरह के ऊतक भी अवकाशी ऊतकों के जैसे ही होते हैं। लेकिन इनकी कुछ अपनी भी खासियतें होती है। ये रचना में श्वेत तन्तुमय ऊतक (white fibrous tissue) से मिलते-जुलते हैं लेकिन बारीक एवं पतले होते हैं। इनमें से उन्मुक्त शाखाएं फूटती है। इनकी कोशिकाओं के बीच में बहुत कम खाली स्थान रहता है तथा उस खाली स्थान में लसीका (lymph) एवं ऊतक द्रव्य भरा रहता है।

          ये ऊतक शरीर में फैले रहते हैं। इन्हीं से कई प्रकार के उपकला-ऊतकों की आधारीय कला (basement membrane) बनती है, कई अंगों के ढांचे बनते हैं तथा ये उनकी कोशिकामयी रचना को सहारा भी देते हैं। इस-तरह के ऊतक जिगर, प्लीहा, अस्थिमज्जा (bone marrow) तथा बहुत से अन्य अंगों में पाये जाते हैं।


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